भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार और राजनीति में अपनी सक्रिय मौजूदगी दर्ज करा चुके पवन सिंह आज एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। अभिनय और गायकी के बाद अब उनका नाम कोर्ट कक्षाओं में गूंज रहा है। दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान आयोजित रोड शो में अनुमति से अधिक भीड़ जुटने के मामले में पवन सिंह को बिक्रमगंज न्यायालय में पेश होना है।
मामला कैसे शुरू हुआ?
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पवन सिंह ने अपने क्षेत्र में जोशीला रोड शो किया था। इस दौरान उमड़ी भारी भीड़ ने प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी उम्मीदवार पर यह जिम्मेदारी होती है कि वह तयशुदा सीमा से अधिक भीड़ न जुटने दे और सुरक्षा व्यवस्था का पालन करे। मगर, पवन सिंह के रोड शो में भीड़ ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। नतीजा यह हुआ कि रोहतास जिले के सात थानों में अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गईं।
पिछली सुनवाई और आज की उम्मीदें
बीते दिनों हुई एक सुनवाई में पवन सिंह को एक मामले में राहत मिली थी, लेकिन शेष मामलों की कानूनी प्रक्रिया अब भी जारी है। आज की पेशी उन ही लंबित मामलों के तहत हो रही है। जानकारों का कहना है कि अगर अदालत उन्हें दोषी ठहराती है, तो पवन सिंह को कड़ी चेतावनी या जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।
सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम
इस सुनवाई को लेकर स्थानीय राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में हलचल तेज है। समर्थक और विरोधी—दोनों ही वर्ग—बड़ी संख्या में कोर्ट परिसर के आसपास जुट सकते हैं। भीड़ को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा चाक-चौबंद कर दी है। कोर्ट परिसर और उसके आसपास अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की गई है ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति न बने।
पवन सिंह की प्रतिक्रिया
पवन सिंह की ओर से साफ कहा गया है कि वे कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करते हैं और अदालत में पूरी पारदर्शिता के साथ अपना पक्ष रखेंगे। उनके करीबियों का कहना है कि यह मामला ज्यादा गंभीर नहीं है और जल्द ही सच सामने आ जाएगा। पवन सिंह का यह रुख उनके प्रशंसकों और समर्थकों के बीच सकारात्मक संदेश भी दे रहा है।
राजनीतिक असर
यह मामला केवल अदालत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सीधा असर स्थानीय राजनीति पर भी देखने को मिल रहा है। चुनावी माहौल में पवन सिंह का नाम लगातार चर्चा में रहा है। समर्थकों का मानना है कि इस मुकदमे से उनके राजनीतिक कद पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जबकि विरोधी इसे उनके खिलाफ हथियार के तौर पर देख रहे हैं।
अगर अदालत का फैसला सख्त आता है, तो यह उनके भविष्य के राजनीतिक सफर को धीमा कर सकता है। वहीं, राहत मिलने की स्थिति में वे अपने समर्थकों के बीच और भी लोकप्रिय हो सकते हैं।
भोजपुरी सिनेमा के पावरस्टार पवन सिंह का यह मुकदमा सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं है, बल्कि यह उनकी लोकप्रियता और राजनीतिक सक्रियता का अगला इम्तिहान भी है। कोर्ट का फैसला चाहे जैसा हो, लेकिन इतना तय है कि आने वाले दिनों में यह सुनवाई बिहार की राजनीति और भोजपुरी इंडस्ट्री दोनों में चर्चाओं का केंद्र बनी रहेगी।