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पटना डेस्कः लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में राजनीति खूब गर्म है। एक तरफ एनडीए 40 सीट जीतने का दावा कर रही है, और सीटों का बंटवारा भी हो गया है। जिसमें इस बार एनडीए में पांच पार्टियां मिलकर चुनाव में 40 सीटों को जीतने के लिए जोर आजमाइश करेंगी। लेकिन इन पांच पार्टियों में केंद्रीय मंत्री रहे पशुपति पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को जगह नहीं दी गई है। वहीं पिछले दिनों यह चर्चा थी कि मुकेश सहनी की वीआईपी को एनडीए में जगह मिल सकती है। लेकिन आज जब सीटों के बंटवारे की घोषणा की गई तो मुकेश सहनी को भी जगह नहीं दी गई।

हैरान करनेवाली बात यह है कि पशपुति पारस की पार्टी के पास वर्तमान में पांच सांसद थे। ऐसे में यह उम्मीद जताई जा रही थी कि रालोजपा को कम से दो से तीन सीटें मिल सकते हैं। लेकिन एनडीए में जो फार्मूला बना, उसमें पशुपति पारस की पार्टी के लिए कोई गुंजाइश नहीं निकली। उनके सभी सांसदों वाली सीटें चिराग के लोजपारा को दे दी गई है। जबकि नवादा के एक सीट खुद भाजपा ने अपने पास रख ली है।

एनडीए में दरकिनार होने के बाद अब माना जा रहा है कि पशुपति पारस की पार्टी गठबंधन से अलग हो सकती है। उन्होंने तीन दिन पहले ही यह कहा था कि उन्हें सम्मानजनक सीटें नहीं मिली तो उनके लिए दरवाजे खुले हैं। पारस ने साफ कर दिया था कि वह वैशाली से ही चुनाव लड़ेंगे। अब पशुपति पारस को लेकर कहा जा रहा है कि वह महागठबंधन के साथ जा सकते हैं।

वहीं वीआईपी को लेकर चर्चा थी कि एनडीए नेताओं से उनकी बात हो रही है और उन्हें मुजफ्फरपुर से टिकट दिया जा सकता है। लेकिन अंतिम समय में उन्हें भी गठबंधन में जगह नहीं दी गई। मुकेश सहनी ने पहले ही साफ कर दिया है कि उन्हें दरकिनार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में इस बात की संभावना है कि वह राजद के साथ गठबंधन कर सकते हैं। 

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