पटना: बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आज दूसरे सदन में आरक्षण के मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। इस हंगामे के बीच विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया। दरअसल, सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने विधानसभा में आरक्षण का मुद्दा उठाया। इसको लेकर सत्तापक्ष से उनकी तीखी बहस हो गई। विपक्ष के सदस्य मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने ही हंगामा करने लगे। विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने सदस्यों को समझाया, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। विपक्ष के विधायकों ने बेल में आकर हंगामा करना शुरू कर दिया। इसके साथ ही विपक्ष के विधायक पोस्टर लेकर हंगामा करने लगे।
विधानसभा अध्यक्ष ने मार्शल को आदेश दिया कि वह विधायकों के पास मौजूद पोस्टर ले लें। उसके बाद भी विपक्ष के विधायक हंगामा करते रहे। और आखिरी में वह वॉक आउट कर गए। इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें यह समझाते हुए कहा कि जो बात आप कर रहे हैं, इसको लेकर सर्वसम्मति से फैसला हुआ है। उसके बाद यह मामला कोर्ट में पंहुचा और पहले सेशन में सरकार का जवाब भी आ गया है। इस बीच सदन में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और तेजस्वी यादव आमने-सामने हो गए। सम्राट चौधरी ने कहा कि आपकी सरकार में आरक्षण को लेकर फैसला नहीं लिया गया था। नीतीश जी की सरकार थी। इसपर तेजस्वी यादव ने कहा कि ‘अभी आप जैसे हैं, उस वक्त हम भी वैसे ही थे। इसपर सम्राट चौधरी बोले कि आपके माता-पिता 15 साल कुर्सी पर थे कितने आरक्षण दिए? उन्होंने कहा कि ‘आप गलतफहमी मत फैलाइए। 15 साल में एक भी व्यक्ति को आरक्षण नहीं दिया गया। किसी ओबीसी, ईवीसी को आरक्षण नहीं दिया। आज सभी वर्ग को आरक्षण दिया गया है। आप बेफिक्र रहिए। डबल इंजन की सरकार चल रही है।
तेजस्वी ने सम्राट चौधरी को घेरते हुए पूछ लिया कि अभी किसकी सरकार है भाजपा की सरकार नहीं है क्या? जिस पर सम्राट चौधरी ने कहा कि हम लोग सहयोगी हैं। इसके बाद सम्राट चौधरी बैठ गए। वहीं विजय सिन्हा खड़े होकर कहने लगे कि विपक्ष के लोग संविधान विरोधी लोग हैं। ये लोग किसी पार्टी के ऊपर बिना किसी साक्ष्य और सबूत के आरोप लगा रहे हैं। इस बीच बहस इतनी तीखी हो गई कि विपक्ष के नेता इस मुद्दे पर सदन से वॉकआउट कर गए।
बाहर पत्रकारों से बातचीत में तेजस्वी यादव ने कहा कि सब संगत का असर है। हम लोग उन्हें ठीक करते हों तो वापस वैसे ही हो जाते हैं। इस मुद्दे पर विधानसभा में तेजस्वी यादव ने कहा कि जब हम साथ में सरकार में थे तब हमने जातीय आधारित गणना कराई थी। यह जातीय आधारित गणना इसलिए कराई गई थी क्योंकि राज्य सरकार जनगणना नहीं करा सकती है। इसलिए हमने सर्वे कराया था। उस सर्वे के आधार पर हम लोगों ने आरक्षण की सीमा 65 फीसदी करने का काम किया था। इसमें पिछड़े, अति पिछड़े और दलित और आदिवासी समाज के लोग शामिल थे। इसके अलावा इडब्लूएस 10 प्रतिशत को उसी तरह रखा गया।