SIR पर JDU सांसद और विधायक ने खोला मोर्चा, बोले-चुनाव आयोग लाखों बिहारियों को मुश्किल में डाल दिया..

By Aslam Abbas 186 Views Add a Comment
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बिहार में मतदाता सूची के ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ पर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से भी आवाज उटने लगी है। एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री ललन सिंह सहित अन्य वरिष्ठ जदयू नेता एसआईआर (SIR) का समर्थन कर रहे हैं तो दूसरी ओर उनके ही दल के सांसदों और विधायकों की ओर से खिलाफ में बयानबाजी शुरू हो गई है।

बांका से जदयू के सांसद गिरधारी यादव और उसके बाद परबत्ता विधायक डॉ संजीव कुमार ने एसआईआर की टाइमिंग पर सवाल उठाया। पटना में डॉ संजीव ने कहा कि बड़ी संख्या में बिहार के लोग अन्य राज्यों में हैं। ऐसे में इतने कम समय में वे कैसे एसआईआर की प्रक्रिया में शामिल हो पाएंगे। चुनाव आयोग द्वारा दी गई समय अवधि को कम बताते हुए कहा कि अगर एसआईआर करना ही था तो होली के समय से शुरू करते। उन्होंने टाइमिंग को लेकर चुनाव आयोग की व्यवहारिकता पर सवाल उठाया।

वहीं एसआईआर विवाद में बांका से सांसद गिरधारी यादव ने कहा कि चुनाव आयोग को कोई व्यावहारिक ज्ञान नहीं है। उसे न तो बिहार का इतिहास पता है और न ही भूगोल। मुझे सारे दस्तावेज़ इकट्ठा करने में 10 दिन लग गए। मेरा बेटा अमेरिका में रहता है। वह फॉर्म पर हस्ताक्षर कैसे करेगा। उन्होंने कहा कि तुगलकी फरमान की तरह चुनाव आयोग काम कर रहा है।

संसद के मानसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार सुबह संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए गिरिधारी यादव ने कहा कि यह ‘विशेष गहन पुनरीक्षण हम पर ज़बरदस्ती थोपा गया है। उन्होंने कहा कि अगर हम सच नहीं बोल सकते, तो MP क्यों बने हैं? जदयू के एसआईआर के समर्थन करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम पार्टी के साथ सिर्फ वोट डालने के समय हैं। जब मैं वोट डालने जाऊंगा तब मेरा पार्टी से नाता है यह मेरा स्वतंत्र विचार है। यह मेरा पार्टी के खिलाफ बयान नहीं है बल्कि यह सच्चाई है कि एसआईआर के लिए छह महीने या उससे ज्यादा ज्यादा समय लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इस समय मानसून चल रहा है। लोगों के खेती का समय है। ऐसे में एसआईआर करना दिखाता है कि चुनाव आयोग को “कोई व्यावहारिक ज्ञान नहीं” है।

एसआईआर को लेकर विपक्षी दलों की ओर से लगातार विरोध किया जा रहा है. इस मुद्दे पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पटना में बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के साथ मिलकर सड़क पर प्रदर्शन किया था. वहीं बिहार विधानसभा के मानसून सत्र में पिछले तीन दिनों से इसी मुद्दे को लेकर हंगामा मचा है. अब विपक्ष के साथ ही जदयू सांसद भी इसे अव्यवहारिक बताने लगे हैं. हालांकि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसका समर्थन कर रहे हैं लेकिन उनके ही सांसद ने अब इसके खिलाफ आवाज बुलंद की है।

चुनाव आयोग ने कहा है कि यह संशोधन – एक संवैधानिक रूप से अनिवार्य प्रक्रिया है. खासकर उन लोगों का नाम हटाने के लिए ज़रूरी है जिनकी मृत्यु हो गई हो या जो पलायन कर गए हों, या जिनका दो बार पंजीकरण हो चुका हो. मंगलवार को चुनाव आयोग ने कहा कि लगभग 52 लाख प्रविष्टियाँ हटा दी गई हैं. पिछले हफ़्ते चुनाव आयोग ने यह भी कहा था कि काफ़ी संख्या में ‘मतदाता’ विदेशी देशों से हैं।

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