RahuL Gandhi का ‘Hydrogen Bomb’ बयान: क्या ‘Vote चोरी’ का आरोप बिहार चुनाव से पहले बना Congress की नई रणनीति?

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राहुल गांधी ने हरियाणा में वोट चोरी का आरोप लगाया, बिहार चुनाव पर बढ़ी गर्मी
Highlights
  • • राहुल गांधी ने हरियाणा चुनाव में “वोट चोरी” का आरोप लगाया। • कहा—एक बुजुर्ग महिला का नाम 220 बार सूची में दर्ज। • चुनाव आयोग ने जवाब दिया—कांग्रेस ने कोई आपत्ति नहीं उठाई। • मीडिया जांच में राहुल के कुछ दावे गलत साबित हुए। • बिहार चुनाव से पहले बयान को राजनीतिक चाल बताया जा रहा। • युवाओं को भावनात्मक रूप से प्रभावित करने का आरोप भी लगा।

राहुल गांधी का ‘Hydrogen Bomb’ बयान और बिहार चुनाव का माहौल

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बड़ा राजनीतिक धमाका किया है। उन्होंने ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाकर हरियाणा के चुनाव नतीजों को संदिग्ध बताया और कहा कि राज्य में एक लाख चौबीस हजार से अधिक फर्जी वोटर मौजूद हैं। राहुल के इस बयान को राजनीतिक विश्लेषक “Hydrogen Bomb” कह रहे हैं, क्योंकि यह केवल हरियाणा की बात नहीं, बल्कि बिहार के मतदाताओं के मनोविज्ञान को भी प्रभावित कर सकता है।

राहुल ने दावा किया कि हरियाणा में “एक ही घर में 501 मतदाता दर्ज हैं” और “एक बुजुर्ग महिला का नाम 220 बार वोटर लिस्ट में शामिल है।” उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के पिछले विधानसभा चुनाव में डाला गया हर आठवां वोट फर्जी था। इन दावों के साथ राहुल ने चुनाव प्रक्रिया पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।

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चुनाव आयोग और हरियाणा प्रशासन का जवाब

राहुल गांधी के आरोपों पर हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारी ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “अगर फर्जी वोटर थे, तो कांग्रेस के बूथ लेवल एजेंट (BLA) ने आपत्ति क्यों नहीं दर्ज कराई?” चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 27 अगस्त 2024 को हुआ था और इस दौरान 4.16 लाख दावे-आपत्तियाँ दर्ज कर उनका सत्यापन किया गया।

आयोग का तर्क है कि अगर विसंगतियाँ थीं, तो कांग्रेस ने क्यों चुप्पी साधी रही? दिलचस्प यह है कि 87,000 पोलिंग एजेंटों और 20,000 मतदान केंद्रों की निगरानी के दौरान कांग्रेस की ओर से एक भी औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई गई।

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राहुल के आरोपों का विरोधाभास

राहुल गांधी ने जिन क्षेत्रों की वोटर लिस्ट का हवाला दिया, उनमें से मुलाना विधानसभा सीट विशेष रूप से चर्चा में है। राहुल का दावा था कि यहाँ फर्जी वोटरों ने भाजपा को बढ़त दी। लेकिन हकीकत यह है कि मुलाना सीट से कांग्रेस उम्मीदवार की ही जीत हुई। यह तथ्य राहुल के आरोपों की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

राहुल ने आगे कहा कि “हरियाणा चुनाव के पाँच प्रमुख एग्जिट पोल” कांग्रेस की जीत का अनुमान लगा रहे थे, लेकिन परिणाम उलट आए। यह भी ध्यान देने योग्य है कि जब 2014, 2019 और 2024 में यही एग्जिट पोल भाजपा की जीत दिखा रहे थे, तब राहुल ने इन्हें “भ्रम फैलाने वाला” बताया था।

डेटा और गणना का सच

राहुल गांधी के अनुसार, हरियाणा में कांग्रेस और भाजपा के बीच सिर्फ 1.18 लाख वोटों का अंतर रहा। उन्होंने कहा कि “कांग्रेस ने आठ सीटें 22,779 वोटों के अंतर से हारीं।”
लेकिन यह तर्क भी विरोधाभासी साबित होता है। 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा को कांग्रेस से 47,827 वोट ज्यादा मिले थे, फिर भी कांग्रेस को ज्यादा सीटें मिलीं। वहीं, हरियाणा की सबसे कम अंतर वाली 10 सीटों में से 6 पर कांग्रेस को जीत मिली।

यह उदाहरण बताता है कि राहुल गांधी का ‘वोट चोरी’ का गणित वास्तविक आंकड़ों से मेल नहीं खाता।

आयोग की प्रक्रिया और राहुल की असहमति

चुनाव आयोग का कहना है कि मतदाता सूचियों में डुप्लीकेट नाम या गलत तस्वीरें प्रशासनिक त्रुटि होती हैं, जो टाइपिंग या रिकॉर्ड अपडेट में देरी के कारण रह जाती हैं। इसके लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया अपनाई जाती है। लेकिन राहुल ने इसी प्रक्रिया का भी विरोध किया और इसे “सेंट्रल ऑपरेशन” कहकर विवादित बना दिया।

अगर राहुल का दावा सही होता, तो कांग्रेस एजेंटों ने मतदान केंद्रों पर सवाल क्यों नहीं उठाए? यह सवाल अब कांग्रेस पर ही उल्टा पड़ता दिख रहा है।

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मीडिया जांच में खुला ‘फर्जी वोट’ का सच

राहुल गांधी ने दावा किया था कि कुछ मतदाता सूची में ब्राज़ील की मॉडल की तस्वीरें लगाई गई हैं। लेकिन स्वतंत्र मीडिया संस्थानों की जांच में यह साबित हुआ कि राहुल द्वारा बताए गए वोटर आईडी नंबर और पहचान पत्र वैध हैं और उन पर असली मतदाताओं की तस्वीरें हैं। इससे यह सवाल और गहरा हो गया कि क्या राहुल की टीम ने उन्हें गलत जानकारी दी या यह जानबूझकर किया गया राजनीतिक भ्रम फैलाव था?

जेन-जी और भावनात्मक राजनीति का खेल

राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा, “मैं चाहता हूँ कि जेन-जी इसे गंभीरता से ले, क्योंकि तुम्हारा भविष्य तुमसे छीना जा रहा है।”
विश्लेषकों के अनुसार, यह बयान युवाओं को भावनात्मक रूप से प्रभावित करने का प्रयास था। उन्होंने जिस प्रकार “भविष्य छिनने” जैसे शब्दों का प्रयोग किया, उससे युवाओं के भीतर संस्थाओं के प्रति अविश्वास जगाने का खतरा भी बढ़ता है।

क्या ‘वोट चोरी’ का आरोप महज़ राजनीतिक रणनीति?

बिहार चुनाव से ठीक पहले राहुल गांधी का यह “Hydrogen Bomb” बयान महागठबंधन को ऊर्जा तो दे सकता है, लेकिन इसके तथ्यात्मक विरोधाभास कांग्रेस की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं।

पिछले अभियानों—“राफेल घोटाला”, “चौकीदार चोर है”—की तरह यह बयान भी यदि आंकड़ों और प्रमाणों पर नहीं टिका, तो इसका असर उल्टा पड़ सकता है। अब यह मतदाताओं पर निर्भर है कि वे इसे सच्चाई मानें या इसे चुनावी रणनीति का हिस्सा समझें।

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