मायागंज अस्पताल : यहां आते-आते परिजन हो जाते हैं बीमार करना था ऑपरेशन,टूटे पैर में लटका दिया ईंट:मायागंज अस्पताल में इलाज के इंतजार में महिला मरीज

By Team Live Bihar 45 Views
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भागलपुर, संवाददाता
भागलपुर के मायागंज अस्पताल को इलाज के नाम पर लापरवाही के रूप में नई पहचान मिलती जा रही है। सड़क हादसे में घायल महिला पिछले एक महीने से यहां भर्ती है, लेकिन आज तक उसका ऑपरेशन नहीं हुआ। हद तो तब हो गई जब डॉक्टर ने पैर में वेट लगाने के बजाय परिजनों से कहा कि ईंट बांध दीजिए।
महिला पीरपैंती के बाराहाट इलाके की रहने वाली है, जिसकी पहचान 62 साल की ठेकिया देवी के रूप में हुई है। मायागंज अस्पताल में ठेकिया देवी की देखभाल के लिए मौजूद उनकी बेटी सुमित्रा देवी ने बताया कि उनकी मां एक महीने पहले सड़क हादसे की शिकार हुई थी। उन्होंने कहा कि मां ई-रिक्शा पर बैठकर कही जा रही थी। इसी दौरान वो ई-रिक्शा से गिर गई, जिससे उनका हाथ और पैर टूट गया। सुमित्रा देवी ने बताया कि जब हम लोग अपनी मां को लेकर मायागंज अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने कहा कि ऑपरेशन जरूरी है। लेकिन एक महीने में केवल दवाई और सुई दी जा रही है। .
सुमित्रा देवी ने बताया कि हम लोग एक महीने से अस्पताल आ जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने बताया कि ऑपरेशन करना होगा, लेकिन ऑपरेशन कर नहीं रहे हैं। जब हम लोग लेकर आए तो कहा गया कि पैर को सेट करने के लिए वजन लटकाना होगा, लेकिन ऐसा कोई इंतजाम नहीं है, आप लोग बाहर से ईंट लेकर आइए। हम लोग ईंट लेकर आए, जिसे पैर से रस्सी के सहारे बांधकर लटका दिया गया।
सुमित्रा ने बताया कि ईंट लटकाने की वजह से मेरी मां ठेकिया देवी का पैर सूज गया और पक गया है, जिसकी वजह से ऑपरेशन के अलावा कोई उपाय नहीं है। सुमित्रा ने बताया कि ऑपरेशन के लिए जब हम लोग डॉक्टर को बोलते हैं तो उनका कहना होता है कि ऑपरेशन कल होगा, परसों होगा, ये कहकर लगातार ऑपरेशन टाला जा रहा है।
सुमित्रा ने बताया कि हमारे साथ तो एक और मरीज है, जो पिछले दो महीने से ऑपरेशन का इंतजार कर रहा है। उस मरीज के परिजन भी लगातार अस्पताल आ रहे हैं। सुमित्रा देवी ने बताया कि डॉक्टरों ने हमें रात के 12 बजे ईंट लाने के लिए भेज दिया था। इतनी रात में भला हम लोग ईंट कहां से और कैसे ढूंढते। लेकिन इलाज जरूरी थी, इसलिए हम मां-बेटा अस्पताल से बाहर निकले और दो ईंट ढूंढकर लाए। इसके बाद दोनों ईंट को भार के लिए पैर से बांधकर लटका दिया गया। हालांकि, जब मां के पैर में दर्ज हुए तो हम लोगों ने खुद एक ईंट खोल दिया, लेकिन एक ईंट अभी भी लटका हुआ है।

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