बिहार में भ्रष्टाचार पर नकेल कसते हुए आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने बुधवार को बड़ा अभियान चलाया। इस कार्रवाई का लक्ष्य था बिजली विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर विवेकानंद, जिनके कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई। पटना, समस्तीपुर और सिवान में हुई इस रेड से विभागीय और प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया।
कार्रवाई की पूरी कहानी
सूत्रों के मुताबिक, EOU को विवेकानंद के पास असामान्य रूप से बड़ी मात्रा में कैश होने की जानकारी मिली थी। इसके बाद जांच शुरू की गई और उनके बैंक अकाउंट में लगभग 45 लाख रुपये का संदिग्ध लेन-देन सामने आया।
साथ ही, दानापुर में उनके नाम पर दर्ज 22 अचल संपत्तियों की जानकारी मिलने के बाद कार्रवाई और तेज कर दी गई। EOU ने इस कार्रवाई के लिए कई शहरों में टीमों का गठन किया।
छापेमारी के ठिकानों का विवरण
• पटना: रूपसपुर स्थित कश्यप ग्रीन सिटी के फ्लैट नंबर 601 में दो गाड़ियों में सवार 6 अधिकारियों की टीम घंटों तलाशी में लगी रही। फ्लैट विवेकानंद के नाम से ही दर्ज था।
• सिवान: आंदर ढाला इलाके में उनके तीन ठिकानों पर रेड की गई। यहाँ करीब 30 सदस्यीय टीम ने 10-10 अधिकारियों के दल में तलाशी अभियान चलाया। आसपास की आवाजाही रोक दी गई और सभी घरों को सील किया गया।
• समस्तीपुर: मुसरीघरारी थाना क्षेत्र स्थित वास्तु विहार, फेज-1 में सुबह 6 बजे से रेड शुरू हुई। 10 सदस्यीय टीम ने घर की तलाशी के साथ-साथ कागजात और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त किए।
जांच और संभावित खुलासे
अभी जब्त दस्तावेजों और कैश की जांच चल रही है। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक, विवेकानंद के आय और संपत्ति में असमानता देखने को मिल रही है। अधिकारियों का कहना है कि आने वाले समय में संपत्ति और आय के बीच बड़े अंतर का खुलासा हो सकता है, जो विभाग में भ्रष्टाचार के स्तर को उजागर करेगा।
EOU ने इस कार्रवाई को पुख्ता योजना और संपूर्ण जांच के तहत अंजाम दिया। स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने भी सहयोग किया।
विभाग और प्रशासन में हलचल
इस रेड से बिजली विभाग में भारी हलचल मची हुई है। अधिकारी और कर्मचारी इस बात को लेकर आश्चर्यचकित हैं कि सुपरिटेंडेंट इंजीनियर के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई कैसे संभव हुई। स्थानीय लोगों ने भी बताया कि सुबह-सुबह जगह-जगह छापे के कारण इलाके में उथल-पुथल और सुरक्षा का माहौल बन गया।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कार्रवाई से साफ संदेश गया है कि बिहार सरकार और EOU भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती बरत रही है, चाहे अधिकारी उच्च पद पर ही क्यों न हों।
बिहार में भ्रष्टाचार और अवैध संपत्ति की जांच को लेकर यह कार्रवाई काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। विवेकानंद के खिलाफ EOU की छापेमारी ने न केवल विभागीय सिस्टम में हड़कंप मचा दिया है, बल्कि यह सत्ता और संपत्ति के बीच असमानता की जांच का संकेत भी है। आने वाले दिनों में जब्त दस्तावेज और बैंक लेन-देन की पड़ताल के बाद बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।
इस मामले की अपडेट लगातार मिलती रहेगी और बिहार में भ्रष्टाचार पर निगरानी की नई मिसाल के रूप में इसे देखा जा रहा है।