बिहार में जल्द ही वॉटर मेट्रो शुरू होने वाली है। ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक खास ड्रीम प्रोजेक्ट है, जो बिहार में गंगा नदी को नेशनल और इंटरनेशनल जलमार्गों से जोड़ने वाला है। इस प्रोजेक्ट से बिहार के लोगों को सड़क पर ट्रैफिक की परेशानी से छुटकारा मिलेगा। इस साल अगस्त में पटना मेट्रो के पहले चरण का संचालन शुरू होगा। उसके बाद वॉटर मेट्रो चलाने की तैयारी होगी। ये वॉटर मेट्रो उत्तर बिहार को पटना मेट्रो के NIT स्टेशन से जोड़ने वाली है।. पटना के सम्राट अशोक कन्वेंशन हॉल में आयोजित एक परामर्श कार्यशाला को संबोधित करते हुए सोनोवाल ने बताया कि बिहार के 500 किलोमीटर जलमार्गों के समुचित विकास के लिए केंद्र सरकार एक महीने के भीतर एक विशेष टास्क फोर्स का गठन करेगी
त्रिवेणी घाट (गंगा-पुनपुन संगम) पर चार करोड़ रुपये की लागत से दो जेटी का निर्माण भी हो रहा है. इसके अलावा पटना को इनलैंड हब के रूप में विकसित करने की दिशा में 16 नयी कम्युनिटी जेटी बनायी जायेगी. कालूघाट को नेपाल तक व्यापार के लिए एक सशक्त केंद्र बनाया जायेगा. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पटना में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस हब की स्थापना की जायेगी, जो इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देगा. राज्य के 12 जिलों के जिलाधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि वे जलमार्ग विकास को लेकर अपने जिलों में प्रभावी कार्यक्रमों को लागू करें.
सरकारी टीम ने कई जगहों का अध्ययन किया है, जिनमें उत्तर भारत के गंडक, सोनपुर, हाजीपुर, कोनहरा, दानापुर, दीघा, बिदुपुर, गायघाट और पहलेजा घाट जैसे जल क्षेत्र शामिल हैं। ये जानकारी IWAI (इंडियन इनलैंड वाटरवेज अथॉरिटी) के डायरेक्टर अरविंद कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि केरल सरकार की मदद से केरल के कोच्चि शहर में लोगों के लिए सस्ती कीमत पर पानी से यात्रा करने की सुविधा उपलब्ध करा रही है।
गंगा के साथ ब्रह्मपुत्र नदी, डल झील, अंडमान और लक्षद्वीप में द्वीपों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। वॉटर मेट्रो के किराए को लेकर बताया गया है कि मेट्रो का किराया 20 से 40 रुपए रहेगा। ऐसे में वॉटर मेट्रो का किराया दिल्ली मेट्रो से कम रहेगा। दिल्ली मेट्रो का अधिकतम किराया 60 रुपए है, लेकिन वॉटर मेट्रो का अधिकतम किराया ही 40 रुपए होगा। इस वॉटर मेट्रो में 50 यात्री के बैठने की क्षमता होगा और उनके साथ 50 यात्री खड़े होकर सफर कर पाएंगे। यानी 100 यात्रियों के सफर करने की व्यवस्था यहां है।
आइडब्लूएआइ के निदेशक ने बताया कि गंगा में वाटर मेट्रो चलाने के लिए एक मीटर से कम पानी की आवश्यकता होती है। विशेष रूप से तैयार और सुविधाओं से सुसज्जित इलेक्ट्रानिक जल यान सौर ऊर्जा से भी चलेगा। इसमें 50 यात्रियों को बैठने और 50 यात्रियों के खड़े होकर सफर करने की व्यवस्था है। इसका किराया 20 से 40 रुपए के बीच होना संभावना है।
इन घाटों से दूरी तय करेगा वाटर मेट्रो
1. पहलेजा घाट से दीघा घाट 10.62 किमी
2. दीघा घाट से एनआइटी घाट 6.63 किमी
3. एनआइटी घाट से कोनहारा हरिहरनाथ मंदिर 8.32 किमी
4. एनआइटी से कंगन घाट 7 किमी
5. कंगन घाट से बिदुपुर 10.7 किमी