राज्य की 35 एसएनसीयू में नवजातों को नहीं मिल रही पैथोलॉजिकल जांच एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड की सुविधा मुजफ्फरपुर की स्थिति सबसे खराब,लखीसराय और कटिहार समेत अन्य जिलों की स्थिति भी काफी खराब

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मुजफ्फरपुर, संवाददाता
राज्य के 35 सदर अस्पतालों में गंभीर और प्रीमैच्योर नवजातों के नि:शुल्क इलाज और जांच समेत अन्य सभी सुविधाओं के लिए सरकार स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) संचालित कर रही है। लेकिन, इन एसएनसीयू में भर्ती नवजातों को पैथोलॉजिकल जांच, एक्सरे और अल्ट्रासाउंड जैसी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। इसमें मुजफ्फरपुर की स्थिति काफी खराब है।
जिले में नवंबर से जनवरी तक तीन माह में एसएनसीयू में मात्र 4 बच्चों की सीरम बिलिरुबिन, 17 बच्चों की क्रिएक्टिव प्रोटीन और 17 बच्चों की आरएच जांच की गई। अल्ट्रासाउंड, यूरिन टेस्ट, एसजीपीटी, प्लेटलेट्स, सीरम कैल्शियम, कंप्लीट ब्लड काउंट, सीरम क्रिएटनीन और ग्लूकोज जांच शून्य है।
लखीसराय और कटिहार समेत अन्य जिलों के एसएनसीयू की स्थिति भी काफी खराब है। राज्य स्तरीय समीक्षा में इसका खुलासा होने के बाद मुख्यालय ने गहरी नाराजगी जताई है। शिशु स्वास्थ्य के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. विजय प्रकाश राय ने सिविल सर्जन को पत्र लिखकर बीमार नवजातों की जांच के लिए 24 घंटे 7 दिन प्रयोगशाला की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
अररिया, औरंगाबाद, भोजपुर, खगड़िया, मधेपुरा, मुंगेर, नालंदा और रोहतास में 80 फीसदी से कम बच्चे स्वस्थ हो रहे हैं। जो बच्चे भर्ती हो रहे हैं, उनमें 80 फीसदी से अधिक बच्चों को स्वस्थ कर डिस्चार्ज करने का मानक है। अररिया और रोहतास में 5 फीसदी से अधिक बच्चे लामा हो जा रहे हैं। भर्ती बच्चों में अरवल, औरंगाबाद, बेगूसराय, भोजपुर, बक्सर, जमुई, लखीसराय, मुंगेर और रोहतास में 5 फीसदी से अधिक बच्चों की मौत हो रही है, जबकि 5 फीसदी से कम बच्चों की मौत का मापदंड तय है। बताया गया कि जिले में अगस्त में 84%, सितंबर में 90% और अक्टूबर में 87% बच्चे स्वस्थ होकर डिस्चार्ज किए गए।
राज्य के 23 जिला अस्पतालों में एसएनसीयू की तिमाही रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर 18वें नंबर पर है। राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से जारी अगस्त से अक्टूबर 2024 की तिमाही रिपोर्ट में निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं किए जाने की बात सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एसएनसीयू में भर्ती होने वाले कुल बच्चों में 5 प्रतिशत से कम को ही रेफर किए जाने का मापदंड है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त में 2218, सितंबर में 2055 और अक्टूबर में 1884 बच्चे भर्ती हुए। सिर्फ मुजफ्फरपुर में अगस्त में 76, सितंबर में 72 और अक्टूबर में 77 नवजात को भर्ती किया गया। इनमें अगस्त में 11%, सितंबर में 4% और अक्टूबर में 11% बच्चों को रेफर किया गया। तीनों माह में एक-एक प्रतिशत बच्चे की मौत हो गई। इसी प्रकार अगस्त में 4%, सितंबर में 4% और अक्टूबर में 1% बच्चे अस्पताल से लामा हो गए।

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