मेडागास्कर में सैन्य तख़्तापलट: GEN-Z आंदोलन ने सत्ता पलट दी, 2 साल तक सेना संभालेगी देश की बागडोर

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जेन-ज़ी आंदोलन के कारण मेडागास्कर में सेना ने राष्ट्रपति को हटाकर सत्ता संभाली।
Highlights
  • • मेडागास्कर में सेना ने तख़्तापलट कर सत्ता संभाली। • राष्ट्रपति एंड्री राजोलीना देश छोड़कर भागे। • कर्नल माइकल रैंड्रियनिरिना बने नए राष्ट्रपति। • जेन-ज़ी आंदोलन ने सत्ता परिवर्तन की राह बनाई। • आंदोलन का कारण — भ्रष्टाचार, महंगाई और पानी-बिजली संकट। • अफ्रीकी संघ और संयुक्त राष्ट्र ने तख़्तापलट को असंवैधानिक बताया। • नेपाल, मोरक्को और श्रीलंका में भी जेन-ज़ी आंदोलन के असर से राजनीतिक बदलाव हुए। • मोरक्को में “जेन-ज़ी 212” आंदोलन युवाओं की नई आवाज़ बना। • सोशल मीडिया के जरिए युवा अब नई राजनीतिक दिशा तय कर रहे हैं। • सवाल — क्या यह जेन-ज़ी उभार स्थायी बदलाव ला पाएगा?

मेडागास्कर में जेन-ज़ी आंदोलन का असर, राष्ट्रपति एंड्री राजोलीना देश छोड़कर भागे

अफ्रीका के मेडागास्कर में एक बड़ा राजनीतिक बदलाव देखने को मिला है। देश में सेना ने तख़्तापलट कर लिया है और कर्नल माइकल रैंड्रियनिरिना ने नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है। अब अगले दो साल तक देश की सत्ता सेना के हाथों में रहेगी। यह परिवर्तन किसी राजनीतिक दल की रणनीति से नहीं, बल्कि जेन-ज़ी आंदोलन की ताकत से संभव हुआ है।

इस आंदोलन ने न केवल मेडागास्कर की सत्ताधारी व्यवस्था को हिलाया, बल्कि यह साबित कर दिया कि नई पीढ़ी का गुस्सा अब केवल सोशल मीडिया तक सीमित नहीं है, बल्कि सड़कों पर उतरकर सत्ता बदलने की ताकत रखता है।

जेन-ज़ी आंदोलन की चिंगारी से भड़की राजनीतिक आग

मेडागास्कर में सैन्य तख़्तापलट: GEN-Z आंदोलन ने सत्ता पलट दी, 2 साल तक सेना संभालेगी देश की बागडोर 1

मेडागास्कर में पिछले कुछ हफ्तों से पानी की कमी, बिजली संकट, बढ़ती महंगाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ़ युवाओं का गुस्सा उबाल पर था। सरकार द्वारा प्रदर्शन को कुचलने की कोशिश ने हालात को और विस्फोटक बना दिया। सेना की कई यूनिटों ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया और अंततः राष्ट्रपति एंड्री राजोलीना को देश छोड़कर भागना पड़ा।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस तख़्तापलट को “असंवैधानिक” बताया है। वहीं अफ्रीकी संघ ने भी इस कदम को मान्यता देने से इंकार कर दिया है। सेना ने घोषणा की है कि वह दो वर्षों के भीतर देश में आम चुनाव कराएगी, लेकिन फिलहाल प्रशासनिक कमान सैन्य परिषद के हाथों में रहेगी।

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एशिया से अफ्रीका तक फैलता जेन-ज़ी उभार

मेडागास्कर से पहले नेपाल में भी जेन-ज़ी आंदोलन ने सत्ता परिवर्तन करा दिया था। वहीं श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों में भी यही ट्रेंड देखने को मिला था। यह एक नया राजनीतिक मॉडल बनता जा रहा है, जहां किसी राजनीतिक दल या नेता के बिना केवल जनता की सामूहिक नाराजगी सत्ता बदल देती है।

जेन-ज़ी आंदोलन की एक खासियत यह है कि यह किसी विचारधारा या दल से नहीं जुड़ा होता। इस आंदोलन का ईंधन है — बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और खराब सार्वजनिक सेवाओं के खिलाफ गुस्सा।

हर देश में युवाओं की यही भावना फूटकर आती है, जिससे पारंपरिक राजनीति की नींव हिलती जा रही है।

मोरक्को में भी जेन-ज़ी 212 का उभार — सरकार के खिलाफ़ नई जंग

मेडागास्कर के बाद अफ्रीका के मोरक्को में भी युवाओं का गुस्सा चरम पर है। वहां के युवा खुद को “जेन-ज़ी 212” कहते हैं। इनका गुस्सा सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं की खराब स्थिति और महिलाओं की मौतों को लेकर फूटा।

मोरक्को में युवाओं ने टिकटॉक, इंस्टाग्राम और सोशल मीडिया के जरिये ऑनलाइन समर्थन जुटाया और 3 अक्टूबर से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू किए।

आंदोलनकारी प्रधानमंत्री के इस्तीफे और गिरफ्तार साथियों की रिहाई की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार जनता के टैक्स का पैसा 2030 फीफा वर्ल्ड कप के लिए लग्जरी स्टेडियमों और होटलों पर खर्च कर रही है, जबकि देश के आम नागरिकों के पास न अस्पताल हैं, न नौकरियां।

सरकार के खिलाफ़ यह विद्रोह धीरे-धीरे राजनीतिक स्वरूप ले चुका है और इससे मोरक्को का सामाजिक ढांचा हिल चुका है।

दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया और केन्या में भी उबाल

अफ्रीका के कई देशों में अब यही पैटर्न देखने को मिल रहा है।
दक्षिण अफ्रीका में आर्थिक असमानता और सेवा वितरण पर प्रदर्शन जारी हैं।
नाइजीरिया और केन्या में भी युवा बेरोजगारी और भ्रष्टाचार को लेकर सड़कों पर हैं।

हर जगह एक चीज़ समान है — नेतृत्वहीन लेकिन तकनीक-समर्थित विद्रोह।
इन आंदोलनों में सेलेब्रिटीज, हिप-हॉप गायक और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

मोरक्को में फुटबॉल सितारे और हिप-हॉप कलाकार युवाओं के साथ खड़े हैं, जिससे आंदोलन को और ताकत मिल रही है।

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सवाल — क्या यह आंदोलन भविष्य की राजनीति को फिर से परिभाषित करेगा?

मेडागास्कर का तख़्तापलट यह दिखाता है कि जेन-ज़ी पीढ़ी अब बदलाव की प्रतीक बन चुकी है। यह आंदोलन संगठित दलों की जगह भावनात्मक एकजुटता पर आधारित है। हालांकि, कई राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इन आंदोलनों की अपरिपक्वता उन्हें टिकाऊ परिणाम नहीं दे पा रही।

जहां सत्ता परिवर्तन तो हो जाता है, वहीं नई सरकारों के पास स्थायी समाधान नहीं होता।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सेना द्वारा दो साल में किए जाने वाले चुनाव क्या मेडागास्कर को स्थिरता की ओर ले जाएंगे या यह भी जेन-ज़ी आक्रोश की एक और लहर में डूब जाएगा।

एक नई वैश्विक राजनीतिक चेतना का जन्म

मेडागास्कर, नेपाल और मोरक्को जैसे देशों में हो रही यह हलचल अब वैश्विक युवा चेतना का प्रतीक बन चुकी है।
यह आंदोलन यह साबित करता है कि जब युवा मौन तोड़ते हैं, तो सत्ता का सिंहासन हिल जाता है।
लेकिन सवाल यह है कि क्या यह बदलाव स्थायित्व लाएगा या केवल अस्थायी विद्रोहों का दौर बनेगा — यही दुनिया भर की राजनीति के लिए सबसे बड़ा सवाल है।

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