आम बजट को विभिन्न संस्थाओं के प्रबंधकों ने बताया कृषि और ग्रामीण भारत के लिए एक दूरदर्शी सोच..

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केंद्रीय बजट 2025 सरकार की ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने और शहरी-ग्रामीण विभाजन को दूर करने की प्रतिबद्धता को पुनः स्थापित करता है। यह बजट किसानों, युवाओं, महिलाओं और कृषि उद्यमियों के लिए नए अवसर सृजित करने की स्पष्ट मंशा दर्शाता है, जिससे कृषि क्षेत्र में समावेशी विकास सुनिश्चित हो सके।

बजट में बुनियादी ढांचे, नवाचार और आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक परिवर्तनकारी रोडमैप प्रस्तुत किया गया है। प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना के शुभारंभ से फसल विविधीकरण, सिंचाई, भंडारण सुविधाओं और ऋण की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा।

यह बजट विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 34.5 करोड़ युवाओं के बड़े वर्ग को लाभान्वित करेगा। कृषि उद्यमिता, कौशल विकास और तकनीक को बढ़ावा देकर सरकार भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का पूरा उपयोग कर रही है। इससे उम्मीद की जाती है कि ग्रामीण युवा कृषि गतिविधियों में अधिक सक्रिय होंगे और ग्रामीण-शहरी संतुलन बना सकेंगे।

इसके अलावा, दालों और तिलहन के लिए छह वर्षीय आत्मनिर्भरता मिशन आयात निर्भरता को कम करेगा, जबकि फलों और सब्जियों के उत्पादन में निवेश बदलते आहार पैटर्न के अनुरूप होगा और किसानों को बेहतर आय प्राप्त करने में मदद करेगा। उच्च उपज वाले बीजों और कपास उत्पादकता मिशन पर राष्ट्रीय मिशन अनुसंधान और नवाचार को तेज करेगा, जिससे भारत की सतत कृषि में नेतृत्व की स्थिति और मजबूत होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के दूरदर्शी दृष्टिकोण की सराहना की जानी चाहिए, जिसके  तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनी रहे, साथ ही ग्रामीण समृद्धि और राष्ट्रीय विकास के नए रास्ते खुलें।

सुशील कुमार हरियाणा के करनाल से हैं, जो किसानों की भूमि है। उनका पालन-पोषण एक किसान परिवार में हुआ है। कृषि के मूल से आने के कारण, वे खेतों को भली-भांति जानते हैं और इस उद्योग की गहरी समझ रखते हैं। वे हमेशा किसानों की हर संभव सहायता करने के लिए तत्पर रहते हैं। उन्होंने चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार जिले से कृषि संचालन और संबंधित विज्ञान में स्नातक किया है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पराडाइज़ शिक्षा निकेतन, बाबैन और सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, लाडवा, कुरुक्षेत्र में हुई।

महाकुंभ की भावना को प्रतिबिंबित करते हुए, केंद्रीय बजट 2025 भारतीय कृषि के लिए सुव्यवस्थित अवसरों का एक संकलन है, जो किसानों को सशक्त बनाने, उत्पादकता बढ़ाने और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने के लिए एक व्यावहारिक, समग्र, दूरदर्शी और पुनरुत्थानकारी रोडमैप प्रस्तुत करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सुनिश्चित किया है कि कृषि विकास का प्रथम इंजन बनी रहे, जिसमें केवल चुनौतियों को दूर करने पर ही नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने के अवसरों का लाभ उठाने पर भी ध्यान दिया गया है।

प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना इस बजट की एक प्रमुख पहल है, जो 100 कम उत्पादन वाले जिलों पर केंद्रित है, ठीक वैसे ही जैसे आकांक्षी जिला कार्यक्रम। वर्तमान समय की आवश्यकताओं को देखते हुए फसल विविधीकरण, पंचायत स्तर पर बेहतर भंडारण सुविधाएं, सिंचाई व्यवस्था में सुधार और ऋण तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना आवश्यक है, जिससे पूरे देश में कृषि का समान रूप से विकास हो और यह अधिक सतत और लाभदायक क्षेत्र बन सके। छह वर्षीय आत्मनिर्भरता मिशन विशेष रूप से तूर, उड़द और मसूर दालों पर केंद्रित है, जो न केवल आयात निर्भरता को कम करेगा बल्कि NAFED और NCCF के साथ संरचित खरीद समझौतों के माध्यम से किसानों को स्थिर कीमतें भी सुनिश्चित करेगा। सब्जी क्लस्टर पर ध्यान केंद्रित करने से किसानों को विकल्पों की विविधता मिलेगी, जिससे वे अधिक लचीले ढंग से खेती कर सकेंगे।

मैं विशेष रूप से राष्ट्रीय उच्च उपज बीज मिशन और कपास उत्पादकता मिशन का स्वागत करता हूं, जो जलवायु अनुकूल और कीट-प्रतिरोधी बीजों पर अनुसंधान को मजबूत करने में मदद करेगा और दीर्घकालिक नवाचार को गति देगा। हम आशा करते हैं कि निजी क्षेत्र इस पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, क्योंकि इसने अपनी अनुसंधान एवं विकास (R&D) क्षमताओं को बढ़ाया है। हम सरकार के साथ अधिक सक्रिय सहयोग की अपेक्षा रखते हैं, जिससे कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत किया जा सके। यह बजट एक गेम-चेंजर बनने की क्षमता रखता है, जो किसानों, कृषि व्यवसायों और ग्रामीण समुदायों को तेजी से विकसित होती कृषि परिदृश्य में एक साथ आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है।

कृषि रसायन उद्योग, जो कीटों और बीमारियों से फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, GST दरों के युक्तिकरण, अनुसंधान एवं विकास (R&D) में वेटेड डिडक्शन को 200% तक बढ़ाने, और कृषि रसायन क्षेत्र में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना के विस्तार जैसी कई लंबित मांगों पर घोषणा की प्रतीक्षा कर रहा था, को इस बजट में शामिल नहीं किया गया है।

हालांकि, जन विश्वास विधेयक 2.0, जो विभिन्न कानूनों में 100 से अधिक प्रावधानों को अपराधमुक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है और आधारित एवं नागरिक हितैषी शासन प्रणाली को बढ़ावा देता है, स्वागत योग्य है। हम आशा करते हैं कि इस सुधार को फसल सुरक्षा उद्योग तक भी विस्तारित किया जाएगा।

फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (FSII) के अध्यक्ष एवं सवाना सीड्स के सीईओ और एमडी श्री अजय राणा ने बजट 2025 पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित साहसिक नीतिगत सुधारों की सराहना करता हूं, जिनमें राष्ट्रीय उच्च उपज बीज मिशन और कपास उत्पादकता मिशन शामिल हैं। ये दोनों पहलें जलवायु सहनशीलता, कीट प्रतिरोधक क्षमता और उन्नत अनुसंधान एवं बीज नवाचार के माध्यम से पैदावार बढ़ाने पर केंद्रित हैं, जो बीज उद्योग के लिए अत्यधिक लाभकारी सिद्ध होंगी।

उन्होंने आगे कहा कि बीज उद्योग को उम्मीद है कि राष्ट्रीय उच्च उपज बीज मिशन में हाइब्रिड बीज प्रजातियों को भी शामिल किया जाएगा। साथ ही, सरकार द्वारा किसान उत्पादक संगठन (FPO) प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में उठाए गए कदम भी सराहनीय हैं।

श्री अजय राणा ने कहा कि केंद्रीय बजट 2025 भारतीय कृषि को विकास का मुख्य इंजन बनाए रखने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है, जो किसानों को उन्नत संसाधन, बेहतर बाजार पहुंच और नवीनतम तकनीक से सशक्त करेगा। पीएम धन-धान्य कृषि योजना, जिसे आकांक्षी जिलों के कार्यक्रम की तर्ज पर तैयार किया गया है, 100 कम उत्पादकता वाले जिलों के उत्थान के लिए एक ऐतिहासिक पहल है। इससे लाखों किसानों को बेहतर ऋण सुविधाएं, उन्नत भंडारण अवसंरचना, सिंचाई सहायता और फसल विविधीकरण के अवसर मिलेंगे।

उन्होंने दालों और तिलहन में आत्मनिर्भरता के लिए घोषित छह वर्षीय मिशन का स्वागत किया, जो अत्यंत आवश्यक और समयानुकूल पहल है। यह आयात प्रतिस्थापन, मूल्य स्थिरता और भारत की कृषि आत्मनिर्भरता की प्रतिबद्धता को मजबूत करेगा।

उन्होंने कहा कि भारत के निजी क्षेत्र, विशेष रूप से बीज उद्योग, ने कृषि अनुसंधान में अग्रणी भूमिका निभाई है। हम अनुसंधान एवं विकास (R&D) में सार्वजनिक-निजी सहयोग को मजबूत करने की सरकार की प्राथमिकता का पूरा समर्थन करते हैं।
उन्होंने कहा कि हालांकि यह बजट कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण प्रगति है, फिर भी कुछ दीर्घकालिक चिंताओं को संबोधित किया जाना आवश्यक है। राष्ट्रीय उच्च उपज बीज मिशन के उद्देश्यों को पूरी तरह से प्राप्त करने के लिए अनुसंधान एवं विकास (R&D) व्यय पर 200% आयकर कटौती की बहाली एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जो निजी निवेश को आकर्षित करने और अनुसंधान में अधिक वित्तपोषण सुनिश्चित करने में सहायक होगा। इसके अलावा, उद्योग को उम्मीद है कि भविष्य में बीज उद्योग के लिए उत्पादकता आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना का विस्तार किया जाएगा और बीज उत्पादन, प्रसंस्करण, भंडारण एवं परिवहन जैसी गतिविधियों पर जीएसटी छूट प्रदान की जाएगी।

केंद्रीय बजट 25-26 कृषि विकास और किसान कल्याण के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक व्यापक और दूरदर्शी बजट पेश किया है, जो ग्रामीण समृद्धि, आत्मनिर्भरता और कृषि क्षेत्र में तकनीकी प्रगति को प्राथमिकता देता है।

राष्ट्रीय उच्च उपजाऊ बीज मिशन: यह नई पहल, और साथ में कपास उत्पादकता मिशन, भारत के कृषि अनुसंधान में निवेश और जलवायु-प्रतिरोधी, उच्च उपज वाले बीज किस्मों को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। अनुसंधान एवं विकास खर्चों पर 200% आयकर कटौती की बहाली निश्चित रूप से इस मिशन में उद्योग को महत्वपूर्ण योगदान देने में मदद करेगी और हमें उम्मीद है कि सरकार इसे सकारात्मक रूप से देखेगी।

पीएम धन धान्य कृषि योजना: यह परिवर्तनकारी योजना कम उत्पादकता वाले 100 जिलों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिसमें फसल के घनत्व में सुधार, ऋण उपलब्धता, सिंचाई और उपज के बाद भंडारण की सुविधाओं को पंचायत स्तर पर बढ़ावा मिलेगा। इस योजना से 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा, जिससे उत्पादन में वृद्धि, बेहतर बाजार पहुंच और ग्रामीण रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी होगी।

दालों और तेलबीजों के लिए आत्मनिर्भरता मिशन: मैं विशेष रूप से तुअर, उरद और मसूर पर ध्यान केंद्रित करने वाले छह साल के मिशन का स्वागत करता हूं। यह घरेलू खाद्य सुरक्षा को मजबूत करेगा और आयात निर्भरता को कम करेगा। इस पहल का उद्देश्य किसानों के लिए एक स्थिर और पूर्वानुमान योग्य मूल्य निर्धारण ढांचा बनाना है।

फल और सब्जियों के उत्पादन पर जोर: सरकार द्वारा बागवानी पर ध्यान केंद्रित करना बदलती हुई उपभोक्ता आदतों के साथ मेल खाता है, जिससे पोषण, खाद्य सुरक्षा और किसानों की आय में सुधार हो सकता है।

यह बजट एक समृद्ध कृषि क्षेत्र की मजबूत नींव रखता है, जो लाखों किसानों को लाभ पहुंचाते हुए भारत को खाद्य आत्मनिर्भरता और आर्थिक स्थिरता की ओर ले जाएगा। बजट घोषणाओं से स्पष्ट है कि केंद्र सरकार तकनीकी उन्नति, सतत प्रथाओं और लक्षित हस्तक्षेपों पर जोर देते हुए भारतीय कृषि क्षेत्र के विकास को निरंतर नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए प्रयासरत है।

केंद्र सरकार ने बजट 2025 में “समावेशिता” को अपनी दिशा बताई है, लेकिन भारत की दिव्यांग आबादी को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है। न कोई नीति, न कोई वित्तीय प्रावधान – यह उन करोड़ों दिव्यांग लोगों के लिए बहुत बड़ी निराशा है, जो देश की तेजी से बढ़ती सामाजिक और आर्थिक ताकत का अहम हिस्सा बनने की लगातार कोशिश कर रहे हैं।

दिव्यांगजन लंबे समय से सहायक उपकरण निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि इसमें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने की क्षमता है। हम उम्मीद कर रहे थे कि इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कुछ घोषणाएं होंगी, लेकिन हमारी बाकी मांगों की तरह यह भी अनसुनी रह गई। कैंसर, दुर्लभ बीमारियों और गंभीर रोगों के इलाज के लिए जीवनरक्षक दवाओं पर कस्टम ड्यूटी में राहत दी गई है, लेकिन दिव्यांग लोगों के लिए ऐसा कुछ भी नहीं किया गया।

पहली बार उद्यम शुरू करने वाले 5 लाख लोगों को 2 करोड़ रुपये तक का लोन देने की योजना में महिलाओं और एससी/एसटी समुदाय के लोगों को तो शामिल किया गया, लेकिन दिव्यांग उद्यमियों के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया। ‘मेड इन इंडिया’ खिलौना उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बजट में बड़ी घोषणाएं की गई हैं, लेकिन करोड़ों दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने वाले सहायक तकनीक (Assistive Technology) क्षेत्र का कोई जिक्र तक नहीं किया गया।

सीनियर सिटीजन्स के लिए टैक्स छूट की सीमा दोगुनी करना सराहनीय कदम है, लेकिन दिव्यांगजनों को कोई समान लाभ क्यों नहीं दिया गया? उन्हें तो जीवनभर वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जो बजट करोड़ों दिव्यांग नागरिकों को अनदेखा कर दे, वह सच्चे समावेशी विकास का बजट नहीं हो सकता। समान नागरिक होने के नाते, हम अपने अधिकारों और देश की प्रगति में हमारे योगदान को मान्यता देने वाली नीतियों और निवेश की मांग जारी रखेंगे।

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