ज्योति सिंह काराकाट चुनाव 2025 — भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह की पत्नी ने निर्दलीय मैदान में भरी ताल
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे चुनावी मैदान में एक से बढ़कर एक सियासी और व्यक्तिगत कहानियां सामने आ रही हैं।
नवीनतम घटनाक्रम में भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह ने काराकाट विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर सबको चौंका दिया है।
यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब ज्योति सिंह और पवन सिंह के वैवाहिक रिश्ते लगातार सुर्खियों में हैं। कुछ समय पहले तक यह चर्चा थी कि बीजेपी में दोबारा सक्रिय होने के बाद पवन सिंह खुद काराकाट से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। लेकिन उन्होंने यह साफ कर दिया था कि वह बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नहीं लड़ेंगे।
अब उनकी पत्नी ज्योति सिंह ने यह कदम उठाकर राजनीतिक और व्यक्तिगत दोनों ही स्तरों पर नई हलचल पैदा कर दी है।
नामांकन दाखिल — हलफनामे में खुलासा, खुद को बताया ‘परित्यक्त नारी’

नामांकन के साथ दाखिल किए गए चुनावी हलफनामे (Affidavit) में ज्योति सिंह ने कई चौंकाने वाली जानकारियाँ दी हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने पति के नाम का सीधा उल्लेख नहीं किया, बल्कि अपने वैवाहिक स्थिति के कॉलम में खुद को ‘परित्यक्त नारी’ लिखा है — यानी ऐसी महिला जिसे पति ने छोड़ दिया हो।
यह खुलासा सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है, क्योंकि उन्होंने पति की जगह “ख्याति प्राप्त भोजपुरी कलाकार” लिखा है।
यह पहली बार है जब किसी भोजपुरी सुपरस्टार से जुड़ा निजी मामला राजनीतिक दस्तावेज का हिस्सा बना है।
ज्योति सिंह की कुल संपत्ति — हलफनामे में सामने आई पूरी जानकारी
हलफनामे के अनुसार, पिछले पांच सालों में उनकी कुल संपत्ति में कोई वृद्धि नहीं हुई है।
उन्होंने अपनी कुल संपत्ति ₹18 लाख 80 हजार रुपये घोषित की है, जिसमें शामिल हैं:
• 2024 मॉडल की ग्रैंड विटारा कार, कीमत लगभग ₹14 लाख
• 30 ग्राम सोना (मंगलसूत्र, चेन, अंगूठी) — अनुमानित कीमत ₹4 लाख
• ₹80,000 नकद राशि
यह जानकारी बताती है कि ज्योति सिंह ने अपनी जीवनशैली और आर्थिक स्थिति को पूरी पारदर्शिता से रखा है।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उन्होंने राजनीति में प्रवेश किसी पार्टी के प्रतीक या समर्थन से नहीं, बल्कि जनता के भरोसे किया है।
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“अब जनता ही मेरी पार्टी है” — नामांकन के बाद ज्योति सिंह का बयान
नामांकन दाखिल करने के बाद ज्योति सिंह ने एक भावनात्मक बयान दिया, जिसने कई लोगों का ध्यान खींचा।
उन्होंने कहा —
“अब जनता ही मेरी पार्टी है। मैं किसी दल से नहीं जुड़ूंगी, जनता के विश्वास के सहारे चुनाव मैदान में उतर रही हूं।”
यह बयान स्पष्ट करता है कि वह इस चुनाव में स्वतंत्र और आत्मनिर्भर उम्मीदवार के रूप में उतरना चाहती हैं।
उनका यह कदम न सिर्फ व्यक्तिगत साहस का प्रतीक है बल्कि यह भी दिखाता है कि वह राजनीति में अपनी पहचान अलग बनाना चाहती हैं।
पवन सिंह और ज्योति सिंह का विवाद — अब सार्वजनिक हुआ निजी रिश्ता
भोजपुरी इंडस्ट्री के चर्चित कपल पवन सिंह और ज्योति सिंह के बीच पिछले कुछ महीनों से विवाद की खबरें चर्चा में हैं।
दोनों अलग रह रहे हैं और तलाक की प्रक्रिया चल रही है। हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें ज्योति सिंह पवन सिंह के घर पहुंची थीं, लेकिन पुलिस ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया।
उस घटना के बाद ज्योति ने गंभीर आरोप लगाए थे, जिनका जवाब देते हुए पवन सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था —
“लोग मुझे सुपरस्टार कहते हैं, लेकिन मैं भी इंसान हूं।”
इस पूरे विवाद ने दोनों के रिश्ते को निजी दायरे से निकालकर सार्वजनिक विमर्श का विषय बना दिया।
अब जब ज्योति सिंह ने चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया है, तो यह स्पष्ट है कि उनका संघर्ष सिर्फ निजी नहीं बल्कि सामाजिक और राजनीतिक भी हो गया है।
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काराकाट सीट — पवन सिंह के प्रभाव वाले इलाके में नई चुनौती
काराकाट विधानसभा सीट अब अचानक से चर्चा के केंद्र में है।
यह वही सीट है जहां से पवन सिंह का राजनीतिक भविष्य पहले जोड़ा जा रहा था, लेकिन अब उनकी पत्नी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह मुकाबला प्रतीकात्मक रूप से बेहद दिलचस्प हो सकता है, क्योंकि यह सिर्फ एक सीट नहीं बल्कि एक व्यक्तिगत कहानी का राजनीतिक विस्तार बन गया है।
जनता के भरोसे उतरी ज्योति — एक नई राजनीतिक कहानी की शुरुआत
ज्योति सिंह का यह कदम बिहार की राजनीति में एक भावनात्मक और साहसिक मोड़ है।
उनका संदेश साफ है कि वह किसी राजनीतिक दल की मोहताज नहीं, बल्कि जनता की आवाज़ बनना चाहती हैं।
काराकाट के मतदाताओं के लिए यह चुनाव सिर्फ नेताओं की लड़ाई नहीं बल्कि एक महिला के आत्मसम्मान और संघर्ष की कहानी भी है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जनता उनके इस स्वतंत्र कदम को समर्थन और सहानुभूति में बदलती है या नहीं।
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