Kamala Harris
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mahesh khare
महेश खरे की तस्वीर

अमेरिका में नए राष्ट्रपति के चुनाव का माहौल है। चुनाव 5 नवंबर को होंगे। लेकिन, राष्ट्रपति जो बाइडेन के चुनाव मैदान से हटने और कमला हैरिस को डेमोक्रेटिक प्रत्याशी के रूप में समर्थन देने के साथ ही वहां चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। सात अगस्त को भारतवंशी कमला की उम्मीदवारी पर फैसला भी हो जाएगा। लेकिन, बीते एक पखवाड़े से भी कम दिनों में भारतीय मूल की उपराष्ट्रपति रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रम्प को लोकप्रियता के मामले में पीछे छोड़ती जा रही हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव इस बार दो कारणों से भारतीयों के आकर्षण का केन्द्र बन गया है। पहला- भारतीय मूल की कमला हैरिस का प्रत्याशी होना। दूसरा- चुनाव प्रचार में संविधान और लोकतंत्र बचाओ जैसे मुद्दों का उठना।

संविधान और लोकतंत्र का मुद्दा

कमला हैरिस ने अपनी पहली ही सभा में भारत के चुनाव की तर्ज पर संविधान और लोकतंत्र बचाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने अमेरिकी जनता को सचेत किया -अगर डोनाल्ड ट्रम्प जीते तो वे अमेरिका का संविधान बदल देंगे। लोकतंत्र को बचाने के लिए ट्रम्प को हराना जरूरी है। चुनावी सभाओं में तल्ख टिप्पणियां भारत के चुनाव की याद दिला रहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इंडिया ब्लॉक के नेताओं के बीच कड़वे बोलों की तपन अभी भी भारत में शांत नहीं हो पाई है। संविधान और लोकतंत्र बचाओ का मुद्दा भारत में हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के नेताओं ने उठाया था। चुनाव में विपक्ष का यह मुद्दा मोदी के खिलाफ काफी हद तक कारगर रहा। लोकसभा में विपक्ष मजबूत बनकर उभरा और मोदी की भाजपा बहुमत के जादुई आंकड़े से दूर 240 सीटों पर अटक कर रह गई। हालांकि, एनडीए गठबंधन बहुमत पाने में कामयाब रहा और मोदी के ही नेतृत्व में लगातार तीसरी बार सरकार बनी। माना जा रहा है कि इस मुद्दे से अमेरिका में भी फायदा उठाया जा सकता है। ट्रंप पर संविधान को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। पहली बार ये सवाल तब उठा था जब उनके उकसाने पर समर्थक व्हाइट हाउस में दाखिल हो गए थे। इसके बाद लगातार ट्रंप पर ये आरोप लगते रहे कि वह संविधान को खत्म करने की तैयारी में हैं।

मजबूत हैं दौनों देशों के रिश्ते

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प से मोदी के रिश्ते जगजाहिर हैं। यह बात भी उल्लेखनीय है कि वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में भी भारत के साथ द्विपक्षीय रिश्ते सौहार्दपूर्ण रहे। हैरिस या ट्रम्प दौनों में से कोई भी अमेरिका का राष्ट्रपति बने…भारत के दौनों हाथों में लड्डू रहेंगे। फिर भी आम भारतीय भारतवंशी कमला को राष्ट्रपति पद पर देखना चाहता है। चुनाव बाद दौनों देशों के बीच रिश्ते और मजबूत होने की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता। जब दुनिया के कई देश युद्ध की विभीषिका झेल रहे हों तब भारत अमेरिका को एक दूसरे की जरूरत है… यदि यह कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा।

प्रचार में तल्ख टिप्पणियां

कमला हैरिस अपने प्रतिद्वंद्वी के अतीत को कुरेदते हुए हमलावर हैं। मतदाताओं को रिझाने के लिए वे यह बताने से नहीं चूक रहीं कि पूर्व राष्ट्रपति पर किस तरह मुकदमा चलाएंगीं। ट्रम्प भी कमला हैरिस की नस्लीय पहचान को लेकर मुखर हैं। हैरिस के बारे में ट्रंप ने कहा- उन्होंने हाल फिलहाल तक अपनी एशियन- अमेरिकन विरासत पर ही ज़ोर दिया था। अब वो एक अश्वेत बन गई हैं। कुछ साल पहले तक मैं नहीं जानता था कि वो अश्वेत हैं, अब वो खुद को अश्वेत के रूप में पेश करना चाहती हैं। ट्रम्प लगभग हर डिबेट में अपना एक सवाल जरूर उछालते हैं। वह यह कि कमला हैरिस भारतीय हैं या अश्वेत?

युद्ध और गर्भपात पर मतभेद

रूस-यूक्रेन और इज़राइल- फिलिस्तीन के बीच युद्ध को लेकर अमेरिका में डेमोक्रेट और रिपब्लिकन के दृष्टिकोण अलग- अलग हैं। ट्रम्प ने तो फिलिस्तीन को चेतावनी तक दे डाली कि वह उनके राष्ट्रपति बनने से पहले युद्ध समाप्त कर दे… वरना पछताना पड़ेगा। डेमोक्रेट इज़राइल से नाराज़ लगते हैं। पार्टी का मानना है कि इज़राइल युद्ध बन्द करने के प्रयासों में बाधक बन रहा है। इसके अलावा गर्भपात पर भी अमेरिकी जनमानस बटा हुआ है। परिवार में बच्चों का ना होना भी मुद्दा बनता जा रहा है। उधर डेमोक्रेट पाकिस्तान को अधिक आश्रय देते हैं और ट्रम्प ‘अमेरिका फर्स्ट’ के जनक व घोर समर्थक हैं। दोनों ही पार्टियां चीन के प्रभाव को सीमित करने के लिए समर्थ और शक्तिशाली भारत के पक्षधर हैं। भारतीय मूल के अमेरिकी दोनों ही पार्टियों और शीर्ष पदों पर हैं। भविष्य में उनका प्रभाव बढ़ने से इंकार नहीं किया जा सकता है।

ट्रम्प पर हमले के बाद…

पेनसिल्वेनिया में हुए हमले में बाल बाल बचे ट्रम्प की साहसिक मुद्राओं की तस्वीरों ने अमेरिकी जनमानस पर अमिट छाप छोड़ी है। जहां घटना घटी वहां सीक्रेट सर्विस एजेंट्स की मौजूदगी में सुरक्षा के ज़बर्दस्त इंतज़ाम थे।इस घटना से अमेरिकी लोगों में ये संदेश गया कि देश के पूर्व राष्ट्रपति भी हिंसा से बच नहीं सकते। क्या हिंसा अब अमेरिका की रोज़मर्रा ज़िंदगी में अनिवार्य बन गई है? अमेरिका के 46 राष्ट्रपतियों में से चार तो पद पर रहते हुए मारे गए। आधा दर्जन से ज्यादा पर पद छोड़ने के पहले या बाद में हमले हुए। सवाल पूछा जाने लगा है कि अमेरिका में क्या ‘गन कल्चर’ स्वतंत्र अभिव्यक्ति का विकल्प बनने लगा है? इस तरह के हमले क्या लोकतांत्रिक देशों की नियति बन गए हैं?

कौन हैं कमला हैरिस

अमेरिका में जन्मी कमला हैरिस भारत में जन्मी अपनी मां और जमैका में जन्मे पिता की संतान हैं। कमला जब पांच साल की थीं तब उनकी मां श्यामला गोपालन और पिता डोनाल्ड हैरिस अलग हो गए थे। कमला और बहन माया की परवरिश उनकी सिंगल हिंदू मां ने ही की। वे आज भी भारत से जुड़ी हुई हैं। साउथ इंडियन व्यंजन भी वे बड़े चाव से खातीं हैं। जब कमला ने 2014 में वकील डगलस एम्पहॉफ से शादी की तो इसमें भारतीय और यहूदी परंपरा दोनों निभाई गई। कमला ने डगलस को फूलों की माला पहनाई, जबकि डगलस ने यहूदी परंपरा के तहत पैर से कांच तोड़ी।

थुलसेंद्रपुरम में जश्न और पूजा

कमला हैरिस के 2020 में अमेरिका की पहली महिला उप राष्ट्रपति बनने पर तमिलनाडु के गांव में जश्न का माहौल रहा। तिरुवरुर जिले के थुलसेंद्रपुरम गांव में उनका ननिहाल है। उनके नाना पीवी गोपालन इसी गांव के रहने वाले थे। अब कमला के राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी बनने से थुलसेंद्रपुरम के ग्रामीण उत्साहित हैं। गांव के दरवाजे पर ही एक मंदिर के बाहर कमला हैरिस की तस्वीर के साथ एक बैनर लगा है। मंदिर में पूजा- अर्चना जारी है, जो वोटिंग के दिन तक जारी रहेगी। मंदिर के मुख्य पुजारी एम. नटराजन मीडिया से बात करते हुए कहते हैं- पहले भी उनके लिए पूजा की थी। तब वे अमेरिका की उपराष्ट्रपति बन गईं थीं। अब वे राष्ट्रपति भी बनेंगी। गांव के लोग कमला हैरिस को उनके नए पद और काम के लिए अग्रिम शुभकामनाएं दे रहे हैं। गांव वालों का कहना है कि उन्हें इस बात का गर्व है कि कमला हैरिस का उनके गांव से नाता है।

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