क्यों भारत को चाहिए सैकड़ों डॉ. तितिय़ाल और दर्जनों एम्स?

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अभी बीते कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियों बहुत वायरल हो रहा था जिसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के राजेन्द्र प्रसाद आई सेंटर के अध्यक्ष डॉ. जीवन सिंह तितियाल अपनी सरकारी सेवा से रिटायर होने के बाद अपने साथियों और रोगियों के साथ घिरे हुए हैं। उनकी आंखें नम है। दरअसल प्रख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. तितियाल नेत्र चिकित्सा में अपनी विशेषज्ञता और समर्पण भाव से अपने मरीजों की देखभाल के लिए जाने जाते रहे। वे लगभग साढ़े चार दशकों तक एम्स से जुड़े रहे। इस दौरान उन्होंने हजारों रोगियों का इलाज किया और वे लगभग इतने ही छात्रों के गुरु भी रहे।  अगर एम्स को देश का  सबसे बेहतर अस्पताल माना जाता हैतो उसे इस मुकाम पर लेकर जाने में डॉ. तितियाल जैसे डॉक्टरों का भी अहम रोल रहा है। डॉ. तितियाल के मार्गदर्शन में कई युवा नेत्र रोग विशेषज्ञों ने उच्च स्तर की सफलता हासिल की है।

देखिए किसी भी सफल डॉक्टर को अपने क्षेत्र में हो रहे नए अनुसंधानों को लेकर अपडेट तो होना ही चाहिए। उन्हें नवीनतम चिकित्सा अनुसंधानउपचार और तकनीकों के बारे में अच्छी तरह पता होना चाहिए। इस लिहाज से ड़ॉ तितियाल बेजोड़ रहे। डॉ. तितियाल सही ढंग से रोग का निदान करने और उपयुक्त उपचार योजना बनाने में भी सक्षम हैं।  इसमें रोगी के लक्षणोंचिकित्सा इतिहास और परीक्षण परिणामों का विश्लेषण करना शामिल है। डॉक्टर को मरीजों को उनकी बीमारी और उपचार विकल्पों को स्पष्ट और सरल तरीके से समझाने में सक्षम होना चाहिए।

 डॉ. तितियाल एम्स के मरीजों को ध्यान से सुनते   थे और उनकी चिंताओं और सवालों को गहराई से समझते थे। उनसे मिलकर रोगी आश्वस्त महसूस करता था। वे सभी मरीजों के साथ सम्मान और गरिमा पूर्ण व्यवहार रखते थेचाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो। डॉ. तितियाल मोतियाबिंद सर्जरी में विशेषज्ञ हैंजिसमें फेकोइमल्सीफिकेशन और इंट्राओकुलर लेंस प्रत्यारोपण जैसी आधुनिक तकनीकें शामिल हैं। उन्होंने कई जटिल मोतियाबिंद सर्जरी सफलतापूर्वक की। वे कॉर्निया प्रत्यारोपणटेरिगियम सर्जरी और अपवर्तक सर्जरी (जैसे लेसिक ) में भी कुशल हैं। उनकी विशेषज्ञता कॉर्निया से संबंधित विभिन्न बीमारियों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। डॉ. तितियाल ग्लूकोमा के निदान और उपचार में भी अनुभवी हैंजिसमें दवाओंलेजर उपचार और सर्जरी का उपयोग शामिल है। इसके अलावावे सामान्य नेत्र रोगों जैसे कि कंजंक्टिवाइटिसड्राई आई सिंड्रोमऔर अन्य नेत्र संक्रमणों का इलाज करने में भी सक्षम हैं।

वे नेत्र विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान में भी सक्रिय रूप से शामिल हैं। उनके शोध प्रकाशन अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित होते हैंजो उनके वैज्ञानिक योगदान को दर्शाते हैं। वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नेत्र विज्ञान सम्मेलनों में नियमित रूप से भाग लेते हैं और अपने ज्ञान और अनुभव को साझा करते हैं। डॉ. तितियाल अपने मरीजों के प्रति समर्पित हैं और उनकी हर समस्या को ध्यान से सुनते हैं। वे व्यक्तिगत देखभाल प्रदान करने में विश्वास रखते हैं।

 वे मरीजों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करते रहे।   वे नवीनतम तकनीकों और उपचार विधियों का उपयोग करके मरीजों को सर्वोत्तम संभव देखभाल प्रदान करते रहे। उम्मीद करनी चाहिए कि वे आगे भी अपनी सेवाएं देते रहेंगे।  डॉ. तितियाल ने जटिल मोतियाबिंद के मामलों के प्रबंधन पर भी महत्वपूर्ण शोध किया हैजैसे कि वे मामले जिनमें पुतली सिकुड़ी हुई है या लेंस का विस्थापन हुआ है। उनके शोध ने ऐसे रोगियों के लिए बेहतर उपचार विकल्प प्रदान किए हैं।

डॉ. तितियाल ने ग्लूकोमा के शुरुआती निदान के लिए नई तकनीकों का अध्ययन किया है। उन्होंने ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (OCT) और अन्य इमेजिंग तकनीकों का उपयोग करके ग्लूकोमा से प्रभावित तंत्रिका फाइबर परत में होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों का अध्ययन किया है। उन्होंने ग्लूकोमा के इलाज के लिए नए चिकित्सीय तरीकों की खोज में भी योगदान दिया है। उनके शोध में विभिन्न प्रकार की दवाइयों और शल्य चिकित्सा विकल्पों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया गया है। उन्होंने ग्लूकोमा की प्रगति की निगरानी के लिए नए तरीकों का अध्ययन किया है। उनके शोध से चिकित्सकों को ग्लूकोमा के रोगियों में दृष्टि हानि को रोकने में मदद मिली है।

 डॉ. तितियाल ने कॉर्निया प्रत्यारोपण में उपयोग की जाने वाली नवीन तकनीकों का विकास किया है। उन्होंने एंडोथेलियल केराटोप्लास्टी जैसी तकनीकों का अध्ययन किया हैजो कॉर्निया प्रत्यारोपण के बाद जटिलताओं को कम करने में मदद करती हैं।

उन्होंने सूखी आंख के कारणों और उपचार पर भी शोध किया है। उनके शोध ने सूखी आंख से पीड़ित रोगियों के लिए बेहतर उपचार विकल्प प्रदान किए हैं। डॉ. तितियाल ने कॉर्नियल संक्रमणों के प्रबंधन पर भी शोध किया है। उनके शोध ने इन संक्रमणों के लिए प्रभावी एंटीबायोटिक दवाओं और अन्य उपचारों की पहचान करने में मदद की है। डॉ. तितियाल का शोध नेत्र विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण रहा है। उनके शोध ने मोतियाबिंद सर्जरी को अधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाने में मदद की हैग्लूकोमा के शुरुआती निदान और उपचार को बेहतर बनाया हैऔर कॉर्नियल बीमारियों के इलाज के लिए नए विकल्प प्रदान किए हैं। उन्होंने रेटिना रोगों के प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

 डॉ. तितियाल की तरह एम्स से ना जाने कितने डॉक्टर एमबीबीएस, एमएस,एमडी वगैरह करने के बाद दुनिया के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर के रूप में स्थापित हुए। एम्स अपने यहां पढ़े विद्यार्थियों को लगातार शोध करने और मानवीय बने रहने के लिए प्रशिक्षित करता है। यहां के डॉक्टरों में मानव सेवा का गजब का जज्बा देखने को मिलता है। विश्व विख्यात लेखक और मोटिवेशन गुरु डॉ.दीपक चोपड़ा,शिकागो यूनिवर्सिटी के पैथोलिजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विनय कुमार, गंगा राम अस्पताल के मशहूर लीवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अरविंदर सिंह सोईन, एम्स के मौजूदा डायरेक्टर डॉ.रणदीप गुलेरिया,ईएनटी विशेषज्ञ डॉ.रमेश डेका, डॉ. पी.वेणुगोपाल,डॉ. सिद्धार्थ तानचुंग, यूरोलोजिस्ट डॉ. राजीव सूद जैसे सैकड़ों चोटी के डॉक्टरों ने एम्स में ही शिक्षा ग्रहण की और फिर इधर सेवाएं भी दीं। डॉ. राजीव सूद  ने कुछ सालों तक एम्स में सेवा देने के बाद राजधानी के राममनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) को ज्वाइन किया और फिर इसके डीन भी रहे। वे कहते हैं कि एम्स की तासीर में सेवा है। जो एक बार एम्स रह लिया वह फिर मानव सेवा के प्रति समर्पित रहेगा। इधर डॉ. जीवन सिंह तितियाल के अलावा प्रोफेसर प्रदीप वेंकटेश, प्रोफेसर तरुण दादा, प्रोफेसर विनोद अग्रवाल जैसे बेहतरीन नेत्र चिकित्सक हैं। इन्हें आप संसार के सबसे कुशल डॉक्टरों की श्रेणी में रख सकते हैं। इन सब डॉक्टरों की देखरेख में देश के नए डाक्टर तैयार होते हैं।

आपको एम्स में देश के कोने-कोने से आए हजारों रोगियों का  इलाज होता मिलेगा। यहां पर भिखारी से लेकर भारत सरकार का बड़ा बाबू भी लाइन में मिलेगा। एम्स के डॉक्टर किसी के साथ उनके पद या आर्थिक आधार पर भेदभाव नहीं करते। यहां पर सुबह-शाम रोगियों का आना –जाना इस बात की गवाही है कि देश को एम्स पर भरोसा है।

एम्स भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री और गांधी जी की सहयोगी राजकुमारी अमृत कौर के विजन का नतीजा है। जिस निष्ठा और निस्वार्थ भाव से एम्स के डॉक्टर रोगियों को देखते हैंउससे समझ आ जाता है कि ये सामान्य अस्पताल तो नहीं है। भारत  को अभी बहुत सारे एम्स और डॉ. तितियाल जैसे डॉक्टर चाहिए

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