Manish-Verma
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पटना: जदयू की सदस्यता ग्रहण करने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष कुमार वर्मा को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बना दिया है। मनीष कुमार वर्मा को जदयू का नया आरसीपी सिंह कहा जा रहा है क्योंकि वो भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा से आते हैं और कुर्मी समुदाय से हैं। पार्टी के महासचिव सदस्य आफाक अहमद खान ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तत्काल प्रभाव से मनीष कुमार वर्मा को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया है।

मंगलवार को जदयू का दामन थामते ही मनीष कुमार वर्मा ने कहा था कि पहले मैं नीतीश जी के दिल में था और अब मैं उनके दल में आ गया हूं। उल्लेखनीय है कि नीतीश कुमार का नौकरशाह प्रेम पूरे देश में जगजाहिर है और इसका एक नहीं बल्कि कई उदाहरण हैं। इस फेहरिस्त में पवन कुमार वर्मा,केपी रमैया, आरसीपी सिंह का नाम शामिल रहे हैं। अब इसमें एक और नया नाम मनीष कुमार वर्मा का भी जुड़ गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सलाहकार और अब तक राज्य आपदा प्रबंधन आयोग के सदस्य रहे पूर्व आईएएस मनीष वर्मा के पार्टी में शामिल होते ही राष्ट्रीय महासचिव पद से नवाजे जाने के बाद उन्हें नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी क तौर पर देखा जाने लगा है।

हालांकि एक सच्चाई यह भी है कि जदयू में नंबर दो की दावेदारी करने वालों का हश्र अच्छा नहीं रहा है। एक समय जदयू में आरसीपी सिंह का नाम गूंजता था। नीतीश कुमार के बाद सिंह को दूसरे नंबर का नेता माना जाने लगा था। नीतीश ने उन्हें जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बना दिया था। लेकिन परिणति यह हुई कि अब उन्हें सियासत से दूर गांव में दिन बिताना पड रहा है। नालंदा के निवासी आरसीपी सिंह की गिनती नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के रूप में होने लगी थी। वहीं, पवन वर्मा का भी जदयू में शामिल होना चर्चा का विषय बन गया था। 1976 बैच के आईएफएस पवन कुमार वर्मा साल 2014 में जदयू में शामिल हुए। इन्हें नीतीश कुमार का दाहिना हाथ माना जाने लगा था। नीतीश ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया। साल 2016 में जदयू संगठन की जिम्मेवारी उन्हें सौंपी गई तो 2020 आते आते उन्होंने नीतीश कुमार को विदा कह दिया। अब वह पुस्तक लिखने में लगे हुए हैं।

आईएएस अधिकारी केपी रमैया भी नीतीश कुमार की पार्टी के साथ जुड़े। 1986 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी रमैया अनुसूचित जाति और जनजाति विभाग के प्रधान सचिव थे। साल 2014 में रमैया को सासाराम सीट से कांग्रेस के मीरा कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ा। तब भाजपा वहां से जीत गई और रमैया का राजनीतिक जीवन समाप्तप्राय सा हो गया। सृजन घोटाला में उन्हें आरोपी बनाया गया है। वारंट भी निकला लेकिन कोर्ट से उन्हें जमानत मिली हुई है। ऐसे कई अधिकारी हैं, जो आए तो तामझाम से लेकिन विदा हुए बेआबरू होकर।

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