पटना की राजनीति इस समय गरमा गई है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) ने नीतीश कुमार सरकार के सबसे भरोसेमंद और ताकतवर मंत्री अशोक चौधरी पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाकर नया राजनीतिक भूचाल ला दिया है। पीके का दावा है कि बीते दो वर्षों में अशोक चौधरी और उनके परिवार ने लगभग 200 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्तियाँ खरीदी हैं। इस खुलासे के बाद जदयू के भीतर ही असहमति की आवाजें उठने लगी हैं।
आरोपों की कहानी
प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अशोक चौधरी न केवल नीतीश कुमार के दाहिने हाथ हैं, बल्कि भ्रष्टाचार में रिकॉर्ड बना चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले बेनामी संपत्ति के मामले लालू यादव से जुड़े रहते थे, लेकिन अब अशोक चौधरी इस कड़ी को आगे बढ़ा रहे हैं।
पीके ने दावा किया कि अशोक चौधरी के पूर्व पीए योगेंद्र दत्त के नाम पर 2019 में 34 लाख रुपये में एक एकड़ 23 कट्ठा जमीन खरीदी गई थी। बाद में यह जमीन अशोक चौधरी की बेटी और समस्तीपुर की सांसद शांभवी चौधरी के नाम मात्र 10 लाख रुपये में कर दी गई। शेष रकम बाद में टुकड़ों में ट्रांसफर की गई।
“200 करोड़ की संपत्ति खरीदी गई”
प्रशांत किशोर ने कहा कि पिछले दो सालों में अशोक चौधरी की पत्नी, बेटी, समधन और उनके एक ट्रस्ट के नाम पर कुल 200 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियाँ खरीदी गईं। इसमें पटना में 38 करोड़ की जमीन भी शामिल है, जो शांभवी चौधरी की शादी के दौरान खरीदी गई।
जदयू में मचा घमासान
इन आरोपों ने जदयू के भीतर ही दरार पैदा कर दी है। जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि जब तेजस्वी यादव पर आरोप लगे थे, तब उनसे सफाई मांगी गई थी। अगर जवाब नहीं मिला तो सरकार तक गिर गई थी। ऐसे में अशोक चौधरी को भी साफ-साफ जवाब देना होगा।
दूसरी ओर, जदयू प्रवक्ता निहोरा यादव ने भी नीतीश कुमार की छवि को साफ-सुथरा बताते हुए कहा कि अशोक चौधरी को आरोपों पर सफाई देनी चाहिए।
विपक्ष का हमला
राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने भी मौके का फायदा उठाया। उन्होंने कहा कि जदयू के प्रवक्ता तक मान रहे हैं कि गड़बड़ी हुई है। नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री संरक्षित होकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं।
क्या नीतीश लेंगे कड़ा फैसला?
राजनीतिक विशेषज्ञ सुनील पांडे का मानना है कि नीतीश कुमार का ट्रैक रिकॉर्ड साफ है। वे अब तक आधा दर्जन से अधिक मंत्रियों से इस्तीफा ले चुके हैं। 2017 में तेजस्वी यादव से भी जवाब मांगकर गठबंधन तोड़ दिया था। ऐसे में अगर अशोक चौधरी सफाई नहीं देते, तो उनका मंत्री पद पर बने रहना मुश्किल हो सकता है।