बीरगंज में श्रद्धा और भक्ति से मनाई गई निर्जला एकादशी इस्कॉन अध्यक्ष ने बताया पर्व का आध्यात्मिक महत्व

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रक्सौल,संवाददाता
अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) के तत्वावधान में बीरगंज स्थित इस्कॉन मंदिर में निर्जला एकादशी का पर्व अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और भव्यता के साथ मनाया गया। इस अवसर पर न केवल भारत और नेपाल की सांस्कृतिक एकता झलकी, बल्कि भक्ति के रंग में सराबोर श्रद्धालुओं की आस्था भी देखने को मिली। कार्यक्रम की अगुवाई कर रहे अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावना नित्यानंद संघ के अध्यक्ष मुक्तिपद गौरांग दास ने एकादशी के आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला। निर्जला एकादशी केवल उपवास का पर्व नहीं है, यह आत्मशुद्धि, भक्ति और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम अवसर है। जब जल तक ग्रहण न किया जाए और संपूर्ण मन-प्राण से प्रभु का चिंतन किया जाए, तभी इस दिन का वास्तविक लाभ प्राप्त होता है।
उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल की संस्कृति का मूल स्वर एक है – धर्म, करुणा और भक्ति। बीरगंज में इस्कॉन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम ने यह प्रमाणित किया कि सीमाएं केवल भौगोलिक हो सकती हैं, भावनाएं और आस्था की कोई सीमा नहीं होती।
कार्यक्रम में इस्कॉन बीरगंज के उपाध्यक्ष चिंतामणि गौरांग दास, सचिव पियूष गुप्ता, सचिन, कुसुम अग्रवाल, सदस्य रतन बरनवाल, चेतन सरावगी, डॉ. अखिल झा समेत अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे। सैकड़ों महिलाओं एवं भक्तों ने इस पर्व पर निर्जल रहकर भक्ति भाव से सिर झुकाया और प्रभु का स्मरण किया।
पूरे बीरगंज शहर में इस दिन आध्यात्मिक वातावरण व्याप्त रहा। मंदिर में कीर्तन, प्रवचन, भजन और प्रसाद वितरण के साथ दिन भर भक्ति का प्रवाह बना रहा।
यह आयोजन इस बात का भी प्रतीक बना कि नेपाल में भारतीय संस्कृति की गहराई और स्वीकार्यता कितनी मजबूत है। हिन्दू पर्व-त्योहारों को यहां उसी श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाता है जैसे भारत में। इस आयोजन ने भारत-नेपाल की सांस्कृतिक एकता को एक बार फिर सशक्त रूप में प्रस्तुत किया।

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