पीएम मोदी के आखिरी कतार में बैठने का मतलब

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अशोक भाटिया
(वरिष्ठ स्तम्भकार)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा की कार्यशाला में एक साधारण सांसद की तरह शामिल हुए और कार्यक्रम में शुरुआत से ही हिस्सा लिया। यह कार्यशाला उपराष्ट्रपति चुनाव की रणनीति बनाने और वोटिंग प्रक्रिया की जानकारी देने के लिए आयोजित की गई थी। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी आगे की सीट पर न बैठकर सबसे पिछली पंक्ति में बैठे। इस दौरान सांसदों ने एक प्रस्ताव पारित कर प्रधानमंत्री मोदी को ऐतिहासिक जीएसटी रिफॉर्म्स के लिए बधाई दी। यह घटना भाजपा के भीतर एकता और विनम्रता का प्रतीक बन गई है। प्रधानमंत्री ने अपनी सादगी से सभी को प्रभावित किया।
प्रधानमंत्री मोदी का पीछे की सीट पर बैठना एक संदेश था कि भाजपा में सभी बराबर हैं। वह आगे की सीट पर न बैठकर सामान्य सांसद की तरह कार्यक्रम में शामिल हुए, जो उनके जमीन से जुड़े व्यक्तित्व को दर्शाता है। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जहां लोग प्रधानमंत्री की विनम्रता की तारीफ कर रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री का यह कदम पार्टी की जड़ों को मजबूत करता है और युवा कार्यकर्ताओं को प्रेरित करता है।
वायरल हुए वीडियो के मुताबिक पीएम मोदी रविवार को सुबह 10:45 बजे पार्टी की कार्यशाला में पहुंचे और पीछे जाकर चुपचाप बैठ गए। न कोई उद्घाटन भाषण, न तामझाम। सांसदों के बीच गंभीरता से सबकी बाते सुनते हुए देखे गए। उन्‍होंने पूरा द‍िन बिताया। एक आम सांसद की तरह भागीदारी थी। यह तस्‍वीर देखते ही देखते वायरल हो गई। तब से बहुत सारे लोग सोशल मीडिया में भाजपा की सांसद कार्यशाला के बारे में ज‍िज्ञासा है। लोग सोशल मीडिया में सर्च कर रहे हैं।
भाजपा सांसद कार्यशाला को आप पार्टी का पॉलिटिकल स्कूल कह सकते हैं। यहां सांसदों को बताया जाता है कि जनता तक कैसे पहुंचना है। कैसे सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना है और विपक्ष के वार का जवाब कैसे देना है। यानी किताबों वाली क्लास नहीं, बल्कि चुनावी मैदान के लिए ट्रेनिंग क्लास। इसका उद्देश्य सांसदों को सरकार की नीतियों, योजनाओं और राजनीतिक रणनीतियों के साथ जोड़ना होता है। यह सांसदों के लिए सीखने, समझने और साझा करने का मंच है। यहां सांसदों को बताया जाता है कि जनता तक योजनाओं को कैसे पहुंचाना है और विपक्ष के नैरेटिव का जवाब कैसे देना है।
इस कार्यशाला में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसद।केंद्रीय मंत्री, पार्टी अध्यक्ष और संगठन के सभी बड़े पदाध‍िकारी।कभी-कभी राज्यों के मुख्यमंत्र‍ियों को भी भाजपा बुलाती है व वे भी शामिल होते हैं। जैसा कि आपको बता चुके है इस बार तो प्रधानमंत्री खुद पीछे बैठकर पूरी क्लास अटेंड करते रहे। यह कार्यशाला सिर्फ भाषणों तक सीमित नहीं रहती। यहां ठोस राजनीतिक और सामाजिक प्रस्ताव पास किए जाते हैं।आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशी भारत और ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस जैसे मुद्दों पर चर्चा होती है। सांसदों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में इन प्रस्तावों को जनता तक पहुंचाएं।इसमें ऐसे सुझाव भी शामिल होते हैं जिन्हें बाद में सरकार की नीतियों में जगह मिल सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा से सांसद कार्यशालाओं में हिस्सा लेते रहे हैं। लेकिन पहले वे ज्‍यादातर उद्घाटन या समापन भाषण देकर निकल जाते थे। इस बार का बदलाव यही है कि उन्होंने पूरे दिन हर सत्र में बैठकर सांसदों की बातें सुनीं। यह पार्टी कार्यकर्ताओं और सांसदों को यह संदेश देने का तरीका है कि हर आवाज मायने रखती है और जमीनी अनुभव को महत्व दिया जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने सांसदों को यह दिखाया कि वह सिर्फ नेतृत्व नहीं करते, बल्कि सुनते भी हैं। यह संदेश गया कि प्रधानमंत्री सांसदों की राय सुनने आए हैं, सिर्फ भाषण देने नहीं। यह पार्टी के भीतर लोकतांत्रिक संवाद को मजबूत करता है। इससे पार्टी में लोकतांत्रिक माहौल और मजबूत होता है। यह सांसदों का मनोबल बढ़ाने वाला कदम है कि उनकी बात सीधे प्रधानमंत्री तक पहुंच रही है। संदेश गया कि सांसदों की जमीनी राय को गंभीरता से लिया जा रहा है और उसे भविष्य की नीतियों में शामिल किया जाएगा। यह कार्यकर्ताओं और सांसदों को यह संदेश देने का तरीका भी था कि पार्टी में हर राय मायने रखती है।
पहला सत्र राष्ट्र निर्माण पर केंद्रित था । कमलेश पासवान ने आत्मनिर्भर भारत पर, सुधांशु त्रिवेदी ने स्वदेशी भारत पर, बांसुरी स्वराज ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर और डॉ हेमांग जोशी ने युवा शक्ति और रोजगार पर सांसदों की क्‍लास ली। सांसदों को समझाया गया कि सरकार की नीतियां आत्मनिर्भरता और युवाओं को केंद्र में रखकर बनाई जा रही हैं। दूसरा सत्र: सोशल मीडिया का प्रभावी प्रयोग के बारे में था। ज्योतिमय महतो ने सोशल मीडिया टीम बिल्डिंग पर बात की। सीपी जोशी सरकारी योजनाओं का नैरेटिव बनाने पर बोले । अतुल गर्ग ने नमो ऐप के बारे में विस्‍तार से बताया और उसका इस्‍तेमाल कैसे करें, इसे समझाया। संगीता यादव ने महिला समूह की सोशल मीडिया अप्रोच पर बात की। सांसदों को यह समझाया गया कि जनता तक सीधे पहुंचने का सबसे बड़ा माध्यम आज सोशल मीडिया है। हर सांसद को डिजिटल कम्युनिकेशन स्किल सीखनी होगी।।
तीसरा सत्र: स्थायी समितियों के समूहों की- चर्चा थी। संजय जायसवाल और बांसुरी स्वराज ने कृषि, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य पर बात की। तेजस्वंत पांडा और संबित पात्रा ने रक्षा, विदेश, आईटी पर विचार रखे । ऊर्जा, कोल, इंडस्ट्री पर शशांक त्रिपाठी और अपराजिता सारंगी ने बात रखी। शिक्षा, संस्कृति, कानून पर पीपी चौधरी और सुनील कुमार ने चर्चा की। रेलवे, ट्रांसपोर्ट के बारे में भर्तहरि महताब और रमेश अवस्थी ने क्लास लिया। क्षेत्रीय समूहों की चर्चा , खास तौर पर मत्स्य पालन योजनाओं पर बताया गया । गरीब कल्याण योजना की चर्चा, ग्रामीण क्षेत्र की चर्चा, किसान सम्मान निधि पर भी बात हुई। स्वच्छता अभियान पर फोकस रहा। पहाड़ी और उत्तर-पूर्व क्षेत्र , सीमावर्ती क्षेत्र का विकास मुद्दा रहा। हर सांसद को अपने क्षेत्रीय मुद्दे और कमेटी से जुड़े अनुभव साझा करने का मौका दिया गया।
दो दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य विधायी कौशल, शासन रणनीतियों और राजनीतिक संचार पर ध्यान देना है। नेताओं ने केंद्र सरकार के विकास एजेंडे को आगे बढ़ाने और विपक्ष का मुकाबला करने के तरीकों पर चर्चा की। रविवार को सांसद पूरे दिन की कार्यशाला में शामिल हुए। सोमवार को भी तीन घंटे का एक और सत्र चला है।

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