देश को क्षेत्रीय टीवी न्यूज चैनल के माध्यम से एक नए तरह की पत्रकारिता से परिचित करानेवाले रामोजी राव नहीं रहे। हैदराबाद में शनिवार की अहले सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। पूरे देश में उनके चाहनेवालों में शोक की लहर है।वे एक अद्भुत शख्स थे। मेरा सौभाग्य है कि मैंने उनके सानिध्य में टीवी पत्रकारिता की एबीसी सीखी। वे एक निडर पत्रकार, ईमानदार उद्योगपति और राष्ट्रीय सोच रखनेवाले बेहतरीन टीम लीडर थे।दिल्ली में एक विज्ञापन एजेंसी से अपने कॅरियर की शुरुआत करनेवाले रामोजी ने अपनी दूरदर्शिता और परिश्रम के बल पर रामोजी ग्रुप की स्थापना की। वे अपने पीछे फिल्म, मीडिया, होटल,चिट फंड समेत करीब आधे दर्जन संस्थाओं का एक बड़ा साम्राज्य छोड़ गए हैं। उनके द्वारा हैदराबाद में स्थापित रामोजी फिल्म सिटी दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म सिटी है। रामोजी फिल्म सिटी की स्थापना उन्होंने 1996 में की थी। फिल्म सिटी 1666 एकड़ में फैला हुआ है। यहां 25 फिल्मों की शूटिंग एक साथ की जा सकती है। कुल 50 शूटिंग फ्लोर हैं। अब तक इस फिल्म सिटी में 25000 फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। इनमें साउथ की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘बाहुबली’ के अलावा बॉलीवुड की ‘चेन्नई एक्सप्रेस’, ‘सूर्यवंशम’, ‘दिलवाले’, ‘नायक’, ‘गोलमाल’ जैसी फिल्मों की भी शूटिंग हुई। इसके अलावा यहां कई सीरियल्स की भी शूटिंग हुई है।
दिल्ली से लौटने के बाद उन्होंने विशाखापट्टनम से 1974 में ईनाडु अखबार शुरू किया। आज यह अखबार तेलंगाना का नंबर वन अखबार है। दक्षिण भारत के विभिन्न शहरों से इसके 3 दर्जन से अधिक संस्करण निकलते हैं। 1995 में उन्होंने तेलगु में ईटीवी चैनल शुरू किया फिर धीरे धीरे अलग -अलग राज्यों के लिए वहां की स्थानीय भाषा में एक दर्जन से अधिक न्यूज चैनल शुरू किया जो आज भी अलग-अलग नामों से चल रहे हैं। कुछ वर्ष पूर्व उन्होंने ईटीवी भारत के नाम से विश्व का सबसे बड़ा डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म शुरू किया था। अंतिम समय तक वे उसके विस्तार में लगे रहे।
रामोजी राव का जन्म 16 नवंबर 1936 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पेडापरुपुडी गांव में चेरुकुरी वेंकट सुबामा और चेरुकुरी वेंकट सुब्बैया के घर हुआ था। उनके पिता किसान थे। उनकेएक पुत्र सुमन प्रभाकर का निधन हो चुका है दूसरे पुत्र किरण प्रभाकर तथा उनके और उनके स्वर्गवासी भाई की पत्नी एवं बच्चे मिलकर उनका पूरा कारोबार सम्हालते हैं।
उनकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि में सिर्फ कारोबार से नहीं मन से एक निर्भीक पत्रकार थे। वे कभी किसी प्रधानमंत्री, मंत्री या मुख्यमंत्री से मिलने नहीं जाते थे। आंध्र या उसके बाद बना तेलंगाना में जब भी कोई नया मुख्यमंत्री बनता तो वह रामोजी से मिलने फिल्म सिटी आता था। यह उनका रसूख था। वाईएसआर रेड्डी सरकार में हुए भूमि घोटाले का जब ईनाडु अखबार ने भंडाफोड़ किया तो सरकार उनके पीछे पड़ गई। उनके मार्गदर्शी चिट फंड समेत अनेक कंपनियों पर छापे मारे गए। उनपर मुक़दमे ठोक दिए गए लेकिन रामोजी झुके नहीं। घाटा उठाकर भी वे डटे रहे और न सिर्फ सरकार की विदाई सुनिश्चित कराई बल्कि मुकदमों से भी बेदाग़ निकले। मार्गदर्शी चिटफंड के बारे में रेड्डी सरकार ने विज्ञापन निकलकर जनता से आवेदन मांगा जिनके पैसे नहीं लौटाने का आरोप था, लेकिन एक भी आवेदन नहीं आया। लोगों का उनपर यह भरोसा था। उनकी एक और विशिष्टता यह थी कि वे अपने किसी भी नए वेंचर के उद्घाटन या वार्षिक समारोहों में नेताओं को नहीं बुलाते थे। खुद ही उद्घाटन करते थे। वे न खुद नेताओं के आगे -पीछे करते थे न संवाददाताओं को ऐसा करने देते थे। खबर सही है तो वह जरूर चलेगी, चाहे वह कितना ही प्रभावशाली व्यक्ति क्यों न हो, यह उनका मिशन था।
सफ़ेद रंग से उन्हें विशेष लगाव था। सफ़ेद पैंट -शर्ट और सफ़ेद जूता सालो भर उनका पहनावा रहता था। ईटीवी में हर तीन महीने पर वे हैदराबाद मुख्यालय में संवाददाताओं के साथ मीटिंग करते थे। हर मीटिंग में स्ट्रिंगरों को भी बुलाया जाता था। और उनसे वे सीधे बात करते थे। ऐसा दूसरा कोई उदहारण मीडिया जगत में नहीं मिलेगा। स्ट्रिंगरों के आने -जाने और रहने का सारा खर्च कंपनी वहन करती थी। श्रम कानूनों का कड़ाई से पालन करने पर उनका जोर रहता था। रामोजी ग्रुप में बेवजह कोई आपकी नौकरी नहीं ले सकता। कंपनी छोड़ने पर एक एक पैसा जोड़ कर भुगतान किया जाता था। उनके जैसा सहृदय और सरल मालिक मिलना मुश्किल है। ईटीवी टीवी पत्रकारिता का प्रशिक्षण हॉउस बन कर उभरा था। वह पहला ऐसा टीवी संस्थान था जो सीधे कालेज से निकले छात्रों का चयन कर उन्हें प्रशिक्षण देकर टीवी पत्रकार बनाता था। देश का कोई ऐसा चैनल नहीं होगा जहां ईटीवी के सीखे पत्रकार काम न कर रहे हों। वहां नियुक्ति के लिए किसी पैरवी की जरुरत नहीं थी। आपमें थोड़ी भी योग्यता है तो आपकी नियुक्ति होगी।
मीटिंगों में जब कोई सीनियर अपने जूनियर की शिकायत करता तो रामोजी कहा करते थे कोई टीम खराब नहीं होती बल्कि टीम लीडर अच्छा या बुरा होता है। अच्छा टीम लीडर बुरी टीम से से भी अच्छा रिजल्ट देगा और बुरा टीम लीडर अच्छे टीम से भी अच्छा रिजल्ट नहीं दे पायेगा। पत्रकारों से वे विज्ञापन की बात सुनना पसंद नहीं करते थे। मीटिंग में जब कोई संवाददाता विज्ञापन की बात करता था तो वे उसे डांट देते थे। कहते थे मैंने तुम्हें न्यूज के लिए रखा है,विज्ञापन के लिए नहीं। विज्ञापन की चिंता करना तुम्हारा काम नहीं है। आज तो बड़े -बड़े मीडिया हॉउस के संपादक विज्ञापन के लिए परेशान रहते हैं। मैंने नामी गिरामी मीडिया मालिकों को मंत्रियों के साथ फोटो खिंचवाने के लिए बैचैन होते देखा है। रामोजी राव अपनी तरह के अकेले इंसान थे। लगातार घाटे के बाद भी उन्होंने ईटीवी को न बंद किया न कभी छंटनी की। न्यूज 18 ग्रुप को ईटीवी बेचा भी तो इस शर्त के साथ की एक भी कर्मचारी की छंटनी नहीं होगी।
उत्तर भारत से उनका कोई लेना देना नहीं था। फिर भी उन्होंने हर प्रदेश में वहां की भाषा में न्यूज चैनल चलाया। यह उनकी राष्ट्रीय सोच थी। एक समय था जब आंध्र प्रदेश में सरकार के बाद रामोजी ग्रुप सबसे बड़ा इम्प्लायर था। 60 हज़ार से अधिक कर्मचारी वहां शिफ्टों में काम करते थे।
रामोजी राव ने एक आदर्श जीवन जीया। वे एक गौरवशाली परंपरा छोड़ कर गए हैं। उनका जाना न सिर्फ पत्रकारिता जगत के लिए अपितु फिल्म जगत के लिए भी एक बड़ी क्षति है। उनकी जगह भर पाना असंभव सा है। सचमुच आप बहुत याद आएंगे रामोजी राव गारु। ईश्वर आपकी आत्मा को शांति दे और परिजनों को हौसला दे। शत -शत नमन…
(प्रवीण बागी, वरिष्ठ पत्रकार)