लोकसभा स्पीकर
ओम बिरला को बधाई देते किरेण रिजिजू
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पटना डेस्कः लोकसभा स्पीकर(Loksabha Speaker) को लेकर जारी असमंजस पर से अब पर्दा हट गया है। आखिरकार लोकसभा अध्यक्ष पर आम सहमति बन गई। अगले स्पीकर के रुप में कहा जा रहा कि ओम बिरला को ही कुर्सी पर बैठाने का आम सहमित बन गया है। सत्ता पक्ष की तरफ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने मोर्चा संभाला और काम बन गया। माना जा रहा है कि विपक्ष के साथ बातचीत में उपाध्यक्ष पद पर चर्चा हुई और सत्ता पक्ष ने यह पद त्यागने का फैसला कर लिया। बता दें कि एनडीए सरकार में राजनाथ सिंह नंबर दो की हैसियत रखते हैं और नरेंद्र मोदी के बाद सरकार में सबसे मजबूत पकड़ उनकी ही मानी जाती है।

लोकसभा स्पीकर पर बनी सहमति

लोकसभा स्पीकर को लेकर दोनों खेमों में बातचीत तब हुई जब नामांकन की अंतिम तारीख आ गई। सत्ता पक्ष की तरफ से राजनाथ सिंह ने विपक्षी नेताओं से बात की और राजी-खुशी से यही तय हुआ कि लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर एक-एक कैंडिडेट ही खड़े हों ताकि चुनाव की नौबत नहीं आए। संसद के निचले सदन के लिए दोनों ही महत्वपूर्ण पदों पर अब आम सहमति से निर्वाचन हो जाएगा। चूकि वोटिंग होनी नहीं है, इसलिए अब सीधे लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के नाम घोषित होंगे। इससे साफ हो गया कि सत्ता पक्ष और विपक्ष में आम सहमति बन गई है। इस तरह से पद को लेकर जारी रस्साकशी खत्म हो गई है।

लोकसभा स्पीकर अपने दम पर बनाई थी भाजपा

2014 और 2019 में बीजेपी (BJP) को अपने दम पर बहुमत मिलने और विपक्ष की दुर्दशा के कारण लोकसभा उपाध्यक्ष पद का पद 10 वर्षों तक खाली रहा। 16वीं और 17वीं लोकसभा में किसी को भी उपाध्यक्ष पद नहीं दिया गया। इसके लिए सरकार की आलोचना भी होती रही। हालांकि, 2014 से 2019 तक सुमित्रा महाजन जबकि 2019 से 2024 के कार्यकाल में ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष पद पर विराजमान रहे। सुमित्रा तब मध्य प्रदेश के इंदौर से चुनी गई थीं, जबकि ओम बिरला राजस्थान के कोटा से सांसद थे। बता दें कि पिछले दो चुनाव में जनता ने भाजपा को पूर्ण बहुमत दिया था, लेकिन 2024 के आम चुनाव में भाजपा बहुमत की आंकड़ा पार नहीं कर सकी।

ओम बिरला कोटा से जीते चुनाव

ओम बिरला इस बार भी कोटा से चुनकर संसद पहुंचे हैं। उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से मुलाकात हुई है। इसके बाद सारी अटकलों पर विराम लग गई हैं। साथ ही साफ हो गया कि ओम बिरला ही दोबारा लोकसभा अध्यक्ष होंगे। इस तरह सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक-एक कदम बढ़ाया और दोनों अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव को लेकर सहमत हो गए। कहा जा रहा है कि सत्ता पक्ष के पास लोकसभा अध्यक्ष का पद होगा तो उपाध्यक्ष को विपक्ष का पद मिलेगा। इसलिए कहा जा सकता है कि अगले पांच साल तक सदन को एक तरफा नहीं चलाया जा सकता। जनता के सवाल पर विपक्षकी अहम भूमिका होगी।

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