थिम्फू की शांत वादियों में मोदी की भावनात्मक उपस्थिति, भूटान के राजा को 70वें जन्मदिन की शुभकामनाएं
भूटान की राजधानी थिम्फू की शांत वादियों में आज का दिन ऐतिहासिक रहा। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान के राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक के 70वें जन्मदिवस पर भारतीय जनता की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ दीं, तो यह सिर्फ एक औपचारिक अवसर नहीं था — यह हिमालयी सभ्यता की आत्मीयता और साझा मूल्यों की नई अभिव्यक्ति थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भारतीय परंपरा को याद करते हुए कहा कि भारत और भूटान के संबंध “सीमाओं से परे आत्मा के रिश्ते” हैं। उन्होंने भूटान की वैश्विक पहचान — ‘सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता (Gross National Happiness)’ को मानव विकास का प्रेरक प्रतिमान बताया।
70वां जन्मदिन बना भारत-भूटान संबंधों के नए अध्याय का प्रतीक
प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश केवल सांस्कृतिक संवाद नहीं, बल्कि राजनयिक गहराई से भरा था। उन्होंने कहा कि भूटान की सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता की अवधारणा, आज दुनिया को यह सिखा रही है कि विकास का सही पैमाना केवल GDP नहीं, बल्कि मानव कल्याण और मानसिक संतुलन है।
मोदी का यह बयान न केवल भावनात्मक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को दर्शाता है, बल्कि यह भारत की पड़ोसी नीति — “Neighbourhood First” — का जीवंत उदाहरण भी बन गया।
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भारत-भूटान की आध्यात्मिक साझेदारी: गुरु पद्मसंभव से लेकर वडनगर तक की एक धारा
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि गुजरात के वडनगर से लेकर वाराणसी तक भारत की बौद्ध परंपरा और भूटान की आध्यात्मिकता एक समान धारा में बहती हैं। यह संबंध केवल धार्मिक नहीं, बल्कि संस्कृति और सभ्यता के साझा मूल्यों का प्रतीक है।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आज जब दुनिया जलवायु संकट, वैचारिक विभाजन और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा से जूझ रही है, तब भारत-भूटान का शांतिपूर्ण विकास मॉडल एशिया के लिए प्रेरक उदाहरण बन सकता है।
1000 मेगावाट की नई जलविद्युत परियोजना: भारत-भूटान ऊर्जा साझेदारी में बड़ी छलांग
भारत-भूटान संबंधों की रीढ़ ‘जलविद्युत सहयोग’ को माना जाता है। चौथे राजा के दूरदर्शी नेतृत्व में शुरू हुई यह साझेदारी आज नई ऊँचाइयों पर पहुँच चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि दोनों देशों के बीच एक नया 1000 मेगावाट का पनबिजली प्रकल्प शुरू किया जाएगा, जो भूटान की ऊर्जा क्षमता में 40% की वृद्धि करेगा।
यह परियोजना न केवल भूटान की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को मजबूत करेगी, बल्कि भारत की ग्रीन एनर्जी ग्रिड रणनीति का भी आधार बनेगी। भूटान का ‘कार्बन-नेगेटिव’ दर्जा, इस साझेदारी की नैतिक और पर्यावरणीय ऊँचाई को दर्शाता है।
भारत-भूटान की सामरिक साझेदारी: रेल, सड़क और डिजिटल कनेक्टिविटी से मजबूत होगा विश्वास
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरे में स्पष्ट संदेश दिया कि भारत और भूटान का रिश्ता केवल परंपरा या भावना का नहीं, बल्कि सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी का भी है। उन्होंने कहा कि गेलफू और सामत्से को भारत की रेल-परिवहन प्रणाली से जोड़ने की परियोजना सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यह कदम व्यापारिक लाभों के साथ-साथ उत्तर भारत की सामरिक पहुँच को भी बढ़ाएगा। चीन द्वारा भूटान की उत्तरी सीमाओं पर बढ़ते दबाव के संदर्भ में यह सहयोग भारत की रक्षा नीति का अहम हिस्सा है।
भूटान-भारत अंतरिक्ष सहयोग: संयुक्त उपग्रह निर्माण से नई दिशा
प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि भारत और भूटान के युवा मिलकर एक संयुक्त उपग्रह निर्माण परियोजना पर काम करेंगे। यह कदम हिमालयी साझेदारी को अंतरिक्ष तक ले जाने की दिशा में ऐतिहासिक माना जा रहा है।
यह पहल न केवल सॉफ्ट पावर और साइंटिफिक डिप्लोमेसी की मिसाल है, बल्कि शिक्षा, नवाचार, और संस्कृति में भविष्य की साझी समृद्धि का आधार भी बनेगी।
राजगीर में भूटानी मंदिर और वाराणसी में अतिथि गृह: रिश्तों में भावनात्मक गहराई
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दौरे में यह भी बताया कि राजगीर में भूटानी मंदिर का उद्घाटन और वाराणसी में भूटानी अतिथि गृह के लिए भूमि का आवंटन किया गया है। ये कदम दोनों देशों के बीच संस्कृति और आध्यात्मिक एकता को मजबूत करने वाले साबित होंगे।
इसके साथ ही, मोदी ने भूटान द्वारा दिल्ली विस्फोट पीड़ितों के लिए की गई विशेष प्रार्थना की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह मानवीय संवेदना और दोस्ती की गहराई को दिखाता है।
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भारत-भूटान का रक्षा आयाम: डोकलाम से मिली रणनीतिक सीख
प्रधानमंत्री मोदी ने अप्रत्यक्ष रूप से यह संकेत भी दिया कि भारत अपने मित्र देशों की सुरक्षा में हमेशा साथ खड़ा रहेगा। डोकलाम क्षेत्र में 2017 की झड़पों ने यह स्पष्ट कर दिया था कि भूटान की स्थिरता भारत की सुरक्षा से सीधी जुड़ी हुई है।
मोदी का यह दौरा चीन के लिए यह स्पष्ट संदेश देता है कि भारत हिमालयी सुरक्षा को केवल सीमा नहीं, सभ्यता की रक्षा मानता है।
साझा मूल्यों और विश्वास की साझेदारी बना भारत-भूटान संबंध
आज भारत और भूटान का संबंध केवल परंपरा का प्रतीक नहीं, बल्कि आधुनिक भू-राजनीतिक यथार्थ का सशक्त उपकरण बन चुका है।
यह साझेदारी आध्यात्मिकता और रणनीति, संस्कृति और सुरक्षा, ऊर्जा और पर्यावरण — इन सभी के बीच संतुलन का अद्भुत उदाहरण है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा साबित करता है कि विकास का मार्ग केवल आर्थिक शक्ति से नहीं, बल्कि साझा मानवता और मूल्य आधारित सहयोग से प्रशस्त होता है।
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