TMC
- Advertisement -
ashok bhatia
Ashok Bhatia

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का जलवा कायम है । उप चुनाव में टीएमसी ने अपनी पांच सीटें तो बरकरार रखी ही, मदारीहाट सीट भी भाजपा से छीन ली । इस जीत के साथ पश्चिम बंगाल में टीएमसी का राजनीतिक प्रभुत्व और मजबूत हो गया है। यहां तक कि आरजी कर की जघन्य घटना पर चल रहे विरोध प्रदर्शन भी मतदाताओं को प्रभावित करने में विफल रहे। पश्चिम बंगाल के छह निर्वाचन क्षेत्रों- नैहाटी, हरोआ, मेदिनीपुर, तालडांगरा, सीताई (एससी), और मदारीहाट (एसटी) में उपचुनाव हुए थे। 2024 के लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करने के बाद विधायकों द्वारा अपनी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के कारण ये सभी सीटें रिक्त हुई थीं। आरजी कर मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन के बीच 13 नवंबर को हुए इन चुनावों को राजनीतिक रूप से तनावपूर्ण माहौल के बीच सत्तारूढ़ दल के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा के रूप में देखा जा रहा था।

विरोधों के बावजूद, टीएमसी ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में विजयी हुई। छह में से पांच निर्वाचन क्षेत्र दक्षिण बंगाल में स्थित हैं, जो टीएमसी का गढ़ है, जबकि मदारीहाट उत्तर में है, जिसे भाजपा ने 2021 में जीता था। हरोआ में, जहां 70 प्रतिशत से अधिक मतदाता अल्पसंख्यक समुदाय से हैं, भाजपा अपनी जमानत बचाने में भी विफल रही, जिसके बाद पार्टी नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा, ‘अल्पसंख्यक भाजपा को वोट नहीं देते।’सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा ने खुद को राज्य में पुनर्जीवित करने के लिए आरजी कर विरोध प्रदर्शनों को भुनाने की कोशिश की थी। लेकिन लेफ्ट को करारी हार का सामना करना पड़ा। सीताई, तालडांगरा, मेदिनीपुर और मदारीहाट में वाम मोर्चे ने अपनी जमानत गंवा दी। वाम मोर्चे में शामिल सीपीआई (एमएल) की नैहाटी में जमानत जब्त हो गई, जबकि ऑल इंडिया सेक्युलर फ्रंट को हरोआ में जमानत गंवानी पड़ी।

कांग्रेस ने 2021 के बाद पहली बार वाम दलों के साथ गठबंधन के बिना चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे सभी छह निर्वाचन क्षेत्रों में जमानत गंवानी पड़ी। सीताई (एससी) में, टीएमसी की संगीता रॉय ने भाजपा के दीपक कुमार रे पर 1,30,636 के अंतर से जीत हासिल की, जिन्हें केवल 35,348 वोट मिले। टीएमसी का वोट शेयर 2021 के राज्य चुनावों में 49 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर 76 प्रतिशत हो गया, जबकि भाजपा का वोट शेयर 45 प्रतिशत से गिरकर सिर्फ 16 प्रतिशत रह गया। मदारीहाट (एसटी) सीट, जो पहले भाजपा के पास थी, वहां टीएमसी ने जीत दर्ज की। सत्तारूढ़ दल के जयप्रकाश टोप्पो ने 79,186 वोटों प्राप्त किए और बीजेपी के राहुल लोहार को 28,168 वोटों के अंतर से मात दी। यह जीत टीएमसी के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि यह पहली बार है जब पार्टी ने चाय बागान बेल्ट की एक प्रमुख सीट मदारीहाट पर कब्जा कर लिया है। उम्मीदवार के चयन को लेकर भाजपा के अलीपुरद्वार सांसद मनोज तिग्गा और पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉन बारला के बीच मतभेद के कारण पार्टी को यह सीट गंवानी पड़ी।

मदारीहाट में टीएमसी का वोट शेयर 2021 की तुलना में 34.13 फीसदी से बढ़कर 54.05 फीसदी हो गया, जबकि बीजेपी का वोट शेयर गिरकर 34 फीसदी हो गया। नैहाटी में टीएमसी के सनत डे ने 78,772 वोटों प्राप्त किए। उन्होंने बीजेपी के रूपक मित्रा को 49,277 वोटों से हराया। टीएमसी का वोट शेयर 2021 में 50 फीसदी से बढ़कर 62.97 फीसदी हो गया, जबकि बीजेपी का वोट शेयर 2021 में 38 फीसदी से गिरकर 23.58 फीसदी हो गया। हरोआ में, टीएमसी के एसके रबीउल इस्लाम ने 1,57,072 वोट प्राप्त किए। उन्होंने आईएसएफ के पियारुल इस्लाम पर 1,31,388 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की। पियारुल इस्लाम को सिर्फ 25,684 वोट मिले। यह परिणाम दक्षिण बंगाल में अल्पसंख्यकों के बीच टीएमसी के प्रभुत्व को रेखांकित करता है।

टीएमसी का वोट शेयर बढ़कर 76.63 फीसदी हो गया, जबकि आईएसएफ सिर्फ 12.53 फीसदी ही हासिल कर पाई, जबकि 2021 में टीएमसी का वोट शेयर 57.34 फीसदी था। मेदिनीपुर में, टीएमसी के सुजॉय हाजरा ने 115,104 वोट हासिल किए और बीजेपी के सुभाजीत रॉय को 33,996 वोटों के अंतर से हराया। बीजेपी प्रत्याशी को 81,108 वोट मिले। बीजेपी के 37.67 फीसदी की तुलना में टीएमसी का वोट शेयर मेदिनीपुर में 53..43 फीसदी तक पहुंच गया। साल 2021 के विधानसभा चुनाव में इस आदिवासी बहुल सीट पर टीएमसी का वोट शेयर 50.72 फीसदी और बीजेपी का 40।51 फीसदी था।

तलडांगरा में, टीएमसी की फाल्गुनी सिंहबाबू ने 98,926 वोट प्राप्त किए और बीजेपी की अनन्या रॉय चक्रवर्ती को 34,082 वोटों के अंतर से हराया। टीएमसी ने अपना वोट शेयर 2021 में 46 फीसदी से बढ़ाकर 52 फीसदी कर लिया, जबकि बीजेपी का वोट शेयर 39।9 फीसदी से गिरकर 34 फीसदी हो गया। एक सोशल मीडिया पोस्ट में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने राज्य के लोगों को उनके निरंतर समर्थन के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा, ‘मैं अपने दिल की गहराइयों से मां, माटी और मानुष को धन्यवाद और बधाई देना चाहती हूं। आपका आशीर्वाद हमें आने वाले दिनों में लोगों के लिए काम करने में मदद करेगा।’

टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने सभी छह टीएमसी उम्मीदवारों को उनकी निर्णायक जीत के लिए बधाई दी। उन्होंने आरोप लगाया कि बंगाल की जनता ने जमींदारों, मीडिया और कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक वर्ग द्वारा अपने निहित स्वार्थों के लिए राज्य को बदनाम करने के लिए बनाए गए नैरेटिव को खारिज कर दिया। उन्होंने मदारीहाट की जनता को भी विशेष धन्यवाद दिया। अभिषेक बनर्जी ने कहा, ‘मैं बांग्ला बिरोधियों, उनके फर्जी नैरेटिव को लोकतांत्रिक तरीके से खत्म करने और हम पर अपना भरोसा जताने के लिए पश्चिम बंगाल के लोगों के सामने शीश झुकाता हूं।’

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी डॉक्टर की बलात्कार-हत्या के मामले को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के कारण तृणमूल कांग्रेस दबाव में थी। लेकिन उपचुनावों के परिणामों से साफ है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस तूफान से पार पा लिया है। इससे पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पकड़ और भी मजबूत हो गई है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज के विरोध प्रदर्शनों के बीच ये चुनाव राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के लिए अग्नि परीक्षा सरीखे माने जा रहे थे। इसका मतलब यह है कि आरजी कर घटना के बाद राज्य सरकार के खिलाफ नकारात्मक अभियान के बावजूद पश्चिम बंगाल के लोगों ने ममता बनर्जी के नेतृत्व में अपना विश्वास बनाए रखा है।

बीजेपी के लिए इस बार भी कई कारक अनुकूल नहीं रहे। लोकसभा चुनाव में भी उसको मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। 2024 में उसकी सीटें घटकर 12 हो गईं, जबकि 2019 में उसने 18 सीटें जीती थीं। उस समय भी बीजेपी की चुनावी रणनीति, संगठनात्मक ढांचे और नैरेटिव पर कई सवाल उठे थे। इसके अलावा बीजेपी की केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भरता, मुस्लिम विरोधी बयानबाजी और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को समर्थन न मिलना भी नुकसानदायक साबित हुआ। इसके विपरीत ममता बनर्जी ने खुद को बंगाल के हितों की रक्षक के रूप में पेश किया। उनका यह अवतार भ्रष्टाचार और लॉ एंड ऑर्डर के मामले में फेल रहने के आरोपों के बावजूद मतदाताओं के साथ जुड़ गया। कमाल की बात यह है कि पश्चिम बंगाल में भगवा फहराने का सपना देख रही बीजेपी ममता की काट निकालने में असफल रही।

उधर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार के बाद टीएमसी ने उसके नेतृत्व पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए है। इंडिअलायंस के नेतृत्व परिवर्तन की मांग भी उठा दी है। पार्टी के सीनियर लीडर और सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा है कि कांग्रेस को अहंकार अपना किनारे रखना चाहिए और ममता बनर्जी को लीडर घोषित किया जाए। उन्होंने कहा कि गठबंधन को एक मजबूत और निर्णायक नेतृत्व की जरूरत है।

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here