कृष्ण जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र नहीं, जानें फिर कैसे होगी पूजा ?

By Aslam Abbas 111 Views Add a Comment
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कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू समुदाय के बीच काफी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसको लेकर हिंदू के अंदर गहरी आस्था देखने को मिलती है। हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनाई जाती है। यह पर्व विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के उपलक्ष में मनाया जाता है। इस साल जन्माष्टमी 16 अगस्त 2025 को पड़ रही है।

धार्मिक और पौराणिक मान्यता के अनुसार- भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में कंस के कारागार में हुआ था। कृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि को बुधवार के दिन मध्य रात्रि में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। लेकिन समस्या यह है कि इस साल अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र क्षय रहेगा। यानी अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र नहीं मिल रहा है। ऐसे में भक्तों को दुविधा है कि जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण की पूजा कब और कैसे की जाएगी।

रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी की पूजा अर्चना करना विद्वानों और श्रद्धालुओं द्वारा आज भी शुभ माना जाता है। लेकिन 16 अगस्त को जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र नहीं मिल रहा है। ऐसे में जो लोग रोहिणी नक्षत्र के आधार पर जन्माष्टमी का पर्व मनाते हैं, वे रविवार 17 अगस्त के दिन व्रत रखेंगे।

वहीं अष्टमी तिथि अनुसार व्रत और पूजा 16 अगस्त को की जाएगी। 16 अगस्त को मध्य रात्रि 12:05 से 12:47 के बीच कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा और पूजा पाठ भी इसी समय किए जाएंगे। इस प्रकार जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण की पूजा के लिए 43 मिनट का शुभ मुहूर्त रहेगा। बता दें कि रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत 17 अगस्त शाम 4 बजकर 38 पर होगी और 18 अगस्त सुबह 3 बजकर 17 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र समाप्त हो जाएगी।

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