“18% आबादी का अपमान!” मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट का बड़ा हमला – RJD ने सहनी को डिप्टी सीएम बनाकर मुसलमानों को ‘गुलाम’ समझा!

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बिहार चुनाव 2025 में राजद द्वारा 2% सहनी समुदाय को उपमुख्यमंत्री बनाने के फैसले के खिलाफ मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट की प्रेस कॉन्फ्रेंस, जहां संगठन ने तेजस्वी यादव और कांग्रेस दोनों को जिम्मेदार ठहराया।
Highlights
  • • RJD ने 2% आबादी वाले सहनी को डिप्टी सीएम बनाने का एलान किया • मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट ने इसे मुसलमानों का अपमान बताया • राहुल गांधी और कांग्रेस को भी ठहराया जिम्मेदार • कहा – राजद ने BJP-RSS का फार्मूला अपनाया • मुसलमानों से अपील – जज़्बात नहीं, अक्ल से वोट करें

राजद के फैसले पर मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट का बड़ा बयान

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच सियासत में एक बड़ा विवाद तब खड़ा हो गया जब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने 2 फीसदी आबादी वाले सहनी समुदाय से आने वाले नेता को उपमुख्यमंत्री पद देने का एलान कर दिया। इस फैसले ने 18 फीसदी मुस्लिम आबादी को राजनीतिक रूप से झकझोर दिया है।
अब मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट (MUF) ने खुलकर राजद और कांग्रेस दोनों पर निशाना साधा है। फ्रंट ने इस कदम को मुसलमानों का अपमान बताया और कहा कि तेजस्वी यादव ने यह निर्णय लेकर मुसलमानों को “गुलाम” समझने की गलती की है।

“18% आबादी का अपमान हुआ है” – मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट

“18% आबादी का अपमान!” मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट का बड़ा हमला – RJD ने सहनी को डिप्टी सीएम बनाकर मुसलमानों को ‘गुलाम’ समझा! 1

मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट का बयान साफ़ और तीखा है। संगठन ने कहा कि राजद ने जिस तरह से सिर्फ 2 फीसदी आबादी वाले सहनी समाज को उपमुख्यमंत्री की कुर्सी देने की घोषणा की है, उसने 18 फीसदी मुसलमानों की अहमियत को नजरअंदाज कर दिया है।
फ्रंट का कहना है कि यह फैसला न सिर्फ राजनीतिक असंतुलन पैदा करता है, बल्कि यह इस बात का सबूत भी है कि राजद अब मुसलमानों को केवल वोट बैंक के रूप में देखता है, साझेदार के रूप में नहीं।

फ्रंट ने अपने बयान में कहा,

“राजद ने 2 फीसदी आबादी वाले सहनी को डिप्टी सीएम बनाकर 18 फीसदी मुसलमानों को अपना गुलाम घोषित कर दिया है, जो नाकाबिले बर्दाश्त है।”

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कांग्रेस और राहुल गांधी भी निशाने पर

फ्रंट ने न सिर्फ तेजस्वी यादव बल्कि कांग्रेस और राहुल गांधी को भी इस “नाइंसाफी” का जिम्मेदार ठहराया है।
फ्रंट ने आरोप लगाया कि राजद और कांग्रेस दोनों ने मिलकर BJP और RSS के फार्मूले को अपनाया है — यानी मुस्लिम वोटों को इस्तेमाल करो, लेकिन सत्ता की साझेदारी मत दो।

उनके अनुसार, जिस तरह राजद और कांग्रेस ने 2 फीसदी वाले सहनी को उपमुख्यमंत्री पद देने का फैसला लिया है, उससे यह साबित होता है कि अब दोनों पार्टियों के लिए 18 फीसदी मुसलमानों के वोट की अहमियत खत्म हो चुकी है।
फ्रंट ने कहा —

“राजद और कांग्रेस ने BJP-RSS का फार्मूला अपनाया है। अब मुसलमानों की नजर में राजद, कांग्रेस और BJP में कोई फर्क नहीं रह गया है।”

“राजद ने मुसलमानों को जलील किया” – सख्त लहजे में बयान

मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट ने अपने बयान में राजद की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह फैसला मुसलमानों को जलील करने और उन्हें गुलाम समझने जैसा है।
फ्रंट के नेताओं का कहना है कि यह कदम बिहार के मुसलमानों की सियासी हैसियत को कमजोर करने की साजिश है।

उनका कहना है कि 18 फीसदी मुसलमानों को दरकिनार कर 2 फीसदी वोटबैंक को उपमुख्यमंत्री पद देना इस बात का सबूत है कि राजद अब अपने पुराने सहयोगियों और समर्थकों के भरोसे को भूल चुका है।
फ्रंट ने चेतावनी दी कि इस बार का चुनाव तेजस्वी यादव के लिए कठिन साबित हो सकता है, क्योंकि मुसलमान इस “नाइंसाफी” का जवाब वोट की ताकत से देंगे।

“तेजस्वी और सहनी का सपना चकनाचूर होगा” – फ्रंट की चेतावनी

फ्रंट ने दावा किया कि बिहार का मुसलमान अब जज़्बाती नारों या वादों में नहीं फंसेगा।
उन्होंने कहा कि इस बार बिहार का मुसलमान तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री और सहनी के उपमुख्यमंत्री बनने के सपने को धूल चटा देगा।
यह बयान न केवल सियासी रूप से तीखा है बल्कि RJD के परंपरागत वोट बैंक पर बड़ा असर डाल सकता है।

फ्रंट ने यह भी कहा कि बिहार के मुसलमान अब अपने सियासी हक और सम्मान के लिए वोट देंगे, न कि किसी भावनात्मक अपील या जातीय समीकरण के आधार पर।

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मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट की अपील – “अक्ल और हिकमत से वोट करें”

अपने बयान के आखिर में मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट ने बिहार के मुसलमानों से एकजुट होकर सोच-समझकर वोट देने की अपील की।
फ्रंट ने कहा कि मुसलमानों को इस बार यह तय करना होगा कि वो सिर्फ वोट बैंक बने रहेंगे या अपने सियासी सम्मान और हिस्सेदारी की लड़ाई खुद लड़ेंगे।

फ्रंट का कहना है —

“इस बार बिहार का मुसलमान जज़्बाती नारों के बजाय अपने हक और सम्मान की हिफाज़त के लिए अक्ल और हिकमत से वोट करे।”

बिहार में नई सियासी लकीर

राजद के इस फैसले ने बिहार की राजनीति में एक नई सियासी लकीर खींच दी है।
जहां एक तरफ तेजस्वी यादव सामाजिक संतुलन और सर्वसमावेशी राजनीति का दावा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट का यह बयान RJD के परंपरागत वोटबैंक में असंतोष की लहर पैदा कर सकता है।

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या RJD अपने फैसले पर कायम रहती है या मुस्लिम समाज के दबाव में राजनीतिक समीकरणों में कोई बदलाव आता है।
फिलहाल, मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के इस बयान ने तेजस्वी यादव की चुनावी रणनीति को झटका जरूर दे दिया है।

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