भगवान वामन मंदिर
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बक्सर: बक्सर शहर के केंद्रीय जेल परिसर में भगवान वामन का मंदिर स्थापित है। मंदिर में पूजा दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से लोग पहुंचते है। भगवान वामन के मंदिर में पूजा सेंट्रल जेल के जेलर के आदेश पर होती है। जिसको लेकर मंदिर परिसर में जगह-जगह नोटिस भी चिपकाया जाता है।

जेलर के आदेश पर पूजा दर्शन इसलिए किया जाता है क्योंकि मंदिर जेल परिसर में होने के कारण मंदिर का खुलने और बंद होने का समय निर्धारित किया गया है। मंदिर के गेट खुलने का समय सुबह 5 बजे से 11 बजे और शाम में 3 बजे से आरती होने के समय तक है।

सेंट्रल जेल से मुक्ति को लेकर वामन चेतना मंच लड़ाई लड़ रहा है। लड़ाई चेतना मंच के सदस्य प्रमोद चौबे ने बताया कि भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से एक बटुक वामन का अवतार बक्सर के सिद्धाश्रम में हुआ था, जो आज केंद्रीय कारागर परिसर में मौजूद है। उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में यदि भगवान वामन का कहीं मन्दिर है तो वह बक्सर में है। उन्होंने बताया कि यह मंदिर बेहद पुराना है। यहां आस-पास में 250 वर्ष पुराना वृक्ष भी है।

उन्होंने बताया कि अंग्रेजी हुकूमत के दौरान ही यहां सेंट्रल जेल बना था, तो मंदिर का परिसर भी इसके अंदर चला गया। हालांकि, भगवान वामन के मन्दिर को जेल परिसर से मुक्त कराने के लिए कई सालों से वामन चेतना मंच लड़ाई लड़ रहा है, लेकिन अबतक इसे मुक्त नहीं किया जा सका है। जिससे श्रद्धालुओं को काफी परेशानी होती है।

वामन द्वादशी पर सेंट्रल जेल के आसपास भव्य मेला का आयोजन किया जाता है। विभिन्न प्रकार के झूलों के साथ तरह-तरह की दुकानें सजाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार वामन द्वादशी के दिन ही भगवान वामन ने अवतार लिया था। इस मौके पर तीन साल से वामन चेतना मंच द्वारा वामन भगवान की रथ यात्रा भी निकाली जाती है। रथ यात्रा बक्सर रामेश्वर नाथ मंदिर से शुरू होकर पूरे शहर का भ्रमण करते हुए सेंट्रल जेल परिसर में पहुंचती है। इस दिन लाखों की संख्या की भीड़ गंगा स्नान के बाद दर्शन पूजन के लिए आती है। विधि व्यवस्था बनाने में जिला प्रशासन के अधिकारियों को पसीने छूट जाते हैं। इस बार वामन द्वादशी 15 सितंबर को है। जिसको लेकर वामन चेतना मंच द्वारा मेले का आयोजन और रथ यात्रा को लेकर जोर शोर से तैयारी चल रही है। हर साल की तरह इस साल भी रथ यात्रा निकाली जाएगी। मेले का भी आयोजन होगा। जिसको लेकर मंदिर प्रबंध समिति तैयारियां में जुटी हुई है।

भगवान विष्णु के सभी अवतारों में पाचवां अवतार पहली बार शरीर धारी स्वरूप माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार दैत्यराज बलि के आतंक को खत्म करने के लिए श्री नारायण ने चरित्रवन स्थित आश्रम में ब्राह्मण दंपति के यहां जन्म लिया था। इसके बाद इस जगह का नाम वामनाश्रम पड़ गया। कद-काठी में ठिगना यानि छोटा होने के कारण ब्राह्मण बालक का नाम वामन पड़ा। जिन्होंने अपनी बुद्धि और कौशल के बल से असुर राज बलि को साम्राज्य विहीन कर देवराज इंद्र को फिर से गद्दी दिलाई थी। फिलहाल जिस जगह को इनके अवतरण का स्थान माना जाता है। वह केंद्रीय जेल परिसर है जहां उनका मंदिर स्थापित है। यह मंदिर बक्सर जिला मुख्यालय से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

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