लक्ष्मीपुर(जमुई): देश के संविधान की मूल भावना मानी जाने वाली प्रस्तावना में छेड़छाड़ को ले सत्ता और विपक्ष खुब हाय तौबा कर रही है। लेकिन स्थानीय स्तर पर पूर्व में हुई गलतियों को लेकर दोनों ही उदासीन बने हैं।
मामला केंद्र सरकार के निर्देश पर राष्ट्र को समर्पित उस शिलापट्ट से जुड़ा है जिसपर देश के संविधान की प्रस्तावना लिखी गई है। लक्ष्मीपुर प्रखंड मुख्यालय स्थित प्रखंड सह अंचल कार्यालय में लगाए गए संविधान की प्रस्तावना शिलापट्ट पर लिखी गई है। लेकिन प्रस्तावना के तीन महत्वपूर्ण शब्द समाजवादी,धर्म निरपेक्ष व राष्ट्र की अखंडता शिलापट्ट पर लिखे गए प्रस्तावना से गायब हैं।
दरअसल देश की आजादी के 25 वें वर्षगांठ पर केन्द्र सरकार के द्वारा राष्ट्र को प्रस्तावना से अंकित शिलापट्ट समर्पित किया गया था और स्थानीय प्रशासन को उक्त शिलापट्ट को प्रत्येक प्रखंड सह अंचल कार्यालय मे स्थापित करने का निर्देश दिया गया था।
उक्त निर्देश के आलोक में 15 अगस्त 1972 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लक्ष्मीपुर स्थित प्रखंड सह अंचल कार्यालय के मुख्य प्रवेश द्वार के पास शिलापट्ट लगाया गया। जिस समय शिलापट्ट लगाने का निर्देश दिया गया था उस समय संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी,धर्मनिरपेक्ष व राष्ट्र की अखंडता शब्द नहीं जुड़े थे। शिलापट्ट लगाए जाने के चार साल बाद 42 वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा संविधान की प्रस्तावना में उपर्युक्त तीनों नए शब्द जोड़े गए। महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रस्तावना में तीन नए शब्द तो जोड़ दिए गए लेकिन उक्त संशोधन के 48 वर्ष बीत गए और आजतक शिलापट्ट पर वही पुराना प्रस्तावना अंकित है।