थाने तक पहुंचा पानी — पुलिसकर्मियों को वर्दी मोड़कर आना पड़ रहा ड्यूटी पर
अहियापुर थाने की स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है। थाने का ग्राउंड फ्लोर पूरी तरह डूब चुका है। दरोगा अर्जुन कुमार के अनुसार, “अब थाने तक पहुंचने के लिए वर्दी मोड़कर और जूते हाथ में लेकर आना पड़ता है।”
थाने में रखी कई जब्त गाड़ियां बाढ़ के पानी में डूब चुकी हैं। महिला कर्मियों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बिजली और संचार व्यवस्था भी प्रभावित हुई है, जिससे थाने का संचालन कठिन हो गया है।
500 झोपड़ियों में घुसा पानी, किसान और गरीब परिवार बेहाल

बालूघाट बांध के किनारे बसे निचले इलाकों में करीब 500 झोपड़ियों में पानी घुस चुका है। कई परिवारों ने अपने सामान को ऊंचे स्थानों या छतों पर पहुंचा दिया है। कुछ लोग नावों और बांस के पुलों का सहारा लेकर अपने घरों तक पहुंच रहे हैं।
संगम घाट और आसपास के खेतों में धान और सब्जियों की पूरी फसल डूब गई है। किसान श्यामलाल राय कहते हैं, “पूरी मेहनत पर पानी फिर गया। साल भर की कमाई चली गई।”
यह सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि सैकड़ों गरीब परिवारों की रोज़ी-रोटी पर चोट है।
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प्रशासन अलर्ट पर — राहत शिविर, मेडिकल टीम और नाव तैनात
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने राहत कार्यों को तेज कर दिया है।
एसडीओ (पूर्वी) तुषार कुमार ने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में नावें तैनात की जा रही हैं ताकि लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके।
स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल टीम तैयार की है, जो बाढ़ क्षेत्रों में जाकर मलेरिया, डेंगू और जलजनित बीमारियों की जांच करेगी। पशुपालन विभाग ने भी चारे और पशु-टीकाकरण की व्यवस्था शुरू कर दी है।
राहत शिविरों के लिए स्कूल भवन और पंचायत भवनों को अस्थायी आश्रय के रूप में तैयार किया जा रहा है।
स्थानीय लोगों का आक्रोश — हर साल वही कहानी, कोई स्थायी समाधान नहीं
अहियापुर निवासी राजकिशोर पासवान ने बताया, “हर साल यही स्थिति होती है। न ड्रेनेज सिस्टम सुधरता है, न बांध की मरम्मत होती है। बारिश आते ही मुजफ्फरपुर तालाब बन जाता है।”
स्थानीय समाजसेवियों ने प्रशासन से स्थायी जल निकासी व्यवस्था और तटबंधों की मरम्मत की मांग की है।
लोगों का कहना है कि यह केवल मौसम की मार नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है।
जलस्तर खतरे के निशान के करीब — अगले 24 घंटे अहम
बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर खतरे के निशान से केवल 0.25 मीटर नीचे है।
अगर अगले 24 घंटे में उत्तर बिहार के जलग्रहण क्षेत्रों में बारिश होती है तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
मौसम विभाग ने संभावित भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। जिला प्रशासन ने नागरिकों से सतर्क रहने और अफवाहों से बचने की अपील की है।
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बाढ़ के बढ़ते खतरे के बीच उम्मीद की किरण
हालांकि प्रशासन ने कहा है कि राहत सामग्री की कमी नहीं होगी। नावों, खाने और दवाओं का पर्याप्त स्टॉक रखा गया है।
बाढ़ के इस कठिन दौर में स्थानीय युवा स्वयंसेवक और एनजीओ भी मदद में आगे आए हैं।
“अगर सब मिलकर काम करें तो नुकसान को कम किया जा सकता है,” एसडीओ तुषार कुमार ने कहा।
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