पटना: मानवी मधु ने बिहार की पहली ट्रांसजेंडर पुलिस सब इन्स्पेक्टर (दारोगा) बन कर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा दिया है। उसके साथ दो और ट्रांसजेंडर इस पद के लिए चुनी गई हैं। मधु की सफलता ने अन्य ट्रांसजेंडरों को सफल जीवन जीने की राह दिखाई है।
मधु ट्रांसजेंडर हैं, इसमें उसका कोई कसूर नहीं है। पिता कहते थे, मधु या तो तू मर जा या मुझे मार दे। समाज ने जीना मुश्किल कर दिया था। मधु बिहार के बांका जिले की है। मधु का परिवार चाहता था कि समाज में उसकी पहचान एक लड़के के रूप में बनी रहे। लेकिन आप सच को कब तक छिपा सकते हैं। मधु ट्रांस वूमेन थी। यानी इसमें महिलाओं के लक्षण अधिक थे। वह वूमेन जैसा रहना चाहती थी। कई लोगों ने उसका शोषण करने की कोशिश की।
आखिरकार तंग आकर उसने अपनी ट्रांसजेंडर कम्युनिटी को ज्वाइन कर लिया। लेकिन यह ताली बजाकर अपना जीवन नहीं चलाना चाहती थी। मन में कसक थी कि उसकी अपनी पहचान बने। वह अपनी ट्रांस वूमेन को समाज में स्थापित करे। इसके लिए पहले उसने जेपी मॉर्गन बेंगलुरु में जॉब किया। कोविड के दौरान लॉक डाउन लगा। उसकी नौकरी जाती रही । उसे पता चला कि पटना में ट्रांसजेंडर के लिए शेल्टर हाउस है। वह पटना लौटी। इसके बाद 2022 से उसने फिर से पढ़ाई शुरू की। कोचिंग चलानेवाले गुरु रहमान ने उसका साथ दिया। उसे दारोगा की परीक्षा के लिए तैयार करवाया। वह पहले ही प्रयास में चुन ली गई।
अब वह अपनी इसी पहचान के साथ आगे जीना चाहती है। पिता तो आज नहीं हैं। अपनी मां को देशाटन करवाना चाहती है। पता चला कि गुरु रहमान ऐसे 25 ट्रांसजेंडरों को पढ़ा रहे हैं। मधु कहती है कि अब उसे घर तो बसाना है नहीं। वह केवल और केवल देश, समाज और अपने ट्रांसजेंडर समाज के लिए कुछ करना चाहती है। मधु के जज्बे को सलाम।