पद्मसंभव श्रीवास्तव
(वरिष्ठ पत्रकार)
राष्ट्रीय जनता दल का पूरे एक साल का फ़ंडिंग संजय यादव के आने से पहले साल 2011-12 में मात्र 26 लाख 32 हज़ार रुपए था, मगर बाद में बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा और राष्ट्रीय जनता दल का सन् 2016-17 में एक साल में सिर्फ़ दान में प्राप्त 57 करोड़ 95 लाख और कुछ वर्ष बाद सन् 2023-24 में बढ़कर 81 करोड़ तक पहुँच गई। संजय यादव ने कंप्यूटर साइंस और मैनेजमैंट की पढ़ाई की है और वो एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी करते थे। ज़िंदगी साधारण ढंग से गुजर रही थी, लेकिन सन् 2009 के आसपास एक ऐसा मोड़ आया जिसने उनकी राह बदल दी। उसी दौर में बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव जेल चले गए और पार्टी का बागडोर धीरे-धीरे तेजस्वी यादव के हाथों में आने लगा।
यहीं से संजय यादव की लालू प्रसाद के परिवार और राजनीतिक दल में नेपथ्य से प्रवेश हुआ। वह तेजस्वी के साथ जुड़े और धीरे-धीरे उनके सबसे खास सलाहकार बन बैठे। बिहार आकर उन्होंने कुछ साल तक यहाँ की राजनीति को समझा, चुनावी समीकरण और आँकड़े पर काम किया। और फिर बिहार की राजनीति को कैसे हांका जाए ,यह समझने के बाद राजद को मजबूती देने में जुट गए। संजय यादव ने ज़रूरत के मुताबिक़ आरजेडी में कई तरह के तकनीकी और डिजिटल दौर के बदलाव भी किए हैं।
कहानी में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब बिहार की राजनीति से कोसों दूर हरियाणा का संजय यादव बिहार से राज्यसभा भेज दिया गया। सवाल उठने लगे कि जो व्यक्ति पटना तक का रास्ता बिना गूगल मैप के न जानता हो, वह बिहार का प्रतिनिधित्व कैसे करेगा? फायदा बिहार को हुआ या सिर्फ़ संजय यादव को – यही बहस शुरू हुई।
धीरे-धीरे संजय यादव ने न सिर्फ़ पार्टी बल्कि परिवार पर भी पकड़ बनानी शुरू कर दी। लालू यादव के घर में काम करने वाले पुराने भरोसेमंद लोगों को हटाकर हरियाणा के लोग भर दिए गए। सुरक्षाकर्मी से लेकर बगीचे के माली तक, सभी हरियाणा से लाए गए। पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं की जगह बाहरी लोगों को वेतन, गाड़ी, मकान और सुविधाएँ देकर बैठा दिया गया। अब परिवर्तित स्थिति यह है कि तेजस्वी यादव के पोस्टर में लालू यादव और राबड़ी देवी का फोटो हो या न हो, संजय यादव का चेहरा ज़रूर दिखता है।
लोगों का मानना है कि राजद में इस धन उगाही योजना का सारा श्रेय उनके सहयोगी संजय यादव जी को जाता है। उस दौर में राजद के भीतर धन उगाही का ऐसा नशा चढ़ा था कि इन्हें सबसे अधिक चंदा नशा बनाने वाली कम्पनी से ही मिला था। संजय यादव के अभिन्न समर्थकों के अनुसार वे करोड़ों की सम्पत्ति और करोड़ों की नौकरी छोड़कर अपनी दोस्ती के लिए तेजस्वी यादव का साथ देने बिहार आए हैं।
शायद उन्हें यह जानकारी नहीं हो कि करोड़ों की नौकरी करने वाले संजय यादव तेजस्वी यादव से मिलने से पहले अपने लिए एक घर तक नहीं ख़रीद पाए थे, लेकिन तेजस्वी के साथ आने के बाद अब तक दिल्ली में अब दो घर ख़रीद चुके हैं। एक घर उनका नजफगढ़ के टोडरमल कॉलोनी में हैं जो संजय यादव की पत्नी के नाम सन् 2018 में ख़रीद गया और एक घर खुद उनके नाम दिल्ली के द्वारका में रजिस्टर्ड है। करोड़ों की नौकरी जब संजय यादव कर रहे थे, तब वह अपने लिए एक कमरा नहीं ख़रीद पाए और तेजस्वी यादव के साथ बैठकें करते हुए दो-दो घर ख़रीद लिया।
अथ अनंत संजय पुराण !
"चंदे से चोटी तक: कैसे RJD का चेहरा बने संजय यादव?"
