Indian Politics: 2026 का महायुद्ध तय- 2025 में एनडीए की जीत के बाद अब पांच राज्यों में विपक्ष की आखिरी परीक्षा

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2026 में पांच राज्यों में सत्ता की निर्णायक लड़ाई
Highlights
  • • 2025 में NDA की निर्णायक जीत • 2026 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव • पश्चिम बंगाल में TMC बनाम BJP • तमिलनाडु में द्रविड राजनीति की परीक्षा • केरल और असम में सत्ता का बड़ा इम्तिहान

Indian Politics में 2025 एनडीए के नाम, विपक्ष के लिए निराशा का साल

Indian Politics के लिहाज से साल 2025 सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के लिए ऐतिहासिक रहा। दिल्ली और बिहार में मिली निर्णायक जीत ने भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर पहुंचा दिया। दूसरी ओर, यह वर्ष विपक्ष के लिए विघटन, हताशा और राजनीतिक बिखराव का प्रतीक बन गया।

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सत्ता से बाहर हो गई, जबकि बिहार में कांग्रेस, राजद और वाम दलों का महागठबंधन लगभग साफ हो गया। विपक्ष की यह स्थिति साफ संकेत देती है कि 2025 उनके लिए आत्ममंथन का वर्ष रहा।

Indian Politics में 2026 बनेगा नया रणक्षेत्र

Indian Politics में हालांकि कुछ भी स्थायी नहीं होता। 2026 एक नया युद्ध लेकर आ रहा है, जहां विपक्ष सत्ता की जड़ों को हिलाने के लिए आखिरी दम तक कोशिश करेगा। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में होने वाले विधानसभा चुनाव न केवल राज्यों की सरकार तय करेंगे, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति की दिशा भी निर्धारित करेंगे।

मार्च से मई 2026 के बीच होने वाले इन चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक दल अभी से मैदान में उतर चुके हैं। भाषणों में तल्खी, रणनीतियों में धार और हर कदम सत्ता की लालसा से भरा नजर आ रहा है।

Indian Politics में पश्चिम बंगाल सबसे बड़ा अखाड़ा

Indian Politics में पश्चिम बंगाल सबसे बड़ा सियासी अखाड़ा बनता नजर आ रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस अभी भी सत्ता में मजबूत किले की तरह खड़ी है, लेकिन इस किले की दीवारों पर लगातार भगवा हमले हो रहे हैं।

2016 में महज तीन सीटों तक सिमटी भाजपा 2021 में 77 सीटों तक पहुंच गई थी। यह उछाल संयोग था या स्थायी चुनौती, इसका फैसला 2026 करेगा। ममता बनर्जी 213 सीटों और लगभग 50 प्रतिशत वोट शेयर के साथ सत्ता में हैं, लेकिन महंगाई, बेरोजगारी और स्थानीय असंतोष उनके सामने गंभीर चुनौतियां बनकर खड़े हैं।

भाजपा बिहार की जीत के बाद दोगुने उत्साह के साथ मैदान में उतर चुकी है। वहीं कांग्रेस और वाम दल अपनी खोई जमीन तलाशने की कोशिश में हैं, लेकिन जनता उन्हें अब गंभीर विकल्प के रूप में देखने को तैयार नहीं दिखती। विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत मतदाता सूची में हो रहे बदलाव ने बंगाल की राजनीति में आग और घी का काम किया है।

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Indian Politics में तमिलनाडु की त्रिकोणीय जंग

Indian Politics में तमिलनाडु हमेशा से द्रविड राजनीति का गढ़ रहा है। द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बीच सत्ता की रस्साकशी एक बार फिर चरम पर है। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के नेतृत्व में द्रमुक मजबूत स्थिति में है, लेकिन सत्ता विरोधी लहर की आहट साफ सुनाई देने लगी है।

रोजगार, नीट परीक्षा, बिजली दरें और प्रशासनिक अपेक्षाएं सरकार के लिए अग्निपरीक्षा बन चुकी हैं। अन्नाद्रमुक और भाजपा का गठबंधन इस बार पहले से ज्यादा संगठित नजर आ रहा है। अन्नाद्रमुक महासचिव पलानीसामी का दावा है कि यह मोर्चा 200 से अधिक सीटें जीत सकता है।

इस समीकरण को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला नाम है अभिनेता विजय। उनकी पार्टी तमिलगा वेत्री कझगम पहली बार चुनावी मैदान में है और युवाओं में उसका प्रभाव नकारा नहीं जा सकता, हालांकि करूर की भगदड़ की घटना ने उनकी छवि को झटका जरूर दिया है।

Indian Politics में असम में सत्ता बनाम असंतोष

Indian Politics में असम भी एक अहम मोर्चा है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा भाजपा के सबसे आक्रामक और प्रभावशाली चेहरों में गिने जाते हैं। 2021 में 75 सीटें जीतने के बावजूद अब सत्ता विरोधी भावना उभरती दिख रही है।

हिमंता सरमा का दावा है कि एनडीए 100 से अधिक सीटें जीतेगा, लेकिन राजनीति में दावे अक्सर जमीनी सच्चाई से टकराते हैं। कांग्रेस के लिए यह करो या मरो की लड़ाई है। नए प्रदेश अध्यक्ष गौरव गोगोई के सामने चुनौती है कि लोकसभा चुनावों की सफलता को विधानसभा में बदला जा सके। एआईयूडीएफ की भूमिका यहां निर्णायक साबित हो सकती है।

Indian Politics में केरल की परंपरा टूटेगी या बनेगी?

Indian Politics में केरल हमेशा सत्ता परिवर्तन के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन वाम मोर्चा इस परंपरा को तोड़ चुका है। अब वह तीसरी बार सत्ता में लौटने का सपना देख रहा है।

मुख्यमंत्री पिनराई विजयन विकास और निरंतरता के नाम पर जनता से समर्थन मांग रहे हैं। कांग्रेस नीत यूडीएफ के लिए यह अस्तित्व की लड़ाई बन चुकी है। अगर इस बार भी हार मिली, तो केरल में कांग्रेस और कमजोर हो सकती है। भाजपा के लिए भी यह चुनाव ऐतिहासिक है — यदि एक भी सीट जीतती है, तो केरल की राजनीति में नया अध्याय शुरू होगा।

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Indian Politics में पुडुचेरी बना कमजोर कड़ी

Indian Politics में पुडुचेरी एनडीए के लिए सबसे कमजोर कड़ी साबित हो रहा है। गठबंधन सरकार अंदरूनी कलह से जूझ रही है। मंत्री का इस्तीफा, दलित असंतोष और राजनीतिक अस्थिरता सत्ता को कमजोर कर रही है।

द्रमुक यहां अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है, जबकि कांग्रेस केवल इतना चाहती है कि उसका अस्तित्व प्रदेश की राजनीति से पूरी तरह खत्म न हो।

Indian Politics में 2026 सिर्फ चुनाव नहीं, भविष्य की लड़ाई

Indian Politics में 2026 के विधानसभा चुनाव सत्ता और विपक्ष — दोनों के लिए निर्णायक साबित होंगे। यह चुनाव केवल सरकारें नहीं बदलेंगे, बल्कि यह तय करेंगे कि लोकतंत्र में विकल्प जिंदा हैं या नहीं।

2026 का रण सिर्फ सत्ता का नहीं, बल्कि भारत के राजनीतिक भविष्य का है।

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