ईरान बना रहा परमाणु हथियार? जंग के बाद पहली बार तेहरान पहुंची टीम, जान लीजिए..

3 Min Read

ईरान और इजराइल के बीच 12 दिनों तक चली जंग के बाद संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी (न्यूक्लियर वॉचडॉग) करने वाली एजेंसी की एक टीम तेहरान पहुंची है। जंग के बाद ईरान ने संयुक्त राष्ट्र की अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ सहयोग करना बंद (सस्पेंड) कर दिया था। तेहरान का कहना है कि उसकी परमाणु सुविधाओं पर इजरायली और अमेरिकी हमलों की निंदा करने में IAEA विफल रहा है।

IAEA के डॉयरेक्टर जनरल राफेल ग्रॉसी ने मंगलवार को प्रसारित हुए एक इंटरव्यू में बताया कि अब IAEA के इंस्पेक्टर की पहली टीम ईरान में वापस आ गई है और हम इसे फिर से शुरू करने वाले हैं। ग्रॉसी ने कहा, “जब ईरान की बात आती है, जैसा कि आप जानते हैं, वहां कई (परमाणु) सुविधाएं हैं। कुछ पर हमला किया गया, कुछ पर नहीं… इसलिए हम चर्चा कर रहे हैं कि वहां अपना काम फिर से शुरू करने के लिए किस तरह के व्यावहारिक तौर-तरीके लागू किए जा सकते हैं।

यूरोपीय शक्तियों के साथ वार्ता में शामिल हुए ईरान के उप विदेश मंत्री काजेम गरीबाबादी ने कहा कि यूरोपीय तिकड़ी के लिए “सही विकल्प चुनने और कूटनीति को समय और स्थान देने” का उचित समय है। दरअसल ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी खुद 2015 के समझौते में शामिल थे। उन्होंने अगस्त के अंत तक इस समझौते के स्नैपबैक मैकेनिज्म को शुरू करने की धमकी दी है। मंगलवार की बैठक 12 दिवसीय युद्ध की समाप्ति के बाद से यूरोपीय राजनयिकों के साथ बातचीत का दूसरा दौर था।

जून में हुई यह जंग इजरायल के आश्चर्यजनक हमले के कारण शुरू हुई थी। इस जंग ने अमेरिका के साथ ईरान की परमाणु वार्ता को पटरी से उतार दिया। साथ ही इसने IAEA के साथ ईरान के संबंधों पर भी असर डाला। तेहरान ने अपनी परमाणु सुविधाओं पर हमलों के लिए आंशिक रूप से संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी को दोषी ठहराया।

2015 में हुए परमाणु समझौते को 2018 में तब तार-तार कर दिया गया, जब राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने एकतरफा रूप से अमेरिका को इससे बाहर कर लिया था और ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए।

ये भी पढ़ें…2030 में भारतीय नौसेना गजब का ताकत, 300 से ज्यादा ब्रह्मोस मिसाइलों की मारक क्षमता..20 स्टील्थ फ्रिगेट

Share This Article