गणेश झा (वरिष्ठ पत्रकार )
पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना के हमलों के जवाब में पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की। जिसे भारत ने विफल कर दिया। शनिवार (10 मई, 2025) की सुबह पाकिस्तान ने एक मिसाइल भारत पर दागी। इसे सिरसा में मार गिराया गया। आशंका जताई गई कि यह पाकिस्तान की फतह-II बैलिस्टिक मिसाइल थी। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस उड़ा दिए। इनमें एयरबेस नूर खान और मुशाफ भी थे।
नूर खान एयरबेस पाकिस्तान के रावलपिंडी में है और राजधानी इस्लामाबाद से मात्र 10 किलोमीटर दूर स्थित है। यह एयरबेस पाकिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण एयरबेस में से एक है। यहाँ पाकिस्तान के सी -130 कार्गो, आईएल -76 रिफ्युलर समेत कई महत्वपूर्ण विमान तैनात रहते हैं। जबकि मुशाफ एयरबेस पाकिस्तान के सरगोधा में है। मुशाफ एयरबेस से भारत सीमा से मात्र 150 किलोमीटर की दूरी पर है। इस एयरबेस पर पाकिस्तान के एफ -16, जेएफ -17 और मिराज समेत कई महत्वपूर्ण विमान तैनात रहते हैं।
यह भी कयास हैं कि इनमें से कई विमानों को भारत ने नुकसान पहुँचाया है। इसकी तस्वीरें भी सामने आई है। सैटेलाईट से ली गई तस्वीरों में भी भारतीय हमले का असर साफ दिखा है। मुशाफ और नूर खान जैसे सैन्य ठिकानों पर हमला दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। क्योंकि नूर खान पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का कमांड एंड कण्ट्रोल सिस्टम है। और किराना हिल्स था, जो कि सरगोधा के निकट ही मौजूद है, उसकी परमाणु स्टोरेज फैसिलिटी। हमला में नूर खान एअरबेस को भारी नुकसान हुआ। सिर्फ मुशाफ बेस ही नहीं, किराना हिल्स भी?
सरगोधा के मुशाफ एयरबेस पर हमला जहां काफी बड़ी बात है, वहीं इससे अहम एक और घटना संभवतः इसी बीच घटी। कई विश्लेषकों ने बताया कि भारतीय वायु सेना और सेना का हमला सिर्फ नूर खान और बाकी 10 एयरबेस पर ही नहीं हुआ, बल्कि इसी के साथ पाकिस्तान की परमाणु हथियारों की स्टोरेज फैसिलिटी किराना हिल्स पर भी हमला किया गया है। किराना हिल्स सरगोधा जिले में ही स्थित है और मुशाफ एयरबेस के पास मौजूद है।
किराना हिल्स या किरना हिल्स एक पहाड़ है। यह इलाका पूरी तरह से पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने अपने कब्जे में ले रखा है। यहां पाकिस्तान ने पहाड़ के नीचे अपनी स्टोरेज फैसिलिटी बनाई रखी है। इसमें हथियार रखे जाते हैं। यह भी सामने आया है कि यहां पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियार छुपाए हुए हैं। विश्लेषकों ने कई फुटेज और लोकेशन का विश्लेषण करके दावा किया है कि इस फैसिलिटी के दरवाजों पर भारत ने हमला किया है। एक फुटेज भी इस संबंध में वायरल हो रही है।
विश्लेषकों का दावा है कि यह इस फैसिलिटी पर भारत ने कोई ब्रह्मोस जैसी मिसाइल दागी है, जिसने बड़ा नुकसान यहाँ पहुँचाया है। यह भी दावा है कि यहाँ पर भारत ने एक से अधिक हमले एक साथ किए हैं, जिसके चलते इस फैसिलिटी को नुकसान पहुँचा है। विश्लेषकों के अनुसार, यह हमला भारत ने 10 मई को सिरसा पर मिसाइल छोड़े जाने के बाद भारत ने किया। इस हमले में कितना नुकसान हुआ है, इसको लेकर भी विश्लेषकों के अलग-अलग दावे हैं।
सूत्र बताते हैं कि भारतीय सेना ने अपने हमले में किराना हिल्स के स्टोरेज में रखे एटमी हथियार भी उड़ा दिए। किराना हिल्स को लेकर सबसे पहले दावा करने वाले विश्लेषक जयदेव जमवाल ने एक्स (पहले ट्विटर) पर बताया है कि इस हमले में पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को नुकसान पहुँचा है। उन्होंने बताया है कि हमला संभवतः इस जगह पर बनाई गई सुरंगों के ऊपर था। कुछ वर्ष पहले सामने आई तस्वीरों से पता चलता है कि इस पहाड़ में जाने के लिए पाकिस्तान ने कई सुरंगे बना रखी हैं। उनका दावा है कि लगातार हुए हमलों के चलते इस इन्फ्रा को नुकसान पहुँचा और इसके चलते अंदर रखे परमाणु हथियार भी डैमेज हुए। इसका असर भी देखने को मिला।
भूकंप और अमेरिकी विमान के वहां आने से इस खबर को और भी बल मिला। भारत के पाकिस्तान की इस किराना हिल्स फैसिलिटी पर हमले की थ्योरी को और भी बल कुछ और घटनाओं से मिला। 10 मई, 2025 को पाकिस्तान में दोपहर में ही रिक्टर स्केल पर 4.0 की तीव्रता का एक भूकंप आया। दरअसल, परमाणु हमलों के समय भी ऐसे ही भूकंप महसूस किए जाते हैं। विश्लेषकों ने दावा किया कि कहीं यह भूकंप परमाणु हथियारों के फटने के चलते तो नहीं आए। भारतीय हमले के अलावा यह भी एक आशंका जताई गई कि पाकिस्तान ने स्वयं ही यह धमाका किया हो ताकि इसका सन्देश जाए।
इसके बाद 11 मई, 2025 को एक और घटना घटी। इस दिन पाकिस्तान में एक अमेरिकी विमान की आमद हुई। यह बीचक्राफ्ट कम्पनी का एक विमान था। इसका नम्बर एन 111एस जेड था। विश्लेषकों ने दावा किया कि यह विमान अमेरिका के एनर्जी विभाग का है। एनर्जी विभाग ही अमेरिका और उससे जुड़े देशों में परमाणु हथियारों की देखरेख करता है। विश्लेषकों का दावा है कि यह एयरक्राफ्ट पाकिस्तान में परमाणु हथियार फटने हुए रेडियो विकिरण को जाँचने आया है।
यह एयरक्राफ्ट इस्लामाबाद और आसपास के इलाकों में उड़ान भरता देखा गया। विश्लेषकों का कहना है कि किराना हिल्स से हुए विकिरण को जाँचने यह विमान हवा में चक्कर काट रहा था। हालाँकि, इसके उलट भी कुछ दावे हुए। बताया गया कि यह एयरक्राफ्ट 2010 में ही अमेरिकी एनर्जी विभाग से डीरजिस्टर हो चुका था और अब यह पाकिस्तान के लिए काम करता है। किसी भी पक्ष की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हो सकी। इस विमान की उड़ान के भी कई सबूत सोशल मीडिया पर रखे गए।
मिस्र से बोरोन लेकर आए कार्गो विमान ने रेडिएशन लीक होने की आशंका को और बढ़ा दिया। भारत के पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर हमला करने और उसके बाद सीजफायर होने की थ्योरी को एक और घटना ने बल दिया है। फ्लाईट की आवाजाही पर नजर रखने वाले लोगों ने बताया कि ईजिप्ट से 11 मई, 2025 को एक विमान पाकिस्तान पहुँचा। इसके एक दिन बाद एक और विमान ईजिप्ट से पकिस्तान आया है। इसका नम्बर इजीवाई 1916 बताया गया। यह विमान ईजिप्ट की एयरफ़ोर्स के थे। इसके बाद लोगों के मन में प्रश्न उठे। इन विमानों की आमद को लोगों ने बोरान लाए जाने से जोड़ा। विश्लेषकों ने कहा कि बोरान का इस्तेमाल परमाणु हथियार फटने से हुए रेडियो विकिरण को कम करने में किया जाता है। ऐसे में संभवत पाकिस्तान ईजिप्ट से बोरान ही मँगा रहा था। इस दावे को इस बात से बल मिला कि ईजिप्ट बोरान का एक बड़ा उत्पादक है और यह ईजिप्ट के नील नदी के डेल्टा में बड़ी मात्रा में उत्खनन होता है। हालांकि, इसको लेकर ना ही ईजिप्ट और ना ही पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी दी है।
ऐसी चर्चा है कि परमाणु धमाके की सूचना ही वह खुफिया जानकारी थी। भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच 10 मई, 2025 को ही शाम 5 बजे सीजफायर का ऐलान हुआ। इसका ऐलान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने किया। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भी इसमें भूमिका बताई गई। यह बात जितनी महत्वपूर्ण थी, उससे महत्वपूर्ण थी यह क्यों हुआ। अमेरिकी मीडिया संस्थान सीएनएन ने एक रिपोर्ट में बताया कि जेडी वेंस ने दोनों देशों से बातचीत और शांति समझौते के लिए प्रयास का यह कदम एक चिंताजनक खुफिया जानकारी के बाद उठाया।
भारतीय सेनाओं के किराना हिल्स पर हमले और अमेरिका के उसके बाद सक्रिय होने को लेकर यही एक कड़ी है। यह बात स्पष्ट नहीं है लेकिन संभवतः परमाणु फैसिलिटी पर हमला या फिर भारत का इस संबंध में स्पष्ट कर देना कि अब उसका निशाना सामान्य पाकिस्तनी एयरबेस या सैन्य अड्डे ना होकर परमाणु फैसिलिटी होंगी, अमेरिका को चिंतित कर गया। इसके समर्थन में एक बात और भी है। दरअसल, 10 मई 2025 तक दोनों देश लगातार एक दूसरे पर हमला कर रहे थे और भारत को बढ़त हासिल थी।
यह स्थिति 10 मई, 2025 को 2 बजे दोपहर तक थी। लेकिन इसी बीच ऐसा क्या हुआ कि 5 बजे सीजफायर का ऐलान दोनों देशों ने कर दिया। एक और प्रश्न उठता है कि इस सीजफायर को लेकर अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रम्प ने जहाँ पीठ ठोंकी वहीं 2 दिन पहले वह इस मामले से दूर भाग रहे थे। उनका मत था कि यह मामला दोनों देशों के बीच का है और वही इसे निपटाएंगे। ऐसे में कुछ घंटो के भीतर क्या हुआ कि अमेरिका इस पूरे बवाल में इंट्रेस्टेड हो गया।
इस परिस्थिति को लेकर जितने भी प्रश्न अभी चल रहे हैं, उनमें से एक का जवाब भी अभी आधिकारिक तौर पर नहीं आया है। अधिकांश जगह एक सिरे से दूसरा मिला कर ही बातें कही जा रही हैं। संभवत: यह जानकारी इतनी संवेदनशील है कि इसको लेकर कभी कुछ सामने ही ना आए। भारतीय वायु सेना ने भी यह साफ कर दिया है कि उन्होंने किराना फैसिलिटी को निशाना नहीं बनाया है।
नूर खान और मुशाफ एअरबेस का रहस्य
