पटना डेस्कः लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (BSP) को मिली करारी हार के बाद पार्टी की सुप्रीमो बहन मायावती (Kumari Mayawati) ने लखनऊ में चुनाव के नतीजों की समीक्षा बैठक की। इस बैठक में पार्टी के सभी प्रमुख नेता शामिल हुए। बैठक की शुरुआत में ही भतीजे आकाश आनंद ने मायावती के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। इसी के साथ उनका राजनीतिक वनवास भी खत्म हो गया। बसपा सुप्रीमो ने भतीजे आकाश आनंद के सर पर हाथ रख कर आशीर्वाद दिया। फिर आकास आनंद (Akash Anand) को पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बनाने का ऐलान कर दिया गया। बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान आकाश आनंद ने एक चुनावी रैली में भाजपा पर जोरदार हमला बोला था, जिसके बाद पार्टी प्रमुख मायावती ने संयोजक पद से हटा दी थी, लेकिन चुनाव में मिली हार के बाद आकाश आनंद को फिर से पार्टी का कमान सौंप दिया गया है।
पार्टी बैठक में लिया गया फैसला
बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ के माल एवेन्यू स्थित बसपा कार्यालय में राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों के साथ हार के कारण पर मंथन की। समीक्षा बैठक के बाद मायावती सभी राज्यों के पदाधिकारियों के साथ अलग-अलग बैठक की। महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में अब विधान सभा चुनाव होने हैं, ऐसे में इन राज्यों की टीम में मायावती व्यापक बदलाव कर सकती हैं। साथ ही जिस तरह से आकाश आनंद को पार्टी का नेतृत्व सौंपा गया है, उससे साफ हो गया कि आने वाले चुनाव में पार्टी कुछ नया फैसाल ले सकती है। ताकी उत्तर प्रदेश (UP) के साथ ही पूरे देश में पार्टी के कोर वोटर को अपनी तरफ मोड़ा जा सके।
मुस्लिम वोट बैंक पर भी नजर
मायावती ने लोक सभा चुनाव के दौरान यूपी में 22 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे, इसके बावजूद बसपा को मुसलमानों का वोट नहीं मिला। इसको लेकर मायावती नतीजों के आने के बाद अपनी नाराजगी जाहिर कर चुकी है। ऐसे में माना जा रहा है कि आज की बैठक में मायावती मुस्लिम वोट बैंक को बसपा के साथ कैसे जोड़ा जाए इस पर चर्चा की होंगी। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के जो परिणाम सामने आये हैं, उसके मुताबिक कहा जा सकता है कि मुसलमानों ने अपना समाजवादी पार्टी को ही दिया है। हालांकि मायावती की पार्टी को मुसलमानों से काफी उम्मीद थी, लेकिन चुनाव में इसको कोई देखने को नहीं मिला है। बात अगर भाजपा की करे तो लोकसभा चुनाव में पार्टी को काफी नुकसान हुआ है। खास करके आयोध्या जैसी सीट पर हार ने भाजपा नेतृत्व को काफी परेशान किया है। बता देें कि राम मंदिर (Ram Mandir) को लेकर भाजपा ने पूरे देश में एक अलग माहौल बनाने का काम किया था, लेकिन उसका असर उत्तर प्रदेश में देखने को नहीं मिला और पार्टी को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।
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