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पटना: पूर्व मंत्री और 6 बार के विधायक श्याम रजक रविवार को जदयू में शामिल हो गए। उन्होंने मुख्यमंत्री के धुर विरोधी लालू प्रसाद की पार्टी राजद छोड़ने के दो सप्ताह से भी कम समय बाद यह कदम उठाया। रजक को 2020 में राज्य मंत्रिमंडल के साथ-साथ जदयू से भी निष्कासित कर दिया गया था। उसके पहले वे राजद में थे। उनकी गिनती लालू प्रसाद के करीबियों में होती थी। राबड़ी देवी शासनकाल में श्याम रजक ऊर्जा मंत्री थे।

रजक यहां जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा समेत कई शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में जदयू में फिर से शामिल हुए। झा ने कहा कि जमीनी स्तर पर समर्थन वाले नेता रजक के आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी, खासकर राज्य के महादलितों के बीच, जिन्हें नीतीश कुमार ने एक अलग श्रेणी के रूप में मान्यता दी है। रजक ने कहा कि वह भावनाओं में बहकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में शामिल हो गए थे, लेकिन वहां उन्हें अपमानित किया गया ।

श्याम रजक ने कहा कि नीतीश कुमार की योजना ने बिहार की तस्वीर को बदलने का काम किया है। जिस पार्टी में था वहां समाजवाद भ्रष्टाचार में बदल गया। लेकिन नीतीश कुमार हमेशा समाजवाद की लड़ाई लड़ते रहे। मेरा सौभाग्य हैं कि नीतीश कुमार के साथ मुझे काम करने का मौका मिलेगा। मैं उस पार्टी में पूरी कोशिश करता रहा कि सब ठीक हो जाए लेकिन वहां राजनीति सिर्फ़ पद के लिए होती है।

श्याम रजक ने कहा- ‘आरजेडी के लोग मुझ पर आरोप लगाते है कि मैं सत्ता के लिए जदयू में आया। उनको पता होना चाहिए कि सत्ता में रहते हुए मैंने जेडीयू छोड़ी थी। उस वक्त कुछ ऐसी परिस्थिति थी, जिसकी वजह से मैं जदयू को छोड़ा था। आज मैं फिर से अपने घर में आ गया हूं। मुझे जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, पूरी ईमानदारी से काम करूंगा।’

पिछले कुछ महीनों में कई बड़े नेताओं ने राजद का साथ छोड़ा है। लोकसभा चुनाव के समय पहले अशफाक करीम ने राजद छोड़ जदयू में शामिल हो गए थे। फिर वृषण पटेल ने इस्तीफा दिया था। उन्होंने कहा था कि राजद को समर्पित कार्यकर्ताओं की कोई जरूरत नहीं है। वृषण पटेल के बाद अनदेखी का आरोप लगाते हुए देवेंद्र प्रसाद यादव ने भी पार्टी छोड़ी थी।

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