26 लोगों की हत्या को भारत यूं ही जाने नहीं देगा

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अवधेश कुमार (वरिष्ठ पत्रकार)
पहलगाम के वायसरन घाटी में केवल हिंदू पर्यटकों की चुन-चुन कर हत्या की गई। किसी को कलमा पढ़ने के लिए कहा गया तो किसी को नंगा करके देखा गया कि वह हिंदू है या मुसलमान। इस घटना को कोई केवल सामान्य आतंकवादी घटना मान सकता है। हालांकि हर इस्लामी आतंकवादी घटना के पीछे सोच मजहब और जेहाद ही होता है।
जेहाद की बात करने पर उसका अर्थ पूछने वाले अपने तरीके से बताते हैं। बताने वालों का अपना आशय हो सकता है लेकिन व्यवहार में दिखाई पड़ रहा है कि आतंकवादी और इनको प्रश्रय देने वाली शक्तियां इस्लाम और जेहाद के नाम पर ही इन्हें हिंसा करने तथा अपनी जान तक देने के लिए तैयार कर देते हैं। जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिफ मुनीर ने इस्लाम की बात करते हुए बताया कि हिंदू और मुसलमान साथ रह ही नहीं सकते, दोनों दो काम है तो उन्होंने भी जेहाद और इस्लाम को पढ़ा है।
जब नेशनल कांफ्रेंस के सांसद सैयद नुरुल्लाह मेंहदी कश्मीर में पर्यटन को सांस्कृऊत हमला बताते हैं तो उनकी भी एक सोच इस्लाम की है। आतंकवादी कहते हैं कि यह मुसलमान नहीं है मारो और मारते हैं तो यह भी इस्लाम और जेहाद का ही उनके द्वारा अपनाया गया रूप है। कश्मीर के युद्ध को इस्लाम का युद्ध और जेहाद बताने की कोशिश पाकिस्तान की लंबे समय से रही है।
इस हमले के द्वारा आतंकवादियों के माध्यम से फिर वही घृणित संदेश देने की कोशिश है। पाकिस्तान में सेना की इज्जत मिट्टी में मिल चुकी है। उसके भ्रष्टाचार, असफलता एवं अय्याशी के कारनामे मीडिया, सोशल मीडिया में इतने आए हैं कि लोग उनका मजाक उड़ाने लगे हैं। सेना को लगता है कि कश्मीर में फिर आग लगाकर, आतंकवादियों को भेज कर वह अपनी छवि सुधार सकती है और उसने ऐसा करना शुरू कर दिया है। किंतु यह बदला हुआ भारत और बदला हुआ जम्मू कश्मीर है।
अब पहले की तरह आतंकवादियों के विरुद्ध कार्रवाई को रोकने की लोगों के द्वारा कोशिश नहीं होती, पत्थरबाजी नहीं होती , नारा नहीं लगता तथा आवश्यकता पड़ने पर सीमा पर हवाई बमबारी भी होती है। पूरा देश दुखी है लेकिन इसके साथ-साथ प्रत्युत्तर का भाव भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सऊदी अरब से यात्रा रोककर लौटना तथा गृह मंत्री अमित शाह का घटना के तुरंत बाद कश्मीर जाना ,सभी तरह की जानकारी लेना आतंकवादियों के विरुद्ध कार्रवाई तथा घटना स्थल तक जाकर स्थिति समझने एवं सुरक्षा बलों से बातचीत कर निर्देश देना बताता है कि दो दर्जन से ज्यादा निरपराध निहत्थे लोगों की हत्या को अब भारत यूं ही जाने नहीं देगा। अनुच्छेद 370 निषप्रभावी किए जाने के बाद लगभग सामान्य हो रहे जम्मू कश्मीर को फिर पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर आतंकवाद की आग में नहीं झोंक सकता।

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