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बेगूसराय: बेगूसराय की दो जीविका दीदियां प्रधानमंत्री के विशेष बुलावे पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए दिल्ली जा रहीं हैं। जीविका की तरफ से बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाली 10 दीदियों में बेगूसराय की दो दीदी निशा और रीना भी शामिल हैं। दोनों दीदियां पहली बार दिल्ली जा रही हैं और काफी खुश हैं।
निशा ने हैदराबाद से ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग ली है। अब वो ड्रोन से ही खेतों में खाद का छिड़काव करतीं हैं। वहीं, रीना ने सिलाई-कटाई का प्रशिक्षण लिया। जीविका से लिए ऋण की मदद से सिलाई मशीन खरीदकर अपनी आर्थिक स्थिति सुधारी।

उनकी खुशी में चार चांद और लग गया, क्योंकि उनके साथ पति को भी दिल्ली जाने का अवसर मिल रहा है। बेगूसराय से दिल्ली जाने वाली एक दीदी मटिहानी की निशा कुमारी व बरौनी की रीना देवी हैं। दोनों जीविका दीदी 2014 से जीविका से जुड़ी हैं।

ओम जीविका स्वयं सहायता समूह मटिहानी की निशा कुमारी 2014 से जीविका समूह से जुड़ी है। समूह में जुड़ने से पहले वह एक सामान्य घरेलू महिला थीं। लोगों से मिलने की बात तो दूर, घर से बाहर तक नहीं निकलती थी। समूह में जुड़ाव के बाद निशा की दुनिया ही बदल गई। समूह से ऋण लेकर निशा ने अगरबत्ती बनाने का कार्य शुरू किया और उसकी बचत से खेती व गो पालन भी करने लगी।

निशा की यात्रा यहीं नहीं रुकी, बिहार के ड्रोन ध्वज वाहिका के रूप में अपनी नई पहचान स्थापित की है। हैदराबाद में ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया और ड्रोन लेकर खेतों में खाद का छिड़काव कर रहीं हैं। ड्रोन चलाने में वह इतनी पारंगत हो गई है कि अब लोगों को भी ड्रोन का संचालन सीखने और उपयोग करने के लिए प्रेरित कर रहीं हैं।
निशा के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और उनका परिवार अब बेहतर जीवन जी रहा है। 15 अगस्त के स्वतंत्रता दिवस मुख्य समारोह में दिल्ली जाने की बात पर निशा कहती हैं कि अपनी खुशी को मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती। यह मेरे सपने के साकार होने जैसा है। प्रधानमंत्री से रूबरू होने का मौका मिलेगा।

दूसरी दीदी है बरौनी प्रखंड के अमरपुर गांव निवासी और शिव जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ी रीना देवी हैं। रीना की जीविका के साथ 2014 से यात्रा प्रारम्भ हुई। रीना कहती हैं कि जीविका में जुड़ने के बाद मेरे जीवन में बदलाव आना शुरू हुआ। जीविका की मदद से सिलाई-कटाई का प्रशिक्षण प्राप्त किया और जीविका से लिए ऋण की मदद से सिलाई मशीन खरीदी।

सिलाई-कटाई के काम से मेरी आर्थिक स्थिति में बदलाव आना शुरू हुआ। आज अपने कार्य के बदौलत रीना अपनी दोनों बेटियों व एक बेटे को पढ़ा रहीं हैं। वे कहती हैं कि जीविका ने हम जैसे हजारों दीदियों को रोजगार का अवसर उपलब्ध करवाया है। दिल्ली जाने के सवाल पर रीना कहती हैं पहली बार दिल्ली जा रही हूं। कभी सोचा नहीं था कि स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह की साक्षी बनूंगी, जीविका के कारण यह संभव हो पाया है।

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