फ़िलिस्तीनी जनता के ख़िलाफ़ इज़रायली सरकार द्वारा चलाए जा रहे जनसंहारी युद्ध की कड़े शब्दों में वामपंथी पार्टियों ने निंदा की है। पिछले बीस महीनों से अधिक समय से इज़रायल की बेरहम बमबारी और सैन्य हमलों ने 55,000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनियों की जान ले ली है, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं। गाजा की ज़रूरी बुनियादी संरचनाएं, अस्पताल, स्कूल और शरणार्थी शिविर जानबूझकर निशाना बनाए गए हैं। गाजा की जनता को एक अभूतपूर्व मानवीय तबाही को ओर ढकेल दिया गया है। यह जनसंहार है, सबसे अमानवीय रूप से, इजरायल ग़ज़ा में राहत सामग्री तक की एंट्री रोक दिया है।
हम अंतरराष्ट्रीय समुद्री जल में फ़्रीडम फ़्लोटिला ग़ज़ा के ‘मैडलीन’ जहाज़ पर इज़रायली हमले की भी कड़ी निंदा करते हैं। हम भारत सरकार से मांग करते हैं कि वह हिरासत में लिए गए सभी अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवकों की तत्काल रिहाई, ग़ज़ा में बिना रोकटोक मानवीय सहायता की पहुंच और इस अमानवीय नाकाबंदी को तुरंत ख़त्म करने की मांग करे.
संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय सहित वैश्विक आक्रोश बढ़ने के बावजूद, अमेरिका और उसके कुछ सहयोगी देशों के समर्थन से नेतन्याहू सरकार खुलेआम अपना बर्बर अभियान जारी रखे हुए है. हालिया रफ़ाह हमले ने पहले से विस्थापित लाखों फ़िलिस्तीनियों को एक बार फिर विस्थापित कर दिया, जो इज़रायली सरकार के अंतरराष्ट्रीय क़ानून, मानवाधिकार और मानवता की पूरी अवहेलना को दर्शाता है. अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा से फ़्रीडम फ़्लोटिला के अपहरण की ताज़ा घटना ने दुनिया भर में व्यापक विरोध को जन्म दिया है.
भारतीय कॉम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी. राजा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव एमए बेबी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी–लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के महासचिव जी. देवराजन, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के महासचिव मनोज भट्टाचार्य ने एक साथ बयान जारी किया है।
सभी नेता ने कहा कि यह बेहद चिंताजनक है कि भारत सरकार ने फ़िलिस्तीनी जनता के साथ मज़बूती से खड़े होने के बजाय इज़रायली हमलावर के प्रति लगातार चुप्पी और तुष्टीकरण का रुख़ अपना लिया है। यह भारत की उस लंबे समय से चली आ रही विदेश नीति से एक शर्मनाक भटकाव है, जो उपनिवेशवाद-विरोधी एकजुटता और राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलनों के समर्थन पर आधारित रही है।
वामपंथी दल, देशभर की तमाम शांति-प्रिय, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष ताक़तों से आह्वान करते हैं कि वे 17 जून 2025 को फ़िलिस्तीन के साथ एकजुटता के राष्ट्रीय दिवस में शामिल हों। दिल्ली में यह प्रदर्शन सुबह 11 बजे, जंतर मंतर पर आयोजित किया जाएगा, ताकि इज़रायली सरकार द्वारा किए जा रहे जनसंहार और युद्ध अपराधों की कड़ी निंदा की जा सके। फ़िलिस्तीनी जनता के अपने राष्ट्र, सम्मान और आज़ादी के लिए चल रहे न्यायपूर्ण संघर्ष के साथ मज़बूत एकजुटता जताई जा सके।
भारत सरकार से यह मांग की जा सके कि वह फ़िलिस्तीनी संघर्ष के प्रति अपने ऐतिहासिक समर्थन के अनुरूप स्पष्ट और सैद्धांतिक रुख़ अपनाए, और इजरायल के साथ हर तरह का सैन्य और सुरक्षा सहयोग तुरंत समाप्त करे। जनसंहार, रंगभेद और कब्ज़े के ख़िलाफ़ भारत की जनता की मज़बूत आवाज़ को बुलंद किया जा सके।
 
					
 
			
 
		 
		 
		 
		