पटना मेट्रो हादसा मामले को लेकर मजदूरों का नेतृत्व कर रहे माले एमएलसी शशि यादव और ऐक्टू-एआइसीसीटयू के राष्ट्रीय सचिव रणविजय कुमार ने पटना मेट्रो टनल का निर्माण करने वाली एलएंडटी कम्पनी द्वारा मेट्रो हादसा को एक्ट ऑफ गॉड बताने और मृतक मजदूरों को टनल से बाहर निकालने और समझौता वार्ता में रहने वाले मजदूरों को गुंडा बताकर मुकदमा दर्ज करने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। नेताओं ने कहा कि यह हादसा एलएंडटी कम्पनी के आपराधिक लापरवाही और सुरक्षा मानकों में घोर लापरवाही का परिणाम है जिसे कंपनी निर्लज्जता से एक्ट आफ गॉड बता रही है। यह एक्ट ऑफ गॉड नहीं एक्ट ऑफ फ्रॉड की नीति है।
30 अक्टूबर को हुए लिखित समझौता वार्ता में एलएंडटी के पटना मेट्रो प्रोजेक्ट हेड आलोक डे ने हादसा को कम्पनी के सुरक्षा मानकों की चूक बताया था और इसके लिए क्षमा भी मांगी थी। अब इसके उलट घटना को एक्ट ऑफ गॉड बताकर पीरबहोर थाना में दर्ज कराया गया है। नेताओं ने कहा कि मजदूरों पर दर्ज मुकदमा झूठा और बेबुनियाद है। कम्पनी चाहे जितनी कोशिश कर ले, लेकिन निर्माण कार्य में मजदूरों की सुरक्षा और अधिकारों की जिम्मेदारी से बचने नहीं दिया जाएगा।
आगे कहा कि कंपनी को विगत दिनों हुई वार्ता की शर्ताें को पूरा करना चाहिए था लेकिन वह वार्ता में हुई सहमति का उल्लंघन करते हुए मजदूरों को निशाने पर ले रही है. इसको हम चैलंेज करेंगे तथा मेट्रो हादसा की जांच रिपोर्ट व मांगों से सम्बंधित रिपोर्ट जल्द ही राज्य सरकार को सौंपेंगे।
हम मांग करते हैं कि मेट्रो हादसे की स्वत्रन्त्र एजेंसी से जांच कराई जाए, सभी कार्यरत मजदूरों की सूची बिहार सरकार के श्रम विभाग को सौंपी जाए और उसे सार्वजनिक किया जाए। मेट्रो निर्माण में सुरक्षा मामले में बरती गई आपराधिक लापरवाही के लिए राज्य सरकार एलएंडटी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करे, तथा एलएंडटी द्वारा मजदूरों को गुंडा बताकर दर्ज किए गए फर्जी मुकदमे को तत्काल वापस ले।
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