भारत छोड़ो आंदोलन की 83वीं वर्षगांठ पर राजभवन में महात्मा गांधी की प्रासंगिकता विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका उद्धघाटन करते हुए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने गांधीजी के सत्य, अहिंसा, आत्मनिर्भरता और ग्राम स्वराज के सिद्धांतों को आज के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में अनिवार्य बताया। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति सदैव शांति और अहिंसा की रही हैं जिसे बापू ने अपने जीवनपर्यंत न केवल फैलाया बल्कि उसे व्यावहारिक रुप में लागू भी किया। गांधी जी का नैतिक बल आज भी प्रेरणा देता है। यह नैतिक बल ही है, जिसके कारण आज की विश्व के महाशक्ति के भारत मुखर होकर खड़ा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार ने कहा कि महात्मा गांधी की प्रासंगिकता को प्रसारित करने हेतु आरंभ किये गये इस अभियान में उनका पूर्ण सहयोग रहेगा। स्वागत भाषण प्रो.देवेन्द्र प्रसाद सिंह, संयोजक, गांधी प्रासंगिकता स्थापनार्थ अभियान समिति ने किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. सूरज मंडल, पूर्व सांसद एवं उपाध्यक्ष, झारखंड स्वायतशासी परिषद उपस्थित रहे। इस अवसर पर बीआरएबी, मुजफ्फरपुर के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र राय, प्रो.तपन कुमार शांडिल्य, प्राचार्य, टीपीएस कॉलेज, तथा संजय राय, सचिव, हरिजन सेवक संघ ने भी विचार रखे। सत्र का संचालन प्रो.अखिलेश कुमार, प्राचार्य, एमडी कॉलेज, नौबतपुर ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. देव प्रकाश, सहायक प्राध्यापक, दाउदनगर कॉलेज ने दिया।
इस अवसर पर प्रो. रेखा कुमारी, प्रो. पारस राय, डॉ. शुभलक्ष्मी, डॉ. कुमारी रेखा, प्रो. परमानन्द सिंह और वसीम अहमद खान को प्रशस्ति चिन्ह देकर राज्यपाल ने सम्मानित किया।