पूर्णिया: 5 दिनों में एक ही परिवार के तीन लोगों की रहस्यमयी बीमारी से पूर्णिया में मौत हुई थी। अब उसी परिवार में दो और लोगों की तबीयत बिगड़ गई है। वासुदेव ऋषि की मां और 2 बेटों की मौत के बाद उनके तीसरे बेटे मित्तन ऋषि (32) और बेटी गीता देवी (25) की तबीयत बिगड़ गई है।
दोनों के सांस फूलने और पेट दर्द-डायरिया से मिलते-जुलते लक्षण हैं। ऐसी ही स्थिति पड़ोस में रहने वाली मोनी कुमारी (17) की भी है। मित्तन का भागलपुर, गीता और मोनी का इलाज जीएमसीएच पूर्णिया में चल रहा है। गीता 7 माह की गर्भवती है।
स्थिति यह है कि तीन और लोगों को खतरे में देख अब लोग गांव छोड़कर जा रहे हैं। ऐसे में यहां कैंप कर रहे मेडिकल ऑफिसर्स और प्रशासनिक अधिकारियों की भी चिंता बढ़ गई है। मामला रानीपतरा के रामपुर बेलवा गांव का है।
गांव में दहशत और खौफ का अलाम ऐसा है कि वासुदेव ऋषि से न सिर्फ रिश्तेदारों ने बल्कि गांव वालों ने भी किनारा कर लिया है। कभी जिस घर में चहलकदमी रहती थी, आज उस आंगन में सन्नाटा है। कुछ पड़ोसी और आस पड़ोस में रहने वाले ग्रामीण तीन मौत के बाद फैली अफवाह, किस्से और कहानियों के बाद गांव छोड़कर जा चुके हैं, तो कुछ अब इन तीनों की हालत बिगड़ने के बाद घर पर ताला मार रिश्तेदारों के घर जा रहे हैं।
महेन्द्रपुर के चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर राहुल कुमार की निगरानी में स्वास्थ्य विभाग की स्पेशल टीम तकरीबन 1500 की आबादी वाले इस गांव में कैंप कर रही है। गांव, घर, खेत और तालाबों के आसपास कीटनाशक का छिड़काव किया जा रहा है। दादी और दो पोतों की संदिग्ध बीमारी से हुई मौत के बाद तीन की बिगड़ी तबीयत से गांव और उसके आसपास के लोग सहमे हैं। थर्मल स्कैनिंग के अलावा लोगों को साफ-सफाई से रहने और अफवाहों से बचाव को लेकर जागरूक किया जा रहा है।
वासुदेव ऋषि ने कहा कि कुछ महीने पहले तक मां अशिया देवी(80) के अलावा पत्नी रेशमी देवी चार बेटे और बहू, बेटी-दामाद और नाती-पोते से घर भरा था। घर की माली हालत खराब होने की वजह से बड़े और मंझले और संझौले बेटे की तरह ही छोटे बेटे अखिलेश ऋषि (23) ने काम करने की इच्छा जताई। जिसके बाद मैं उसे लेकर बीते अप्रैल में गाजियाबाद चला गया। पत्नी और बच्चों से मिलने की बात कहकर वो बीते गुरुवार को घर लौटा था।
सावन से पहले घर वालों संग मिलकर मुर्गा चावल खाना तय हुआ था। उसने पत्नी संग मिलकर चिकन चावल बनाया। इसके बाद वो घूमने गांव चला गया। घर के कुछ सदस्य खाना खाकर आराम करने चले गए। दूसरी तरफ घर लौटने पर अखिलेश ऋषि खाने बैठता इससे पहले ही उसकी तबीयत बिगड़ गई।
उसे पेट में असहनीय दर्द और उल्टी शुरू हो गई। जिसके बाद घर वालों की मदद से देर रात करीब 2 बजे उसे अस्पताल ले जाया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।
शुक्रवार को अखिलेश के दाह संस्कार के बाद अगले ही दिन शनिवार को मां अशिया देवी की मौत संदिग्ध स्थिति में हो गई। दो मौतों की आग ठंडी होती इससे पहले ही अखिलेश ऋषि को मुखाग्नि देने वाले संझौले बेटे मिथिलेश ऋषि (27) की सोमवार देर दोपहर पेट में तेज दर्द उठा। जिसके बाद मिथुन को इलाज के लिए जीएमसीएच पूर्णिया ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया। हालांकि आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजहों से परिजन उसे घर लेकर चले आए। जिसके बाद सोमवार शाम उसकी भी मौत हो गई।
दामाद विजय ऋषि ने बताया कि मंगलवार को अचानक उनके मंझले साले मित्तन ऋषि (32) और बुधवार रात पत्नी गीता देवी की तबीयत बेहद बिगड़ गई। दोनों को सांस फुलने की शिकायत, पेट में जोरों के दर्द और डायरिया से मिलती जुलती बीमारी थी। दोनों को जीएमसीएच पूर्णिया में एडमिट कराया गया। यहां साले की नाजुक स्थिति को देखते हुए उसे बेहतर इलाज के लिए भागलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। जबकि मेरी 7 माह की गर्भवती पत्नी का इलाज जीएमसीएच पूर्णिया में चल रहा है।
वहीं पड़ोसी झपटी ऋषि ने बताया कि कुछ ऐसे ही लक्षण मेरी बेटी मोनी कुमारी (17) में दिखाई दिए। जिसके बाद मैं बेटी को लेकर जीएमसीएच पूर्णिया पहुंचा। उनकी बेटी का इलाज जारी है।
ग्रामीण हजारी महतो बताते हैं कि समूचे घटनाक्रम से सभी गांव वाले डरे सहमे हैं। कुछ ग्रामीण और पड़ोसी घर छोड़कर गांव से दूर रिश्तेदार के घर चले गए हैं। इस घटना को लेकर लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर राहुल कुमार ने बताया कि गांव में मेडिकल टीम काम कर रही है। गांव, घरों, तालाब और खेतों में कीटनाशक पाउडर का छिड़काव किया गया है। थर्मल स्कैनिंग की जा रही है। फैलती अफवाह और गांव में साक्षरता का स्तर काफी नीचे होने से अफवाहों ने काफी जोर पकड़ा है जिस वजह से काफी परेशानी आई। हालांकि अब लोगों को जागरूक किया जा रहा है। अफवाह से बचने की अपील की जा रही है। इलाजरत मित्तन ऋषि , गीता देवी और मोनी कुमारी की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही बीमारी का पता चल पाएगा। मृतकों का पोस्टमॉर्टम कराया जाता तो मौत के कारणों को स्पष्ट किया जा सकता था। फिलहाल पूरी मेडिकल टीम की नजर इस गांव पर लगी हुई है।