रोहतासगढ़ किले के पुनरुत्थान को लेकर जिला प्रशासन ने उठाये कई कदम डीएम ने अति प्राचीन किले के विकास को ले अधिकारियों को दिए कई निर्देश

By Team Live Bihar 27 Views
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आरा: रोहतास जिले में स्थित कैमूर की पहाड़ी पर मौजूद प्राकृतिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक स्थलों को विकसित कर उन्हें राष्ट्रीय पर्यटन के मानचित्र पर लाने की कोशिशें तेज हो गई है. रोहतास की जिलाधिकारी श्रीमती उदिता सिंह ने गुरुवार को कैमूर की पहाड़ी पर स्थित हजारों साल पुराने और सतयुगी सूर्यवंशी राजा सत्य हरीश्चंद के पुत्र राजा रोहिताश्व द्वारा निर्मित अति प्राचीन रोहतासगढ़ किले का जायजा लिया.

जिलाधिकारी श्रीमती उदिता सिंह ने रोहतासगढ़ किले के सम्पूर्ण एवं सर्वाँगीण विकास कर देशी विदेशी सैलानियों को आकर्षित करने के लिए कई योजनाओं पर कार्य शुरू करने का निर्देश अधिकारियों को दिया. उन्होंने रोहतासगढ़ किले पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर का भी जायजा लिया. मुगलों द्वारा इस मंदिर को खंडित करने के 400 वर्षों बाद स्थानीय लोगों द्वारा 2022 में पहली बार इस मंदिर में पूजा अर्चना शुरू की गई.पर्यटन विभाग ने भी अब इस पर ध्यान देना शुरू किया है.

जिलाधिकारी ने पुरातत्व विभाग को रोहतास गढ़ किला के रखरखाव, सुरक्षा एवं देख रेख को लेकर आवश्यक निर्देश दिए.उन्होंने किले के विकास को लेकर रोहतास के उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति का गठन भी किया. इस समिति में अनुमंडल पदाधिकारी, भूमि सुधार उप समाहर्ता, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, पर्यटन प्रभारी विनय प्रताप, प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी, नजदीकी क्षेत्र के थाना प्रभारी, स्थानीय मुखिया और वार्ड सदस्य शामिल हैं.

जिलाधिकारी ने पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता को रोहतास गढ़ तक जाने वाले सड़क को मरम्मत कराने, भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता को रोहतास गढ़ किला आने वाले पर्यटकों के ठहरने के लिए गेस्ट हाउस का निर्माण करने का निर्देश दिया. विद्युत विभाग डेहरी के कार्यपालक अभियंता को रोहतासगढ़ क्षेत्र में निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने,रोपवे का निर्माण कर रही एजेंसी को मार्च तक रोपवे का निर्माण कार्य पूरा करने का निर्देश भी दिया है.

बता दें कि सतयुगी सूर्यवंशी राजा सत्यहरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व द्वारा स्थापित रोहतासगढ़ के नाम पर इस क्षेत्र का नामकरण रोहतास रखा गया. प्राचीन समय से ही रोहतास पहाड़ी पर जाने के लिए चारों दिशाओं में केवल चार मार्ग रहे हैं जिन्हें घाट कहा जाता है. इन घाटों यानि मार्गों से दुश्मन आसानी से ऊपर न आने पाए और पहरेदारी होती रहे, इसे लेकर यहां दरवाज़े बनाये गए.

इन दरवाजों में पूरब में मेंडारा यानि मेढ़ा घाट, पश्चिम में कठौतिया घाट, उत्तर में घोड़ा घाट और दक्षिण में राजघाट प्रमुख हैं.रोहतासगढ़ में रोहितासन या चौरासन सीढ़ी मंदिर, पार्वती मंदिर, कठौतिया घाट, सिंह दरवाज़ा, लाल दरवाज़ा, ग़ाज़ी दरवाज़ा, राजभवन या महल सराय, क़िलेदार महल, पंच महल, हथियापोल, फूल महल, बारादरी, राजा का महल एवं तख़्तपादशाही ,खानबाग, ज़नाना महल, रानी का महल, नाच घर, शेरशाही मस्ज़िद,हब्स खां का मकबरा, हब्स खां की मस्ज़िद, मदरसा, गणेश मंदिर और शाकी सुल्तान का मक़बरा जैसे दर्शनीय स्थल मौजूद है.

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