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पटनाः भाकपा-माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा है कि चुनाव आयोग भले ही चुनावों में समान अवसर सुनिश्चित करने का दावा कर रहा हो, लेकिन मोदी सरकार ने विपक्ष के खिलाफ चौतरफा युद्ध छेड़ दिया है। अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी और कांग्रेस के बैंक खाते को ज़ब्त करना इस युद्ध के बड़े पैमाने पर बढ़ने के स्पष्ट संकेत हैं।

झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के बाद अरविन्द केजरीवाल दूसरे ऐसे चुने हुए मुख्यमंत्री हैं जिन्हें राजनीतिक कारणों से ऐसे आरोपों में जिन्हें साबित कर पाना भी मुश्किल होगा, गिरफ्तार किया गया है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया और आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सदस्य संजय सिंह भी जेल में हैं. जैसा कि मोदी राज में दस्तूर बन गया है, कि अभी तक न तो चार्जशीट बन पायी है और न ही मुकदमा चलने की कोई स्थिति है फिर भी इन नेताओं को जमानत नहीं मिल पायी है।

पिछले दस सालों में इडी द्वारा लगाये गये मुकदमों में 95 प्रतिशत विपक्षी नेताओं पर लगे हैं. स्पष्ट है मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ बोलने वाले सभी विपक्षी दल व नेताओं को राजनीतिक बदले की भावना से फंसाया जा रहा है. भाजपा केन्द्रीय ऐजेन्सियों का दुरुपयोग विपक्ष के नेताओं को डराने-धमकाने के लिए इस्तेमाल कर रही है. इनमें गैर-भाजपा शासित राज्यों के नेताओं को खासतौर पर निशाना बनाया जा रहा है. अब तो कांग्रेस पार्टी का बैंक अकाउण्ट भी फ्रीज कर दिया गया है।

जब इलेक्टोरल बॉण्ड घोटाले में पूंजीपतियों से हजारों करोड़ जमा करने के आरोप में भाजपा खुद कठघरे में है, ऐसे में अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी सवाल खड़े करती है. सर्वोच्च न्यायालय ने इलेक्टोरल बॉण्ड को असंवैधानिक करार देकर उनका हिसाब मांग लिया है, तब यह तानाशाहाना गिरफ्तारी भी माहौल को बदलने में भाजपा के काम नहीं आ पायेगी।

लोकसभा चुनावों से ठीक पहले गिरफ्तारियां, धमकियां और परेशान करने वाली हरकतों से साफ हो गया है कि इस सरकार को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की कोई परवा नहीं है. सरकार के भेदभाव वाले अलोकतांत्रिक कानूनों, धार्मिक उन्घ्माद और हिंसा, जनता में बढ.ती आर्थिक असमानता एवं बेरोजगारी, और अमीरों व पूंजीपतियों के लिए जमा की जा रही अकूत सम्घ्पत्तियों के खिलाफ जनता का गुस्घ्सा बढ. रहा है इसीलिए सरकार चुनावों से पहले विपक्ष पर लगातार हमले कर रही है.

भाकपा (माले) मांग करती है कि अरविन्द केजरीवाल, हेमन्त सोरेन, मनीष सिसौदिया समेत सभी विपक्षी नेताओं को तत्काल रिहा किया जाय. पार्टी सभी विपक्षी दलों की एकता को और मजबूत करते हुए आम जनता के समर्थन से आगामी चुनावों में शासक पार्टी को करारी शिकस्त देने का आह्वान करती है। माले महासचिव ने बिहार दिवस के अवसर पर तानाशाही के खिलाफ संघर्षरत बिहार की जनता को शुभकामनाएं देते हुए कहा- लड़ेंगे-जीतेंगे!

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