हिमंता बिस्वा सरमा
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भाजपा में हिंदुत्व की राह पर चलने की मुख्यमंत्रियों की होड़: अशोक भाटिआ 1
Ashok Bhatia

2024 लोकसभा चुनावों के बाद भारतीय जनता पार्टी में बहुत कुछ बदला है। लोकसभा चुनावों में शिकस्त मिलने के बाद केंद्र में सरकार तो बन गई पर फैसले लेने में सरकार पहले जैसी कॉन्फिडेंट नहीं दिख रही है। यही कारण है कि लगातार कई मौकों पर सरकार को यू टर्न लेना पड़ा है। पार्टी के अंदर संघर्ष भी शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश में तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने मोर्चा खोल रखा है पर अभी शांति है। इस बीच पार्टी में मुख्यमंत्रियों के बीच उग्र हिंदुत्व का पोस्टर बॉय बनने की होड़ लगी हुई है।

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पिछले दिनों ऐसे फैसले लिए हैं और ऐसे बयान दिए हैं कि योगी आदित्यनाथ भी फीके पड़ जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि दोनों मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हिंदुत्व से आगे निकलना चाहते हैं।यही नहीं योगी आदित्यनाथ भी इधर कुछ दिनों से लगातार उग्र हिंदुत्व की राह पर है।इस तरह पर तीन मुख्यमंत्रियों के बीच उग्र हिंदुत्व का झंडाबरदार बनने की होड़ लगी हुई है।

हिमंता बिस्वा सरमा के मुसलमानों के खिलाफ लगातार बयान, इसके साथ ही चाइल्ड मैरिज के नाम पर मुस्लिम शादियों में रुकावट डालने तथा जुम्मे की नमाज को लेकर जो फैसले हुए हैं, उसे साफ तौर पर पता चलता है कि हिमंता हिंदुत्व की राह पर तेजी से दौड़ रहे हैं। अब असम विधानसभा मुस्लिम विधायकों को शुक्रवार को नमाज अदा करने के लिए दिए जाने वाले दो घंटे के अवकाश को खत्म करेगी। हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट किया कि 2 घंटे की जुम्मा छुट्टी को खत्म करके, असम विधानसभा ने उत्पादकता को प्राथमिकता दी है और औपनिवेशिक बोझ के एक और अवशेष को हटा दिया है। उन्होंने आगे लिखा कि यह प्रथा 1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला द्वारा शुरू की गई थी। इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए स्पीकर बिस्वजीत दैमारी और हमारे विधायकों को मेरा आभार।

हिमंता बिस्वा सरमा ने बृहस्पतिवार को विपक्ष पर निशाना साधते हुए दावा किया कि उनमें ‘मूलत: राज्य के निवासी हिंदू विधायकों’ को विधानसभा में अपनी बात नहीं रखने देने की प्रवृत्ति विकसित हो गई है। असम भूमि एवं राजस्व विनियमन (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा के दौरान, शर्मा ने अपनी पार्टी के विधायक भुवन पेगू के भाषण को बाधित करने के लिए भी विपक्षी सदस्यों की कड़ी आलोचना की। शर्मा ने पेगू का बचाव करते हुए कहा, मूलत: राज्य के निवासी हिंदू विधायकों को सदन में नहीं बोलने देने की एक नयी प्रवृत्ति उत्पन्न हो गई है। यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है। कृपया इतने आक्रामक न हों। हमारी जमीन के बाद अब विधानसभा पर कब्जा करने की कोशिश न करें। पेगू तत्कालीन पूर्वी बंगाल से असम में लोगों के कथित प्रवासन और आक्रामकता के बारे में पुराने विधानसभा रिकॉर्ड का उल्लेख करते हुए एक बयान दे रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा, आप हिंदू-मुस्लिम मुद्दों पर बात करना बंद नहीं कर सकते। ये जीवन की कठोर वास्तविकताएं हैं।

हाल ही में राज्य विधानसभा में बोलते हुए, असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि – मैं असम को मियां लोगों की भूमि नहीं बनने दूंगा। हिमंता के लिए हिंदुत्व का पोस्टर बॉय बनने की धुन आज की नहीं है। भारतीय जनता पार्टी जॉइन करने के बाद से ही उन्होंने हार्डकोर हिंदुत्व की राह पकड़ ली थी। मुस्लिम आबादी को लेकर लगातार बयान,चाइल्ड मैरेज के नाम पर मुस्लिम शादियों में रुकावट डालने की कोशिश या सीएए और एनआरसी की बात रही हो, कांग्रेस से भाजपा में आए हिमंता मुस्लिम समुदाय के खिलाफ इस तरह से आग उगलते हैं जिसका मुकाबला जन्मजात भाजपाई भी नहीं कर सकते। अभी पिछले हफ्ते की ही बात है हिमंता ने निजी स्वामित्व वाले विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेघालय (यूएसटीएम) से पढ़ाई करने वाले छात्रों को असम सरकार की नौकरियों में रोक लगाने की बात कही।एनआईआरएफ के तहत शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में से एक है। यह संस्थान असम के एक बंगाली-मुस्लिम महबुबुल हक के स्वामित्व वाले फाउंडेशन द्वारा संचालित है, जो संस्थान के चांसलर भी हैं। हिमंता का मानना है कि इस विश्वविद्यालय परिसर के निर्माण के लिए वनों और पहाड़ियों की कटाई का ही नतीजा है कि गुवाहाटी को अचानक बाढ़ का सामना करना पड़ा। सरमा का कहना है ये सब असम के खिलाफ बाढ़ जिहाद के कारण हुआ है।

सरमा ने इससे पहले बंगाली-मुस्लिम किसानों पर उर्वरक जिहाद का भी आरोप लगाया था। कहा था कि सब्जियां उगाने में उर्वरक के अनियंत्रित उपयोग के कारण लोगों में बीमारियां फैल रही हैं। उन्होंने राज्य में मुसलमानों पर भूमि जिहाद का आरोप लगाते हुए उन्हें जमीन की बिक्री पर अंकुश लगाने के फैसले की भी घोषणा की और कहा है कि सरकार लव जिहाद के लिए आजीवन कारावास की सजा वाला एक कानून लाएगी।यही सब कारण है कि असम में उनकी लोकप्रियता में लगातार इजाफा हो रहा है।

योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व के फायरब्रांड लीडर रहे हैं। पर मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके तेवरों में थोड़ी नरमी आ गई थी। पर पिछले महीने से ही अचानक उन्होंने अपना पुराना चोला फिर से ओढ लिया है।वो फिर से उग्र हिंदुत्व की अपनी जानी पहचानी शैली में वापस आ गए हैं।हाल ही में बांग्लादेश स्थिति को लेकर उन्होंने बहुत कड़ी बातें कहीं। अभी 2 दिन पहले ही आगरा में उन्होंने हिंदुओं से सावधान रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि अगर बंटेंगे तो कटेंगे।बांग्लादेश वाली गलतियां यहां नहीं होनी चाहिए। एक रहेंगे तो नेक रहेंगे और सुरक्षित रहेंगे।

योगी के कट्टर हिंदुत्व का यह रूप पिछले महीने से ही दिखने लगा था।जुलाई महीने के अंत में, राज्य सरकार ने धर्मांतरण विरोधी कानून में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया, जिससे उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 को और अधिक सख्त बना दिया गया। यूपी विधानसभा ने 30 जुलाई को संशोधन विधेयक पारित किया, जिसमें लव जिहाद को खत्म करने के अपने इरादे को फिर से रेखांकित किया गया।कांवड़ यात्रा मार्ग पर सड़क किनारे विक्रेताओं और दुकानदारों को अपने प्रतिष्ठानों के बाहर अपना नाम लिखने के आदेश पर पूरे देश में उनके समर्थन और विरोध हुआ है।अयोध्या रेप केस में आरोपी के मुसलमान होने पर काफी हिंदू-मुसलमान यूपी में हुआ है। योगी ने इस मामले को खुद संज्ञान लेते हुए आरोपी का घर और प्रतिष्ठानों पर बुलडोजर कार्रवाई का एक्शन लिया।राजनीतिक विश्लेषक सौरभ दुबे कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ की सफलता को देखते हुए अन्य मुख्यमंत्री जब उनकी राह के राही बनने की कोशिश कर रहे हैं तो योगी भला क्यों पीछे हटे। योगी आदित्यनाथ को भी हिंदू हृदय सम्राट की पदवी बरकरार रखनी है इसलिए उन्हें भी अपने पुराने रूप में आना ही फायदेमंद दिख रहा है।

बात करें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की तो जन्माष्टमी के दिन एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि भारत में जो रहना चाहते हैं, उन्हें हिंदू , भगवान राम और कृष्ण की जय कहना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस देश के नागरिक अपने-अपने धर्मों के पालन के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन वह देशभक्त रहें। इसके साथ यह भी कह गए कि खाता कहीं और का बजाता कहीं और का यह नहीं चलेगा।हालांकि मोहन यादव ने यह भी कहा कि देश हिंदू और मुसलमानों के बीच अंतर नहीं करता है, लेकिन उसे ऐसे लोगों की जरूरत है जो ईश्वर, उसकी रचना, ब्रह्मांड को समझें। उन्होंने कहा कि रहीम और रसखान का जन्म यहीं हुआ था।

बीते दिनों छतरपुर में पुलिस पर पत्थरबाजी के आरोपियों के करोड़ों के घर सरकार ने तोड़ दिए। इस घर में रखी करोड़ों की गाड़ियों को भी बुलडोज कर दिया गया। पत्थरबाजी का आरोपी चूंकि मुसलमान था इसलिए कुछ लोगों को इस कार्रवाई में धार्मिक एंगल भी दिखा। सिर्फ छतरपुर ही नहीं, इंदौर में भी एक अतिक्रमणकारी ने प्रशासन पर गोली चलवाई थी, उसकी कोठी को भी प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया। इसका सीधा मतलब है कि कानून व्यवस्था को हाथ में लेने वाले लोगों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।मोहन यादव ने ने मध्यप्रदेश के सीएम पद की शपथ लेने के साथ ही अपने इरादे जता दिए थे। उनके शुरूआती एक्शन में ही योगी की छाप दिखी थी।शपथ लेते ही उन्होंने खुले में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाना और लाउडस्पीकर पर बैन का फैसला लिया था। उसके बाद लगातार उन्होंने ऐसे फैसले लिए जो उन्हें हिंदू पोस्टर बॉय बनने की उनकी इच्छाशक्ति को दिखाता है।

इतना ही नहीं मोहन यादव ने एमपी में भगवान राम और कृष्ण से जुड़े तीर्थ स्थलों की तरह विकसित करने का काम करने का बीड़ा उठाया है।उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के 7 मंदिरों को जोड़े जाने का एक्शन प्लान बनाया जा रहा है। संघ के विचारकों और प्रमुख पदाधिकारियों की किताबें मध्य प्रदेश के कॉलेजों में पढ़ाने का भी फैसला लिया गया है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश के मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चों की धार्मिक शिक्षा देने पर रोक लगाया जा रहा है।
एक और बात यह है कि भाजपा को यह बात समझ में आ गई है कि मुस्लिम समाज का उन्हें वोट बिल्कुल भी नहीं मिलने वाला है।हिंदुत्व का ध्रुवीकरण होने पर विपक्ष के सारे तीरों से निपटने की भाजपा को ताकत मिल जाएगी।

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