CP radhakrishnan
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Umesh Chaturvedi
Umesh Chaturvedi

राजनीति के केंद्र में स्थापित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व विराट होकर उभरा है, इसके साथ यह भी सच है कि उनकी खास पहचान उनकी दाढ़ी है। साल 2013 में जब बीजेपी ने मोदी को प्रधानमंत्री पद का अपनी ओर से दावेदार बनाया था, उन्हीं दिनों एक तमिल टीवी पर चर्चा में तमिलनाडु के बीजेपी का एक चेहरा भी शामिल हुआ था। उस नेता ने अपनी पार्टी का दमदार तरीके से पक्ष रखा। उसका कार्यक्रम का ऐसा प्रभाव रहा कि उन्हें दर्शकों ने तमिलनाडु के मोदी के रूप में पुकारना शुरू कर दिया। तमिलनाडु के वही मोदी अब महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। जी हां, आपने ठीक समझा, तमिलनाडु के लोग सी पी राधाकृष्णन को तमिलनाडु के मोदी के रूप में भी जानते हैं।

1998 और 1999 के आम चुनावों में बीजेपी उम्मीदवार के रूप में तमिलनाडु की कोयंबटूर सीट से लोकसभा पहुंच चुके सीपी राधाकृष्णन को दक्षिण भारतीय जहां सीपी के नाम से जानते हैं, वहीं उत्तर भारत में अब वे राधा जी के नाम से भी जाने जाते हैं। शुद्ध शाकाहारी और पूजा-पाठ में श्रद्धा रखने वाले सीपी राधाकृष्णन को पहली बार महत्वपूर्ण राजकीय पद साल 2023 में मिला, जब उन्हें मोदी सरकार ने झारखंड का राज्यपाल मनोनीत किया। 12 फरवरी 2023 का दिन उनके लिए खुशी और निराशा, दोनों का मौका बनकर आया। जब मोदी सरकार ने उन्हें खनिज और प्राकृतिक संपदा से भरपूर झारखंड राज्य का राज्यपाल का दायित्व मिलना मामूली बात नहीं, लेकिन 66 साल की उम्र राजनीति में बहुत ज्यादा नहीं मानी जाती। सीपी इस बात से किंचित निराश थे कि अब उन्हें सक्रिय राजनीति से दूर होना पड़ेगा। वैसे सीपी की दिली चाहत सक्रिय राजनीति में रहते हुए महत्वपूर्ण राजनीतिक दायित्व को निभाना रहा है।

सीपी राधाकृष्णन की बीजेपी की राजनीति में क्या अहमियत है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते आम चुनावों से ठीक पहले जब तेलंगाना की राज्यपाल तमिलसाई सोंदरराजन ने इस्तीफा देकर चेन्नई से चुनाव लड़ने का फैसला किया तो तेलंगाना के राज्यपाल का प्रभार सीपी को ही मिला। इतना ही नहीं, उन्हें पुदुचेरी के उपराज्यपाल की भी जिम्मेदारी दी गई। एक साथ तीन-तीन राज्यों के राज्यपाल की जिम्मेदारी बहुत कितने लोगों को मिल पाई है?

सीपी राधाकृष्णन का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां कांग्रेस का बोलबाला था। उनके चाचा कोयंबटूर से कांग्रेस के लोकसभा सदस्य रहे। सीपी बताते हैं कि पहली बार वे दिल्ली अपने चाचा के पास ही आए थे और उनके घर पर रहकर ही दिल्ली देखी थी। चार मई 1957 को तमिलनाडु के त्रिपुर में जन्मे राधाकृष्णन कांग्रेसी पारिवारिक पृष्ठभूमि होने के बावजूद कांग्रेस की बजाय समाजवादी युवा आंदोलन से जुड़े। जनता पार्टी के दौर में तमिलनाडु में पार्टी अध्यक्ष रहे इरा सेझियन से सीपी राधाकृष्णन का गहरा नाता रहा। 1983 की जनवरी में तत्कालीन जनता पार्टी अध्यक्ष चंद्रशेखर ने भारत यात्रा शुरू की थी। तब तमिलनाडु में उनकी यात्रा से जुड़े आयोजनों की व्यवस्था में 28 वर्षीय युवा सीपी ने अहम भूमिका निभाई। तब चंद्रशेखर की उन पर नजर पड़ी। बाद में रोजगार के लिए होजरी के कारोबार से जुड़े सीपी का नाता शरद यादव से भी रहा। राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार के दौरान शरद यादव कपड़ा राज्यमंत्री थे। उन दिनों उन्होंने कोयंबटूर का दौरा किया था, तब शरद यादव के लिए सीपी ने भोज दिया था।

बाद के दिनों में सीपी भाजपा से जुड़ गए और देखते ही देखते भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष बना दिए गए। उनकी अध्यक्षता में ही बीजेपी ने 1998 और 1999 का चुनाव लड़ा और चार सीटों पर जीत हासिल की। पहली बार जहां पार्टी का जयललिता की एआईडीएमके से समझौता था तो दूसरी बार डीएमके के साथ पार्टी चुनाव मैदान में उतरी। यह बात और है कि उन्हें बाद में चुनावी जीत हासिल नहीं हो पाई। 2004, 2014 और 2019 के चुनावों में उन्हें पार्टी ने लगातार कोयंबटूर से उम्मीदवार बनाया, लेकिन हर बार उन्हें हार ही मिली। सिर्फ 2009 में उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया था। सीपी राधाकृष्णन की अब व्यस्तता बढ़ गई है। अन्यथा दिल्ली में सांसद रहने के दौरान उनका घर सबके लिए खुला रहता था।

सीपी राधाकृष्णन के पिता जी बेहद सहज थे। वे जीवन बीमा निगम के लिए काम करते थे। उनकी पत्नी गृहिणी हैं, जबकि बेटा मानचेस्टर से टेक्सटाइल इंजीनियरिंग करके कोयंबटूर में पारिवारिक होजरी और स्पिनिंग प्रोडक्शन का कारोबार देखता है। सीपी की एक बेटी भी है। जो अपनी पारिवारिक जिंदगी में व्यस्त है।
कांग्रेसी परिवार में जन्म लेकर समाजवादी धारा की राजनीति के जरिए बीजेपी में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराते हुए देश की आर्थिक राजधानी के राजभवन पहुंचना मामूली बात नहीं है। मौजूदा माहौल में महाराष्ट्र की राजनीति राज्यपाल के बेहद चुनौतीपूर्ण है। अगर थोड़ी भी ऊंचनीच हुई तो राज्यपाल पर ही सबसे भार होगा। देखना है कि सीपी आने वाली चुनौतियों का सामना करते हैं।

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