Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana Controversy: NDА जीत के बाद प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की बंपर जीत के बाद मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना को लेकर जो तस्वीर सामने आई है, उसने राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस योजना को एनडीए की चुनावी सफलता का एक बड़ा कारण माना जा रहा था, वही योजना अब नए विवादों में घिरती नजर आ रही है।
- Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana Controversy: NDА जीत के बाद प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल
- Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana: किन महिलाओं के लिए थी योजना
- Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana Controversy: ‘तकनीकी त्रुटि’ से बिगड़ा मामला
- Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana: राशि वापस करने का आदेश
- Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana Controversy: लाभार्थियों में गुस्सा और असमंजस
- Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana Controversy: विपक्ष के आरोप
- Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana: DBT की टाइमिंग पर सवाल
- Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana Controversy: प्रशासनिक लापरवाही या सिस्टम फेल?
10 हजार रुपये की इस योजना का उद्देश्य जीविका से जुड़ी महिला स्वयं सहायता समूहों की महिला सदस्यों को आर्थिक मजबूती देना था, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। लेकिन अब इस योजना में सामने आई ‘तकनीकी त्रुटि’ ने पूरी व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana: किन महिलाओं के लिए थी योजना

मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का लाभ केवल जीविका से जुड़ी महिला स्वयं सहायता समूहों की महिला सदस्यों को दिया जाना था। यह योजना महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और रोजगार से जोड़ने के उद्देश्य से लागू की गई थी।
योजना के तहत 10 हजार रुपये की राशि सीधे लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर की गई, जिसे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) का उदाहरण बताया गया।
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Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana Controversy: ‘तकनीकी त्रुटि’ से बिगड़ा मामला
ताजा विवाद तब शुरू हुआ जब जीविका की ओर से दरभंगा जिले के जाले प्रखंड से जारी एक आधिकारिक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस पत्र में साफ लिखा गया कि ‘तकनीकी त्रुटि’ के कारण 10 हजार रुपये की राशि कुछ पुरुषों के खातों में भी ट्रांसफर हो गई है।
जबकि यह योजना केवल महिलाओं के लिए थी, ऐसे में यह भुगतान नियमों के खिलाफ माना गया।
Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana: राशि वापस करने का आदेश
जीविका की ओर से जारी पत्र में उन पुरुषों से तत्काल 10 हजार रुपये की राशि सरकारी खाते में वापस जमा करने का अनुरोध किया गया है, जिनके खातों में यह रकम गलती से चली गई।
जैसे ही यह पत्र सामने आया, पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। जिन खातों में अचानक चुनावी मौसम में 10 हजार रुपये आए थे, अब वही राशि वापस मांगी जा रही है।
Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana Controversy: लाभार्थियों में गुस्सा और असमंजस
इस पत्र के बाद उन गरीब और बेरोजगारी से जूझ रहे परिवारों में नाराजगी देखने को मिल रही है, जिन्होंने इस राशि को सरकार की ओर से मिला चुनावी तोहफा समझकर खर्च कर दिया था।
अब जब जीविका की ओर से वसूली का पत्र भेजा गया है, तो लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। जो पैसा उनके लिए कुछ समय की राहत बना था, वही अब उनके लिए परेशानी और सिरदर्द बन गया है।
Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana Controversy: विपक्ष के आरोप
इस पूरे मामले को लेकर विपक्षी दल, खासकर आरजेडी, सरकार पर हमलावर हो गए हैं। विपक्ष का आरोप है कि यह पूरी घटना एनडीए नेताओं और अफसरों की ‘हड़बड़ी’ में की गई ‘भयंकर गड़बड़ी’ का नतीजा है।
विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह वोट खरीदने की कोशिश थी, जिसमें बिना पूरी जांच-पड़ताल के पैसा ट्रांसफर कर दिया गया।
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Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana: DBT की टाइमिंग पर सवाल
इस विवाद ने योजना की पारदर्शिता के साथ-साथ चुनाव से ठीक पहले किए गए बड़े पैमाने पर डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) की टाइमिंग पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
विपक्ष का कहना है कि भुखमरी और बेरोजगारी के दौर में लोगों ने यह पैसा तुरंत खर्च कर दिया होगा और अब उनसे इसे वापस मांगना अमानवीय है।
Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana Controversy: प्रशासनिक लापरवाही या सिस्टम फेल?
यह मामला सिर्फ एक ‘तकनीकी त्रुटि’ तक सीमित नहीं रह गया है। इसने प्रशासनिक लापरवाही, डेटा सत्यापन की कमजोरी और योजना के क्रियान्वयन पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं।
अब देखना यह होगा कि सरकार इस विवाद पर क्या सफाई देती है और प्रभावित लोगों को किस तरह राहत दी जाती है।
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