बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मुकाबला दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। बीजेपी के बाद अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) यानी जदयू (JDU) ने भी अपने सभी 101 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इस लिस्ट के जारी होते ही राजनीतिक गलियारों में नई हलचल मच गई है। जदयू की इस फाइनल लिस्ट (JDU Candidate Second List) में कई पुराने चेहरों की वापसी हुई है, तो कुछ नए उम्मीदवारों को मौका मिला है।
लेकिन इस सूची में एक बड़ा विवाद उभर आया है—मुस्लिम उम्मीदवारों की हिस्सेदारी मात्र 4% रखी गई है, जो राजनीतिक तौर पर चर्चा का बड़ा विषय बन गया है।
जदयू ने जारी की अपनी दूसरी और अंतिम उम्मीदवार सूची


जदयू ने गुरुवार देर शाम अपनी दूसरी लिस्ट जारी की। इसमें पार्टी ने 44 नए नामों का ऐलान किया। कल बुधवार को जनता दाल यूनाइटेड ने 57 नामों की घोषणा की थी, इसके साथ ही नीतीश कुमार की पार्टी ने कुल 101 उम्मीदवारों की सूची फाइनल कर दी है, जो NDA गठबंधन के अंतर्गत जदयू कोटे की सभी सीटें हैं।
इस लिस्ट में कई पुराने विधायकों को दोबारा टिकट दिया गया है, जबकि कुछ सीटों पर नए चेहरे उतारे गए हैं। खास बात यह है कि नबीनगर सीट से आरजेडी छोड़कर आए चेतन आनंद को टिकट दिया गया है। चेतन आनंद के पिता आनंद मोहन कभी बिहार की राजनीति के मजबूत चेहरों में गिने जाते थे।
मुसलमान उम्मीदवारों की संख्या मात्र 4% — उठे सवाल
पूरे 101 उम्मीदवारों में सिर्फ 4 मुस्लिम चेहरों को टिकट मिलने से जदयू पर सवाल उठने लगे हैं। राजनीतिक विश्लेषक इसे नीतीश कुमार की रणनीतिक शिफ्ट बता रहे हैं।
पहले जदयू को “मुस्लिम-यादव समीकरण” का लाभ मिलता था, लेकिन इस बार नीतीश कुमार ने जातीय संतुलन के साथ एनडीए वोट बैंक को मजबूत करने पर फोकस किया है।
हालांकि इस कम प्रतिनिधित्व से पार्टी के भीतर और बाहर असंतोष की आवाज़ें भी उठ रही हैं। विपक्ष ने इसे “मुस्लिम विरोधी मानसिकता” बताया है, जबकि जदयू का कहना है कि टिकट “योग्यता और जीत की संभावना” के आधार पर दिया गया है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इस बार जदयू का मकसद सिर्फ सीट जीतना नहीं बल्कि अपना परंपरागत वोट बैंक दोबारा सक्रिय करना भी है।
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जदयू का फोकस ‘जीतने योग्य चेहरों’ पर
पार्टी सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार ने इस बार साफ कहा है कि “टिकट योग्यता पर, न कि जाति पर।” यही वजह है कि टिकट वितरण में सामाजिक समीकरण के साथ-साथ ग्राउंड लेवल पर वोटिंग संभावनाओं का डेटा एनालिसिस किया गया।
इसके लिए JDU Election Committee ने 5 स्तर की समीक्षा की और प्रत्येक उम्मीदवार की रिपोर्ट सीधे नीतीश कुमार को सौंपी।
विपक्ष ने साधा निशाना, जदयू बोली—“वोट बैंक नहीं, विकास मायने रखता है”
राजद और कांग्रेस ने जदयू पर मुस्लिम समुदाय की अनदेखी का आरोप लगाया है।
राजद प्रवक्ता ने कहा — “नीतीश कुमार की राजनीति अब पूरी तरह भाजपा की छाया में है। वह अल्पसंख्यकों को हाशिए पर धकेल रहे हैं।”
वहीं, जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने पलटवार करते हुए कहा — “हम विकास और सुशासन की राजनीति करते हैं, न कि वोट बैंक की। जो काम करता है, वही उम्मीदवार बनता है।”
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जदयू की दूसरी लिस्ट से क्या संकेत मिलते हैं?
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि जदयू ने इस सूची के ज़रिए एक मजबूत और सधा हुआ राजनीतिक संदेश दिया है। पार्टी अब विकास, सुशासन और गठबंधन के संतुलन पर ज़ोर दे रही है।
मुस्लिम उम्मीदवारों की कम हिस्सेदारी के बावजूद जदयू यह दिखाना चाहती है कि वह ‘सबका साथ, सबका विकास’ के एजेंडे पर काम कर रही है।
बिहार चुनाव 2025 से पहले JDU Candidate Second List ने राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है।
जहां एक ओर नीतीश कुमार की पार्टी अपने संगठन और गठबंधन को मज़बूत करने में जुटी है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इस लिस्ट को “सम्प्रदायिक झुकाव” बता रहा है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जदयू का यह “नया संतुलन” उसे 101 में से आधे से ज्यादा सीटें दिला पाएगा या नहीं।
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