किशनगंज, संवाददाता
मौसम अलर्ट तो लगभग रोज मिल रहा है लेकिन उत्तर बिहार की नदियों में नेपाल से आने वाले पानी से पैदा हुई स्थिति और बाढ़ से निबटने की तैयारी की कोई जानकारी नहीं मिल पाती है। आमतौर पर सरकारी अमला निर्देशात्मक ही पाया जाता है। किशनगंज के टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र का झुनकी मुसहरा पंचायत एक छोटी मिसाल बनकर सामने आया है। इस पंचायत के वार्ड नंबर एक में कटावरोधी कार्य 10 दिन से चल रहा था, लेकिन कार्य की धीमी गति ने बांध को कटाव से बचाने के बजाय चुनौती पेश कर दी है। रेतुआ नदी पानी से लबालब है और उसकी धार तेज है। धीमी गति से काम होने का नतीजा यह हुआ कि जिओ बैग लगी हुई बोरी को रेतुआ नदीं की तेज धारा ने अपने आगोश में ले लिया।
वार्ड सदस्य प्रतिनिधि नासिद आलम ने इसे संबंधित विभाग और संवेदक की लापरवाही का नतीजा बताया है। नासिद आलम ने आरोप लगाया कि यदि जिओ बैग लगाने का कार्य समय से पूर्व शुरु हुआ रहता तो जिओ बैग को नदी बहाकर नहीं ले जाती। उन्होंने कार्य की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़ा किया और कहा कि संबंधित विभाग के पदाधिकारी की लापरवाही से इंकार नहीं किया जा सकता है। धरातल से गायब रहने वाले पदाधिकारी और मजदूरों के भरोसे गुणवत्ता पूर्ण कार्य की कल्पना बेमानी है। नासिद आलम ने जिला पदाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए संबंधित विभाग एवं संवेदक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।
कटावरोधी कार्य के निर्माण में लापरवाही
