नितिन गौतम
नेपाल में एक बार फिर सरकार बदलने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। दरअसल नेपाली मीडिया के अनुसार, नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के बीच समझौता हो गया है। इस समझौते के तहत दोनों पार्टियां मिलकर सरकार बनाएंगी। इसके तहत नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड की कुर्सी जा सकती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्किस्ट लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) के नेता केपी शर्मा ओली के बीच सोमवार की रात समझौता हुआ है और मंगलवार को इसे सार्वजनिक किया जा सकता है।
केपी शर्मा ओली बन सकते हैं नेपाल के नए प्रधानमंत्री
देउबा और ओली के बीच शनिवार को हुई बैठक उस वक्त हुई है, जब सीपीएन-यूएमएल ने प्रचंड की सरकार को चार महीने बाद ही अपना समर्थन वापस ले लिया है। देउबा और ओली नई सरकार के गठन पर सहमत हो गए हैं। मीडिया में दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं के हवाले से कहा गया है कि समझौते के तहत दोनों पार्टियों में सत्ता का बंटवारा होगा और नए गठबंधन का नेतृत्व केपी शर्मा ओली डेढ़ साल के लिए और फिर बाकी कार्यकाल के लिए शेर बहादुर देउबा प्रधानमंत्री पद संभालेंगे। वहीं वित्त मंत्रालय सीपीएन-यूएमएल को और गृह मंत्रालय नेपाली कांग्रेस को मिल सकता है।
प्रचंड सरकार से आज इस्तीफा दे सकते हैं आठ मंत्री
प्रचंड सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद प्रचंड कैबिनेट में शामिल सीपीएन-यूएमएल के आठ मंत्री आज अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। सीपीएन-यूएमएल पार्टी के चीफ व्हिप महेश बारतौला ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री प्रचंड भी जल्द ही इस्तीफा दे सकते हैं और देश में नई सरकार का गठन हो सकता है। सीपीएन-यूएमएल ने आज दोपहर तीन बजे पार्टी कार्यालय में बैठक बुलाई है, जिसमें बड़ा फैसला हो सकता है। सीपीएन-यूएमएल के प्रचंड सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद सरकार अल्पमत में आ सकती है।
नेपाल बीते कई वर्षों से राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। हालात ये हैं कि बीते 16 वर्षों में नेपाल में 13 सरकारें बदल चुकी हैं। 275 सदस्यों वाली नेपाली संसद में नेपाली कांग्रेस के पास 89 सीटें हैं। वहीं सीपीएन-यूएमएल के पास 78 और प्रचंड के नेतृत्व वाली सीपीएन-माओवादी सेंटर के पास 32 सीटें हैं।
प्रधानमंत्री प्रचंड का इस्तीफा देने से इनकार
वहीं नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के बीच गठबंधन की खबरों पर प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने उनकी सरकार के अल्पमत में आने के बावजूद पद से इस्तीफा नहीं देने का फैसला किया है। प्रचंड ने मंगलवार को अपनी पार्टी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी केंद्र के पदाधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें इस्तीफा न देने का फैसला किया गया। पार्टी के एक नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने विश्वास मत हासिल करने का फैसला किया है। गौरतलब है कि अपने डेढ़ साल के कार्यकाल के दौरान प्रचंड ने तीन बार विश्वास मत हासिल किया है। नेपाल के संविधान के अनुसार, प्रधानमंत्री को विश्वास मत साबित करने के लिए 30 दिनों का समय मिलता है। प्रचंड की पार्टी ने संकेत दिए हैं कि इस दौरान वह सहयोगी पार्टियों से बात करके सरकार बचाने की कोशिश करेंगे।