मुंगेर पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह के निर्देश पर की गई कार्रवाई के दौरान नकली अंग्रेजी शराब की फैक्ट्री का उद्भेदन किया गया. हरिनमार के डुमरिया टोला में अंग्रेजी शराब बनाए जाने की सूचना पुलिस अधीक्षक को मिली थी. इसके बाद पुलिस अधीक्षक द्वारा छापामारी दल का गठन किया गया. जिसके बाद गोरखधंधे का खुलासा किया गया. पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने बताया कि हरिनमार थाना क्षेत्र के डुमरिया टोला गांव में अंग्रेजी शराब बनाए जाने की सूचना मिली थी. इसके बाद जिला आसूचना इकाई को सूचना के सत्यापन तथा रेकी का निर्देश दिया गया था. विगत दो सप्ताह से जिला आसूचना इकाई की टीम काम कर रही थी और धंधेबाजों के बारे में जानकारियां जुटाने का काम चल रहा था. सूचना के सत्यापन और पर्याप्त रेकी के बाद पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह द्वारा छापामारी दल का गठन किया गया. छापामारी दल में तारापुर एसडीपीओ पंकज कुमार, ईस्ट कॉलोनी इंस्पेक्टर धर्मेंद्र कुमार, कासिम बाजार थानाध्यक्ष शैलेश कुमार, तारापुर थानाध्यक्ष अमरेंद्र कुमार, संग्रामपुर थानाध्यक्ष सर्वजीत कुमार, असरगंज थानाध्यक्ष स्वयंप्रभा, बरियारपुर थानाध्यक्ष राजेश रंजन, बासुदेवपुर ओपी अध्यक्ष सुशील कुमार, पूरब सराय ओपी अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार, हरिनमार थानाध्यक्ष के अलावा मुंगेर जिला पुलिस के जवान शामिल थे.
पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने बताया कि पूरे दियारा इलाके की घेराबंदी कराई गई थी और इसके बाद मनीष पटेल नाम के एक व्यक्ति को हिरासत में लेकर पूछताछ किया गया. करीब 48 घरों की तलाशी ली गई. जिसके बाद बड़े पैमाने पर शराब बनाए जाने के खेल का उद्भेदन हुआ. मनीष पटेल ही इस गोरखधंधे का मास्टरमाइंड है और उसी ने शराब बनाने की फैक्ट्री लगा रखी थी. काफी सुसंगठित तरीके से मनीष पटेल द्वारा इस काम को किया जा रहा था. गांव के लोगों को प्रभाव में लेकर तथा उन्हें रुपए का लालच देकर इस धंधे में शामिल किया गया था. मुंगेर पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के दौरान 377 लीटर नकली शराब बरामद किया गया. इसके अलावा हथियारों की बरामदगी भी हुई है. पुलिस ने एक कार्बाइन, एक देशी राइफल, लंबे बैरल की दो देसी पिस्तौल, एक कट्टा, 34 गोलियां बरामद की है. एक लाख उनहत्तर हजार रूपए नगद भी बरामद हुए हैं. हरिनमार थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है. सभी गिरफ्तार अभियुक्तों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है.
मनीष कुमार डुमरिया टोला हरिनमार, दीपक कुमार डुमरिया टोला हरिनमार, श्याम कुमार सिमुखिया गंगौर ओपी खगड़िया, राजेश कुमार दास एकनिया मानसी खगड़िया, विकास दास एकनिया मानसी खगड़िया, अभिषेक डुमरिया टोला हरिनमार, डब्बो पटेल डुमरिया टोला हरिनमार, सुबोध मंडल हरिनमार, पांडव मंडल हरिनमार, गौतम कुमार हरिनमार, शंभू कुमार हरिनमार, शिव कुमार चांदपुर गोगरी जमालपुर, राहुल कुमार डुमरिया टोला हरिनमार, वीडियो कुमार डुमरिया टोला हरिनमार
टाटा 407 गाड़ी 1, पिकअप वैन 1,बोलेरो 1, अंग्रेजी शराब की खाली बोतलें 7500,स्प्रिट 400 लीटर, देसी शराब के पाउच 427 पाउच, ढक्कन सील 40000 पीस,स्प्रिट ड्रम 35 , माल्ट फ्लेवर 16 लीटर, बोतल साफ करने वाला ब्रश 8,कार्टून 100 पीस, रॉयल स्टैग 375 एमएल की 139 बोतल 52 लीटर, रोयल चैलेन्ज 375 एमएल की 190 बोतल 71.5 लीटर, मैकडोवल नंबर वन 375 एमएल की 173 बोतलें 64.8 लीटर,इंपिरियल ब्लू 375 एमएल शराब की 487 बोतल 182.6 लीटर,ब्लेंडर्स प्राइड 750 एमएल की 9 बोतलें 6.75 लीटर,नगद ₹169900, एटीएम कार्ड 2, किसान क्रेडिट कार्ड 1, पैन कार्ड 1, लैपटॉप 1, कारबाइन 1, कारबाइन मैग्जीन 2, देशी राइफल 1, लंबी बैरल की देशी पिस्तौल 2, कट्टा 1, गोलियां 34
हरिनमार दियारा इलाके की दुरूह भौगोलिक स्थिति को देखते हुए पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने चार टीमों का गठन किया था. दियारा इलाके में मोबाइल नेटवर्क भी काम नहीं करता था, जिस कारण से वायरलेस सेट देकर चारों टीमों को भेजा गया था. ताकि आपस में बात करने में सहूलियत हो और वायरलेस के जरिए पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह का भी छापामारी दल से संपर्क कायम था. पूरे दियारा इलाके की सघन घेराबंदी करा दी गई थी. दो टीमें सड़क मार्ग से भागलपुर, नवगछिया, खगड़िया होते हुए गई थी तथा दो टीमों को नाव से रवाना किया गया था. 18 दिनों से पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह के नेतृत्व वाली टीम सूचना के सत्यापन और रेकी कर रही थी. 28 घंटे तक यह ऑपरेशन लगातार चलता रहा. रविवार रात से दियारा इलाके की घेराबंदी की जाती रही और सोमवार सुबह होते ही पुलिस टीम ने घरों को सर्च करना शुरू कर दिया था. रविवार रात से शुरू हुआ अभियान सोमवार रात तक जारी रहा. ऑपरेशन विशुद्ध रूप से जिला पुलिस का था और किसी दूसरी एजेंसी की इसमें कोई भूमिका नहीं थी.
नकली शराब बनाए जाने के गोरखधंधे का मुख्य मास्टरमाइंड मनीष पटेल ही है. अपने गांव के लोगों को प्रभाव में लेकर अथवा लालच देकर इस ने कुछ घरों को सेफ जोन के तौर पर विकसित कर लिया था. हर घर के पीछे एक झोपड़ी बनाई गई थी और झोपड़ी में ही शराब को बनाने का काम चलता था. कहीं बोतलों की सफाई होती थी तो कहीं बोतलों में शराब भरकर फिर दूसरी जगह पर स्टिकर लगाकर पैक किया जाता था. हाथ से ही सारा काम होता था. नकली सील भी पश्चिम बंगाल से मंगाया जाता था और नकली मुहर भी वहीं से धंधेबाजों को आपूर्ति की जाती थी. ढक्कन सील, रेपर स्टीकर और शराब के ढक्कन पर लगने वाली मुहर सभी पश्चिम बंगाल से आते थे और यहीं पर शराब की पैकिंग हो जाती थी. 375 एमएल शराब की खाली बोतलों को दूसरे जिलों से खरीद कर मंगाया जाता था और साफ करने के बाद उसमें नकली शराब बनाकर पैक कर आवश्यकतानुसार इसकी बिक्री की जाती थी.
नकली शराब के धंधे बाज एक लीटर स्प्रिट से अंग्रेजी 375 एमएल अंग्रेजी शराब की 10 बोतलें तैयार कर लेते थे. 1 लीटर स्प्रिट में 3 लीटर पानी, दो ढक्कन कलर, एक ढक्कन फ्लेवर और एक ढक्कन परफ्यूम मिलाकर शराब तैयार कर लेते थे. फिर अंग्रेजी शराब को बोतलों में पैक किया जाता था और तब इसको दूसरी जगह पर भेजा जाता था. डिमांड के अनुसार अंग्रेजी शराब तैयार की जाती थी और उसके बाद इसे खपाया जाता था.
मनीष पटेल ने गांव में ही एक फैक्ट्री लगा रखी है. पॉलिथीन और कैरी बैग की इसकी अपनी फैक्ट्री थी. लॉकडाउन के समय व्यापार में इसको घाटा हुआ था और फिर उसने अंग्रेजी शराब बनाने का फैसला किया था. कुछ दिनों पूर्व ही इसने सारा सेटअप लगाया था और चुनाव के समय डिमांड को देखते हुए इतने बड़े पैमाने पर अंग्रेजी शराब बनाए जाने की तैयारी कर ली थी. यही कारण है कि अभी खाली बोतलें और बाकी सारा सामान स्टॉक किया गया था. 18 अक्तूबर को इसके पास स्प्रिट का एक बड़ी खेप भी आने वाली थी. लेकिन इसी बीच पुलिस द्वारा कार्रवाई कर एक बहुत बड़े रैकेट का पर्दाफाश कर दिया गया.