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नालंदा: बिहार के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल राजगीर में एक आश्चर्यजनक घटना ने स्थानीय निवासियों और पर्यटकों को हर्षित कर दिया है। लंबे समय से सूखे पड़े कुंडों में फिर से गर्म पानी की धाराएं बहने लगी हैं, जो इस क्षेत्र के लिए एक बड़ी राहत की खबर है।

वैभारगिरि पर्वत की तलहटी में स्थित ब्रह्म कुण्ड परिसर, जो गंगा-जमुना और मार्कंडेय कुंडों के लिए प्रसिद्ध है, पिछले कुछ वर्षों से जल संकट का सामना कर रहा था। फरवरी माह से बंद पड़े इन कुंडों में अब मोटी गर्म जल धाराएं आने लगी हैं।

पंडा कमेटी के सचिव विकास उपाध्याय ने बताया कि यह देखना अविश्वसनीय है कि कैसे मृतप्राय हो चुके कुंडों में जीवन वापस लौट आया है। यह प्राकृतिक चक्र का एक अद्भुत उदाहरण है। अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. धीरेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि इन कुंडों का महत्व केवल पर्यटन तक ही सीमित नहीं है। पुरुषोत्तम मास मेला, मकर मेला और श्रावणी मेला जैसे धार्मिक अवसरों पर इन कुंडों का विशेष महत्व होता है। लोग दूर-दूर से स्नान, ध्यान, और पूजा-अर्चना के लिए यहां आते हैं।

पिछले कुछ वर्षों में अपर्याप्त वर्षा के कारण न केवल गंगा-जमुना और मार्कंडेय कुंड, बल्कि प्रसिद्ध सप्तधारा भी सूखने के कगार पर थी। यह स्थिति स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यावरण दोनों के लिए चिंता का विषय बन गया था। हालांकि, इस वर्ष लगातार बारिश ने परिदृश्य को बदल दिया है। पंडा कमेटी के प्रवक्ता सुधीर उपाध्याय ने कहा की वर्षा जलधाराओं के लिए संजीवनी साबित हुई है।

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